विविधता में एकता या ‘एक में अनेक’
प्रश्न 1: पाठ के आरंभ में दिए गए दो उद्धरणों पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
पाठ के शुरू में रवींद्रनाथ टैगोर और श्री अरविंद के उद्धरण दिए गए हैं। टैगोर जी कहते हैं कि वे ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे कभी भी विविधता में एकता का आनंद खो न दें। इसका मतलब है कि भारत में अलग-अलग संस्कृतियाँ, भाषाएँ और परंपराएँ हैं, लेकिन फिर भी हम सब एक हैं। श्री अरविंद कहते हैं कि विविधता में एकता भारत की प्रकृति का हिस्सा है और यह हमें मजबूत बनाती है। कक्षा में हम इस पर चर्चा कर सकते हैं कि कैसे भारत में अलग-अलग लोग एक साथ मिलकर रहते हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। जैसे, हम अलग-अलग त्योहार मनाते हैं, लेकिन खुशी सबके साथ बाँटते हैं।
प्रश्न 2: राष्ट्रगान को पढ़िए। इसमें आप विविधता एवं एकता को कहाँ-कहाँ देखते हैं? इस पर दो अथवा तीन अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
हमारा राष्ट्रगान “जन गण मन” भारत की विविधता और एकता को बहुत सुंदर तरीके से दर्शाता है। पहले अनुच्छेद में, इसमें भारत के अलग-अलग क्षेत्रों जैसे पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा, द्रविड़, उत्कल और बंगाल का उल्लेख है। ये सभी जगहें अलग-अलग भाषाएँ, संस्कृतियाँ और परंपराएँ रखती हैं। इससे पता चलता है कि भारत में कितनी विविधता है। लेकिन फिर भी, ये सभी एक साथ “जन गण मन अधिनायक” को गाते हैं, जो हमारी एकता को दिखाता है।
दूसरे अनुच्छेद में, राष्ट्रगान में “विंध्य हिमाचल यमुना गंगा” जैसे प्राकृतिक स्थानों का ज़िक्र है। ये नदियाँ और पहाड़ भारत के अलग-अलग हिस्सों में हैं, लेकिन ये सब मिलकर हमारे देश को बनाते हैं। यह दिखाता है कि भले ही हमारे यहाँ अलग-अलग परिदृश्य हों, पर हम सब एक भारत के निवासी हैं। “तेरह नाम जागे” कहकर यह बताता है कि हर क्षेत्र का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है।
तीसरे अनुच्छेद में, “जय हे, जय हे, जय हे” से हम सबकी एकजुटता और देश के लिए प्यार झलकता है। हमारी भाषाएँ, कपड़े और खाना अलग हो सकते हैं, लेकिन हम सब एक राष्ट्र के लिए गर्व महसूस करते हैं। इस तरह राष्ट्रगान हमें सिखाता है कि विविधता के बावजूद हम एक हैं और साथ मिलकर देश की जय गाते हैं।
प्रश्न 3: पंचतंत्र की कुछ कहानियाँ चुनिए और चर्चा कीजिए कि उनके संदेश किस प्रकार आज भी प्रासंगिक हैं। क्या आप अपने क्षेत्र से संबंधित कोई अन्य कहानियाँ भी जानते हैं?
