प्रथम कृषक एवं पशुपालक
प्रश्न 1: आरंभिक मानव का भोजन किस प्रकार का होता था, और उन्होंने कृषि की शुरुआत क्यों नहीं की?
उत्तर: आरंभिक मानव का भोजन जंगली फल, कंदमूल, और जानवरों के मांस पर आधारित था। वे शिकार करते थे और खाद्य पदार्थों को जंगलों से इकट्ठा करते थे। हालांकि उन्हें यह पता था कि बीज से पौधे उगते हैं, फिर भी उन्होंने खेती की शुरुआत नहीं की। इसका कारण यह हो सकता है कि वे प्राकृतिक रूप से उपलब्ध भोजन पर निर्भर थे और उन्हें खेती की आवश्यकता नहीं महसूस हुई। जिन लोगों ने खेती शुरू की, वे संभवतः नए क्षेत्रों में चले गए थे जहाँ जंगली फसलें उपलब्ध नहीं थीं, जिससे उन्होंने खेती की शुरुआत की।
प्रश्न 2: खेती की शुरुआत किस क्षेत्र में और कब हुई?
उत्तर: खेती की शुरुआत का अनुमान है कि यह ईरान और इराक की पहाड़ियों की तलहटी में हुई। लगभग 8000 से 10000 साल पहले वहाँ रहने वाले लोगों ने सबसे पहले खेती करना शुरू किया। बाद में यह ज्ञान अन्य क्षेत्रों में भी फैल गया और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में खेती का विकास हुआ।
प्रश्न 3: आरंभिक मानव ने खेती की शुरुआत कैसे की और इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर: आरंभिक मानव ने खेती की शुरुआत बीजों को जमीन में डालकर और उन्हें नियमित पानी देकर की। उन्होंने यह पाया कि कुछ महीनों में पौधे फल देने लगे, जिसे उन्होंने काटकर अनाज प्राप्त किया। इस प्रकार, खेती की शुरुआत हुई। इसके परिणामस्वरूप, आरंभिक मानव को अनाज का भंडार मिला जिसे वे संकट के समय उपयोग कर सकते थे। इसके साथ ही, उन्हें फसलों की देखभाल के लिए स्थायी रूप से एक स्थान पर रहना आवश्यक हो गया, जिससे आरंभिक गाँवों का गठन हुआ।
प्रश्न 4: नवपाषाण युग में मानव जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए?
उत्तर: नवपाषाण युग मानव जीवन में महत्वपूर्ण बदलावों का काल था। इस समय, मानव शिकारी और संग्रहकर्ता से पशुपालक और खाद्य उत्पादक बन गया। उन्होंने स्थायी गाँवों का गठन किया, एक सामाजिक संगठन का विकास हुआ, और पत्थर के औजारों का उपयोग अधिक प्रभावी ढंग से किया जाने लगा। इस युग में मिट्टी के बर्तन, कताई-बुनाई, और मृतकों के दफनाने जैसी प्रथाएँ भी विकसित हुईं। कुल मिलाकर, नवपाषाण युग में मानव जीवन स्थायी और सभ्य बना।
प्रश्न 5: आरंभिक मानव ने जानवरों को पालतू बनाने की शुरुआत कैसे की और इससे उन्हें क्या लाभ मिले?
उत्तर: आरंभिक मानव ने जानवरों को पालतू बनाने की शुरुआत तब की जब वे शिकार करते समय पशुओं के बच्चों को पकड़ लेते थे। उन्होंने पाया कि इन जानवरों को जिन्दा रखने से अधिक लाभ हो सकता है, जैसे कि उनसे मांस, दूध, और अन्य उपयोगी उत्पाद प्राप्त करना। पशुपालन से उन्हें खेती में भी सहायता मिली, और जानवरों की शक्ति का उपयोग वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में किया जाने लगा। इससे उनकी जीवनशैली में स्थायित्व और प्रगति आई।
प्रश्न 6: मेहरगढ़ और चिराँद के पुरास्थल नवपाषाण काल के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर: मेहरगढ़, जो वर्तमान पाकिस्तान में स्थित है, नवपाषाण काल का एक महत्वपूर्ण पुरास्थल है जहाँ से सबसे पहले गेहूँ, जौ उगाने और पशुपालन के साक्ष्य मिले हैं। यहाँ से आयताकार और चौकोर घरों के अवशेष और मृतकों के दफनाने के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। चिराँद, बिहार के छपरा जिले में स्थित, एक अन्य महत्वपूर्ण पुरास्थल है जहाँ से पत्थर और हड्डियों से बने औजार, मिट्टी के सुंदर बर्तन, और गेहूँ, धान, और मसूर के साक्ष्य मिले हैं। इन स्थलों से प्राप्त साक्ष्य नवपाषाण काल में मानव जीवन की प्रगति और स्थायित्व को दर्शाते हैं।
प्रश्न 7: खेती और पशुपालन की शुरुआत से मानव जीवन में क्या बदलाव आए?
