गति के नियम नोट्स
चूंकि हम जानते हैं कि बिना कोई बल लगाए किसी पिंड को गतिशील अवस्था में नहीं लाया जा सकता है। अतः पिंड को गतिशील रखने के लिए किसी बाह्य बल की आवश्यकता होती है।
प्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक अरस्तु का मत था कि यदि कोई पिंड गतिमान है तो पिंड को गतिमान अवस्था बनाए रखने के लिए किसी बाह्य बल की आवश्यकता होगी।
अरस्तु का यह नियम दोषमुक्त रहा एवं वैज्ञानिक गैलीलियो ने इसका निर्माण किया।
गति के नियम नोट्स
गति के नियम अध्याय से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु नीचे दिए गए हैं –
• गुरुत्वाकर्षण बल एक असंपर्क बल है जबकि घर्षण बल एक संपर्क बल है।
• बस में खड़े यात्री का बस के अचानक चलने पर पीछे की ओर गिरना, विराम के जड़त्व का उदाहरण है।
• चलती ट्रेन से उतर जाने पर आगे की ओर गिरना, यह गति के जड़त्व का उदाहरण है।
• दाहिनीं ओर मुड़ती बस में बैठे यात्रियों का बायीं ओर झुकना, यह दिशा के जड़त्व का उदाहरण है।
• संवेग एक सदिश राशि है इसका मात्रक किग्रा-मीटर/सेकंड या न्यूटन-सेकंड होता है।
• गति के प्रथम नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं।
Viresh Kumar says
Thanks