उत्तर:
पंचतंत्र की कहानियाँ बहुत पुरानी हैं, लेकिन उनके संदेश आज भी उपयोगी हैं। जैसे, “दो मित्र और भालू” कहानी में दो दोस्तों में से एक मुसीबत में अपने दोस्त को छोड़कर भाग जाता है। इससे हमें सीख मिलती है कि सच्चा दोस्त वही है जो मुश्किल समय में साथ दे। आज भी हमें ऐसे दोस्तों की ज़रूरत है जो मुसीबत में हमारा साथ न छोड़ें। दूसरी कहानी “लालची कुत्ता” में कुत्ता अपने हड्डी के टुकड़े के साथ नदी में अपना प्रतिबिंब देखता है और लालच में सब खो देता है। यह हमें सिखाती है कि लालच करने से नुकसान होता है, जो आज भी सच है।
मेरे क्षेत्र में एक कहानी है “चालाक खरगोश और शेर”। इसमें एक शेर जंगल के जानवरों को मारता है, लेकिन खरगोश अपनी चाल से उसे कुएँ में गिरा देता है। इससे हमें पता चलता है कि बुद्धि से बड़ी-बड़ी समस्याएँ हल की जा सकती हैं। यह संदेश आज भी स्कूल और घर में काम आता है।
प्रश्न 4: अपने क्षेत्र से कुछ लोककथाएँ एकत्रित कीजिए एवं उनके संदेशों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मेरे क्षेत्र से एक लोककथा है “राजा और चालाक चिड़िया”। इसमें एक राजा एक छोटी चिड़िया को पकड़ता है, लेकिन चिड़िया कहती है कि अगर उसे छोड़ दिया जाए तो वह तीन सलाह देगी। राजा मान जाता है और चिड़िया उसे सलाह देती है: (1) जो गया उसे भूल जाओ, (2) जो सच न लगे उसे मत मानो, और (3) अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करो। ये सलाह आज भी हमें सिखाती हैं कि हमें पुरानी बातों को भूलकर आगे बढ़ना चाहिए और सोच-समझकर फैसले लेने चाहिए।
दूसरी कहानी है “गरीब किसान और सोने का घड़ा”। इसमें एक गरीब किसान को खेत में सोने का घड़ा मिलता है, लेकिन वह उसे राजा को दे देता है। राजा उसकी ईमानदारी से खुश होकर उसे पुरस्कार देता है। इसका संदेश है कि ईमानदारी का फल हमेशा अच्छा मिलता है। ये दोनों कहानियाँ हमें अच्छे गुण सिखाती हैं।
प्रश्न 5: क्या आपने किसी प्राचीन कहानी को कला के माध्यम से दर्शाते या चित्रित होते हुए देखा है? यह एक मूर्तिकला, चित्रकला, नृत्य प्रस्तुति या कोई चलचित्र भी हो सकता है। अपने सहपाठियों के साथ कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैंने रामायण की कहानी को एक नृत्य प्रस्तुति में देखा है। मेरे स्कूल में पिछले साल एक कार्यक्रम हुआ था, जिसमें बच्चों ने “राम-सीता विवाह” और “रावण वध” के दृश्यों पर नृत्य किया था। इसमें राम और लक्ष्मण का किरदार नृत्य के ज़रिए दिखाया गया था, और सीता के हरण को भी बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया। संगीत और रंग-बिरंगे कपड़ों ने कहानी को और जीवंत बना दिया।
इसके अलावा, मैंने एक मंदिर में रामायण के चित्र भी देखे हैं, जहाँ दीवारों पर राम के जन्म से लेकर रावण के साथ युद्ध तक की कहानी चित्रों में बनाई गई थी। कक्षा में हम इस पर चर्चा कर सकते हैं कि कैसे ये कलाएँ हमें पुरानी कहानियों को समझने में मदद करती हैं और उन्हें आज भी जीवित रखती हैं।
प्रश्न 6: भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्वतंत्रता से पहले भारत के कई भागों की यात्रा के उपरांत कही गई निम्न पंक्तियों पर कक्षा में चर्चा कीजिए –
हर जगह मुझे एक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि मिली, जिसने उनके जीवन पर प्रभावशाली असर डाला। … भारत के महाकाव्य, रामायण एवं महाभारत और अन्य प्राचीन पुस्तकें, लोकप्रिय अनुवादों और व्याख्याओं में जनता के बीच व्यापक रूप से जानी जाती थीं। उनमें उपस्थित प्रत्येक लोकप्रिय घटना, कहानी और नैतिकता की बातें जनमानस के अंतर्मन पर अंकित थीं जो कि उसे सार्थक एवं समृद्ध बनाती थीं। निरक्षर ग्रामीणों को भी सैकड़ों श्लोक कंठस्थ थे एवं उनकी आपसी बातचीत में इन महाकाव्यों अथवा कुछ पुरानी कालजयी कहानियों के संदर्भों की प्रचुरता होती थी जो नैतिकता को प्रतिस्थापित करती थीं।
