Pariksha Class 6 Notes
परिचय:
- यह कहानी देवगढ़ रियासत के दीवान सज्जनसिंह और उनके उत्तराधिकारी की खोज पर आधारित है। दीवान सज्जनसिंह ने अपनी उम्र और ढलती हुई शारीरिक स्थिति के कारण नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया।
दीवान सज्जनसिंह का निर्णय:
- दीवान सज्जनसिंह ने राजा साहब से अपनी नौकरी छोड़ने की अनुमति मांगी। राजा साहब ने यह शर्त रखी कि दीवान को अपना उत्तराधिकारी खुद चुनना होगा।
नए दीवान के लिए विज्ञापन:
- देवगढ़ के लिए नया दीवान चुनने के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया। इस विज्ञापन में कहा गया कि उम्मीदवार को हृष्ट-पुष्ट होना चाहिए और एक महीने तक उनके आचरण, व्यवहार और जीवनशैली की जांच की जाएगी।
उम्मीदवारों का आगमन:
- विज्ञापन के बाद देवगढ़ में विभिन्न स्थानों से कई उम्मीदवार आए। वे अलग-अलग फैशन में सज-धज कर आए थे और अपनी योग्यता साबित करने के लिए विभिन्न प्रकार के दिखावे करने लगे।
खेल का आयोजन:
- उम्मीदवारों को परखने के लिए एक खेल का आयोजन किया गया। इस दौरान एक किसान की गाड़ी कीचड़ में फंस गई, जिसे निकालने में सभी उम्मीदवारों ने नजरअंदाज किया।
जानकीनाथ का चयन:
- जानकीनाथ, एकमात्र उम्मीदवार थे जिन्होंने किसान की मदद की। उन्होंने अपनी चोट की परवाह किए बिना गाड़ी को कीचड़ से बाहर निकाला। उनकी इस दया, साहस और आत्मबल को देखकर राजा साहब ने उन्हें दीवान पद के लिए चुना।
राजा साहब का संदेश:
- राजा साहब ने कहा कि जानकीनाथ जैसे लोग साहस, आत्मबल और उदारता के प्रतीक होते हैं। वे हमेशा दूसरों की मदद करते हैं और कभी गरीबों को नहीं सताते।
दीवान सज्जनसिंह की चिंता:
- दीवान सज्जनसिंह को यह चिंता थी कि अगर वे अब भी काम करते रहे और कोई गलती हो गई तो उनकी वर्षों की नेकनामी पर दाग लग सकता है। इसलिए उन्होंने राजा साहब से निवेदन किया कि उन्हें सेवा से मुक्त कर दिया जाए।
उम्मीदवारों का व्यवहार:
- जब उम्मीदवारों को एक महीने तक परखा जा रहा था, तब उन्होंने अपने आचरण और व्यवहार में काफी बदलाव किए। कुछ लोग, जो पहले आलसी थे, अब सुबह जल्दी उठकर बगीचे में टहलने लगे। दूसरों ने विनम्रता और सभ्यता का प्रदर्शन किया, ताकि वे योग्य दीवान साबित हो सकें।
दीवान पद की परीक्षा:
- दीवान पद के लिए उम्मीदवारों की परीक्षा सिर्फ उनके बाहरी आचरण से नहीं, बल्कि उनके अंदर छिपे गुणों से ली जा रही थी। राजा साहब और दीवान सज्जनसिंह यह देखना चाहते थे कि कौन वास्तव में साहसी, आत्मबल से युक्त और उदार है।
खेल का महत्व:
- खेल का आयोजन केवल मनोरंजन के लिए नहीं था, बल्कि यह देखने के लिए था कि उम्मीदवारों में से कौन मुश्किल परिस्थितियों में सही निर्णय ले सकता है। यह परीक्षा इस बात की थी कि कौनसे उम्मीदवार में वास्तव में दूसरों की मदद करने का साहस और दिल है।
जानकीनाथ का साहस:
- जानकीनाथ ने न केवल किसान की मदद की, बल्कि खुद की चोट और कठिनाई को नजरअंदाज करते हुए गाड़ी को कीचड़ से बाहर निकाला। इस घटना ने उनके चरित्र की महानता को प्रकट किया।
अन्य उम्मीदवारों की प्रतिक्रिया:
- जब जानकीनाथ को दीवान पद के लिए चुना गया, तो अन्य उम्मीदवारों में ईर्ष्या उत्पन्न हो गई, लेकिन वे यह भी समझ गए कि जानकीनाथ ने सही मायनों में अपनी योग्यता साबित की है।
किसान का आभार:
- किसान ने जानकीनाथ का धन्यवाद किया और कहा कि उनके बिना वह सारी रात वहीं फंसा रह जाता। जानकीनाथ ने बिना किसी इनाम की इच्छा के उसकी मदद की, जिससे उनके स्वभाव की उदारता साफ झलकती है।
राजा साहब का अंतिम फैसला:
- राजा साहब ने जानकीनाथ के चयन को सही ठहराते हुए कहा कि ऐसे गुणों वाले लोग ही दीवान पद के लिए योग्य होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जानकीनाथ का साहस, आत्मबल, और दया इस रियासत के लिए सही साबित होंगे।
दीवान सज्जनसिंह का संतोष:
- दीवान सज्जनसिंह ने जानकीनाथ का चयन करके संतोष महसूस किया। उन्होंने राजा साहब के सामने यह साबित कर दिया कि उन्होंने सही व्यक्ति का चुनाव किया है, जो रियासत का भला करेगा।
कहानी का शिक्षा:
- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची योग्यता दिखावे में नहीं, बल्कि इंसान के अंदर छिपी उदारता, साहस और आत्मबल में होती है। ऐसे गुण ही किसी को बड़े पद के योग्य बनाते हैं।
कहानी का समापन:
- अंत में, यह कहानी इस संदेश के साथ समाप्त होती है कि जीवन में बाहरी सफलता से अधिक महत्वपूर्ण हैं वे आंतरिक गुण जो किसी को सच्चे अर्थों में महान बनाते हैं। राजा साहब और दीवान सज्जनसिंह ने जानकीनाथ के चयन के माध्यम से यह सिखाया कि सच्ची योग्यता को पहचानना सबसे बड़ा गुण है।
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