उत्तर: खेती और पशुपालन की शुरुआत से मानव जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए। लोग स्थायी रूप से एक स्थान पर बसने लगे, जिससे गाँवों का गठन हुआ। कृषि और पशुपालन ने उन्हें खाद्य पदार्थों की सुरक्षा प्रदान की और उनकी जीविका स्थिर हो गई। उन्होंने मिट्टी के बर्तन, कपड़े, और स्थायी आवास बनाए। समूह में सहयोग बढ़ा और सामाजिक संगठन विकसित हुआ। कुल मिलाकर, खेती और पशुपालन ने मानव समाज को एक नई दिशा दी और इसे अधिक संगठित और स्थायी बनाया।
प्रश्न 8: नवपाषाण युगीन लोग पत्थरों के औजारों का उपयोग किस प्रकार करते थे?
उत्तर: नवपाषाण युगीन लोग पत्थरों के औजारों का उपयोग अधिक कुशलता और विविधता के साथ करते थे। वे छोटे, मजबूत, और धारदार पत्थर के औजार बनाते थे जिन्हें शिकार, खेती, और अन्य कार्यों में उपयोग किया जाता था। इन औजारों का निर्माण और उपयोग उनके दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था, और इन्हें बनाने में उनकी तकनीकी कुशलता का विकास हुआ।
प्रश्न 9: स्थायी गाँवों के निर्माण के साथ आरंभिक मानव की जीवनशैली में क्या प्रमुख परिवर्तन आए?
उत्तर: स्थायी गाँवों के निर्माण के साथ, आरंभिक मानव की जीवनशैली में कई प्रमुख परिवर्तन आए। वे एक स्थान पर बसने लगे, जिससे उन्हें फसलों और पशुओं की देखभाल करने में सुविधा हुई। उन्होंने मिट्टी के बर्तन बनाए, कपड़े पहने, और भोजन को सुरक्षित रखने के लिए अनाज का भंडारण किया। सामाजिक संगठन विकसित हुआ, जिसमें लोगों के बीच सहयोग और आपसी संबंध मजबूत हुए। इसके साथ ही, मृतकों के दफनाने की प्रथा भी शुरू हुई, जो उनके धार्मिक और सामाजिक जीवन का हिस्सा बनी।
प्रश्न 10: नवपाषाण युगीन मानव के जीवन में “मृतक संस्कार” का क्या महत्व था?
उत्तर: नवपाषाण युगीन मानव के जीवन में “मृतक संस्कार” का महत्व इस बात से पता चलता है कि उन्होंने अपने मृतकों को दफनाने की प्रथा विकसित की। यह प्रथा उनके धार्मिक और सामाजिक विश्वासों को दर्शाती है। मृतक संस्कार ने उनके समाज में एक नए प्रकार की सभ्यता और स्थायित्व को जन्म दिया, जो उनके जीवन के हर पहलू को अधिक संगठित और संरचित बनाने में सहायक रहा।
प्रश्न 11: आरंभिक मानव ने खेती करने की शुरुआत क्यों की, और इसका उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: आरंभिक मानव ने खेती करने की शुरुआत इसलिए की क्योंकि नए क्षेत्रों में जाकर उन्हें अपने आदत के अनुसार जंगली फल और अनाज नहीं मिल रहे थे। उन्होंने अपनी सूझबूझ का उपयोग करते हुए बीजों को जमीन में बो दिया और उन्हें नियमित रूप से पानी दिया। कुछ महीनों में जब पौधों में फल लग गए, तो उन्हें यह महसूस हुआ कि वे इस तरीके से अपने भोजन की आपूर्ति कर सकते हैं। इसका उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। खेती ने उन्हें स्थायी रूप से एक जगह बसने की आवश्यकता दी, जिससे गाँवों का विकास हुआ। अब वे स्थायी रूप से रहकर फसलों की देखभाल करने लगे और अनाज का भंडारण करने लगे, जिससे उनके जीवन में स्थायित्व और संरचना आई।
प्रश्न 12: पशुपालन के प्रारंभिक चरणों में आरंभिक मानव ने किन-किन बातों का ध्यान रखा, और इसके क्या लाभ हुए?
उत्तर: पशुपालन के प्रारंभिक चरणों में आरंभिक मानव ने उन जानवरों को पालतू बनाने का निर्णय लिया जो आसानी से भोजन प्राप्त कर सकते थे, उन्हें नुकसान नहीं पहुँचाते थे, और जिन्हें इधर-उधर ले जाया जा सकता था। उन्होंने विशेष रूप से कुत्तों, सुअरों, भेड़ों, और बकरियों को पालतू बनाया। इससे उन्हें कई तरह के लाभ प्राप्त हुए, जैसे कि मांस, दूध, और अन्य उत्पादों की आपूर्ति। इसके अलावा, जानवरों की शक्ति का उपयोग खेती और अन्य कार्यों में भी किया जाने लगा, जिससे उनका जीवन अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित हो गया।
प्रश्न 13: नवपाषाण युग में सामाजिक संगठन का विकास कैसे हुआ, और इसके क्या परिणाम थे?