उत्तर:
जवाहरलाल नेहरू जी कहते हैं कि भारत के हर कोने में एक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है, जो लोगों के जीवन को प्रभावित करती है। इसका मतलब है कि हमारे देश में अलग-अलग भाषाएँ और रीति-रिवाज होने के बावजूद एक साझा संस्कृति है। वे बताते हैं कि रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य गाँवों में भी मशहूर थे। लोग इन्हें पढ़ते थे और इनकी कहानियों से नैतिकता सीखते थे।
उन्होंने यह भी कहा कि गाँव के अनपढ़ लोग भी इन कहानियों के श्लोक याद रखते थे और रोज़ की बातचीत में इनका ज़िक्र करते थे। इससे पता चलता है कि ये कहानियाँ सिर्फ किताबों में नहीं थीं, बल्कि लोगों के दिल और दिमाग में बसी थीं। कक्षा में हम चर्चा कर सकते हैं कि आज भी टीवी और किताबों में ये कहानियाँ लोकप्रिय हैं और हमें अच्छाई-बुराई का अंतर समझाती हैं।
महत्वपूर्ण प्रश्न (Page 125)
प्रश्न 1: भारतीय परिदृश्य में ‘विविधता में एकता’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
भारतीय परिदृश्य में ‘विविधता में एकता’ का अर्थ है कि भारत में बहुत सारी अलग-अलग चीज़ें जैसे भाषाएँ, संस्कृतियाँ, परंपराएँ, खान-पान और पहनावे हैं, लेकिन फिर भी हम सब एक देश के रूप में एकजुट हैं। उदाहरण के लिए, यहाँ लोग अलग-अलग त्योहार मनाते हैं जैसे होली, दीवाली, ईद और क्रिसमस, पर ये सब खुशी एक साथ बाँटते हैं। हमारी अलग-अलग भाषाएँ हो सकती हैं, लेकिन हम सब “भारतीय” होने के नाते एक हैं। यह एकता हमें मज़बूत बनाती है और दिखाती है कि हमारी विविधता हमें जोड़ती है, न कि तोड़ती है।
प्रश्न 2: भारत की विविधता के कौन-से पक्ष सर्वाधिक उल्लेखनीय हैं?
उत्तर:
भारत की विविधता के कई उल्लेखनीय पक्ष हैं। पहला, यहाँ 325 से ज़्यादा भाषाएँ बोली जाती हैं, जैसे हिंदी, तमिल, बंगाली और गुजराती, और हर भाषा की अपनी लिपि है। दूसरा, खान-पान में विविधता है; जैसे उत्तर भारत में पराठे, दक्षिण में डोसा और पूर्व में मछली-चावल खाया जाता है। तीसरा, पहनावे में अंतर है; जैसे साड़ी, धोती, लहंगा और फेरन अलग-अलग क्षेत्रों में पहने जाते हैं। चौथा, त्योहारों की विविधता है, जैसे मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। पाँचवाँ, प्राकृतिक विविधता है, जैसे हिमालय के पहाड़, राजस्थान के रेगिस्तान और केरल के समुद्र तट। ये सब भारत को खास बनाते हैं।
3. हम विविधता में निहित एकता का कैसे पता लगाते हैं?
उत्तर:
विविधता में एकता” वाक्यांश सद्भाव और शांति को दर्शाता है। यह सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न समूहों के बीच प्रयोग किया जाता है कि सहिष्णुता एक समान हो। जाति, पंथ, नस्ल और राष्ट्रीयता सभी विविधता के उदाहरण हैं। भारतीय साहित्य बहुत विविध है एवं विश्व के सबसे धनी साहित्यों में से एक है। भाषा, लेखन शैली की तकनीक आदि में अंतर होने के बावजूद सदियों से भारतीय साहित्य ने विश्व के महत्वपूर्ण विषयों एवं चिंताओं को साझा किया है। यह कहा जा सकता है कि हमारा भारत पूरे विश्व में अनूठा है। इसके जैसा कोई दूसरा राष्ट्र नहीं है। भले ही यहाँ कई जाति धर्म के लोग रहते है किन्तु इनमें किसी भी प्रकार कोई मतभेद नहीं है। यहाँ के लोग एक दूसरे के तीज – त्यौहार को सामूहिक रूप आयोजित करते हैं, और सभी उसका आन्नद लेते हैं। यही हमारी अनेकता में एकता की पहचान है। जिसे संसार में कोई न तो बदल सकता है, और ना ही कोई इसकी जगह ले सकता है।
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