उत्तर: नवपाषाण युग में सामाजिक संगठन का विकास तब हुआ जब मानव ने खेती और पशुपालन की शुरुआत की और स्थायी गाँव बसाए। अब लोग एक स्थान पर स्थायी रूप से रहने लगे, जिससे उनके बीच आपसी सहयोग और नाता-रिश्ता विकसित हुआ। वे फसल उगाने, अनाज का भंडारण करने, और अन्य दैनिक कार्यों में एक-दूसरे की मदद करने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि एक संगठित समाज का उदय हुआ, जिसमें लोगों के बीच आपसी समझ, समर्थन, और संरचना विकसित हुई। यह समाजिक संगठन बाद में अधिक जटिल और विकसित सभ्यताओं की नींव बना।
प्रश्न 14: नवपाषाण युग के लोगों द्वारा किए गए आविष्कारों में मिट्टी के बर्तनों का क्या महत्व था?
उत्तर: नवपाषाण युग के लोगों द्वारा किए गए आविष्कारों में मिट्टी के बर्तनों का बहुत महत्व था। इन बर्तनों का उपयोग अनाज का भंडारण, भोजन पकाने, और भोजन परोसने के लिए किया जाता था। बर्तन बनाने की कला ने उन्हें भोजन को सुरक्षित रखने और संरक्षित करने का एक साधन दिया, जिससे उनकी खाद्य सुरक्षा में वृद्धि हुई। इसके अलावा, मिट्टी के बर्तन एक स्थायी जीवन शैली और संगठित समाज के प्रतीक थे, जो नवपाषाण युग में मानव जीवन की प्रगति और स्थायित्व को दर्शाते हैं।
प्रश्न 15: मेहरगढ़ और चिराँद जैसे नवपाषाणकालीन स्थलों से हमें क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर: मेहरगढ़ और चिराँद जैसे नवपाषाणकालीन स्थलों से हमें उस समय के मानव जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। मेहरगढ़, जो वर्तमान पाकिस्तान में स्थित है, से सबसे पहले गेहूँ, जौ उगाने और पशुपालन के साक्ष्य मिले हैं। यहाँ के आयताकार और चौकोर घर, कृषि उत्पादों, और मृतकों के दफनाने के साक्ष्य नवपाषाण काल की उन्नत जीवन शैली का प्रमाण हैं। चिराँद, जो बिहार के छपरा जिले में स्थित है, से पत्थर और हड्डियों से बने औजार, मिट्टी के बर्तन, और अनाज के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। ये सभी साक्ष्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि नवपाषाण युग में मानव ने कृषि, पशुपालन, और स्थायी आवास को अपनाया और एक संगठित समाज की नींव रखी।
प्रश्न 16: नवपाषाण युगीन मानव ने मृतक संस्कार की परंपरा क्यों अपनाई, और इसका उनके समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: नवपाषाण युगीन मानव ने मृतक संस्कार की परंपरा इसलिए अपनाई क्योंकि वे अपने समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक विश्वासों को महत्व देते थे। मृतकों को दफनाने की प्रथा ने उनके जीवन में एक नई तरह की संरचना और सामाजिक स्थायित्व को जन्म दिया। इस परंपरा ने उनके समाज को अधिक संगठित और सभ्य बनाने में मदद की। मृतक संस्कार से यह भी पता चलता है कि नवपाषाण युगीन मानव ने अपने समाज में जीवन और मृत्यु के अर्थ को समझना शुरू कर दिया था, जिससे उनके धार्मिक और सामाजिक जीवन में एक नई दिशा मिली।
प्रश्न 17: नवपाषाण युग में तकनीकी कौशल में क्या प्रगति हुई, और इसका मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: नवपाषाण युग में तकनीकी कौशल में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। लोग पत्थरों से छोटे, मजबूत, और धारदार औजार बनाने लगे, जो अधिक कुशल और प्रभावी थे। उन्होंने मिट्टी के बर्तन, कपड़े, और स्थायी घर बनाए। इसके अलावा, उन्होंने कृषि और पशुपालन में भी नई तकनीकों का विकास किया। इस तकनीकी प्रगति का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इससे उनका जीवन अधिक सुविधाजनक, सुरक्षित, और स्थिर हो गया। तकनीकी कौशल ने उन्हें अधिक संगठित समाज बनाने में मदद की, जिससे नवपाषाण युग मानव सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
प्रश्न 18: नवपाषाण युग के लोग किस प्रकार के आवास में रहते थे, और इसका उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: नवपाषाण युग के लोग स्थायी आवासों में रहने लगे। उन्होंने मिट्टी और लकड़ी से बने घरों का निर्माण किया, जिनमें छप्पर वाली झोपड़ियाँ प्रमुख थीं। इन घरों ने उन्हें प्राकृतिक आपदाओं, जंगली जानवरों, और अन्य खतरों से सुरक्षित रखा। स्थायी आवासों में रहने से उनके जीवन में स्थायित्व आया और वे खेती, पशुपालन, और अन्य आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सके। स्थायी आवास ने उनके समाज में सामाजिक संगठन और संरचना को बढ़ावा दिया, जिससे नवपाषाण युग में सभ्यता का विकास हुआ।
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