भारत की सांस्कृतिक जड़ें
1. यदि आप नचिकेता होते तो आप यम से कौन-से प्रश्न पूछते? इन्हें 100–150 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
अगर मैं नचिकेता होता, तो मैं यम से ये सवाल पूछता:
“मृत्यु के बाद आत्मा कहाँ जाती है?”
“क्या हर इंसान की आत्मा एक जैसी होती है?”
“हम जो अच्छे या बुरे काम करते हैं, उनका फल हमें मृत्यु के बाद मिलता है या इसी जन्म में?”
“क्या मृत्यु से डरना सही है या इसे स्वीकार करना चाहिए?”
“आत्मा को शांति कैसे मिल सकती है?”
मुझे इन सवालों के जवाब जानना चाहता क्योंकि ये जीवन और मृत्यु के रहस्य को समझने में मदद करते। नचिकेता की तरह मैं भी सच जानने की इच्छा रखता हूँ। ये सवाल मुझे यह सोचने के लिए प्रेरित करते हैं कि हमारा जीवन कैसे बेहतर हो सकता है और मृत्यु के बाद क्या होता है। यम से जवाब सुनकर मैं अपने डर को भी दूर कर सकता हूँ।
2. बौद्ध मत के कुछ केंद्रीय विचारों को समझाइए। इन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: बौद्ध धर्म के केंद्रीय विचार:
(i) चार आर्य सत्य:
दुःख: जीवन दुःख और असंतोष से भरा है।
समुदाय (दुख का कारण): दुख का कारण इच्छा और आसक्ति है।
निरोध (दुख का अंत): इच्छा और आसक्ति पर काबू पाकर दुख को समाप्त करना संभव है।
मग्गा (दुख निवारण का मार्ग): दुख निवारण का मार्ग अष्टांगिक मार्ग है।
(ii) अष्टांगिक मार्ग:
सही समझ: प्राकृतिक वास्तविकता और परिवर्तन के मार्ग को समझना।
सही इरादा: नैतिक और मानसिक आत्म-सुधार के प्रति प्रतिबद्धता।
सम्यक वाणी: सत्य और दयालुता से बोलना।
सही आजीविका: इस तरह से जीविकोपार्जन करना जिससे दूसरों को नुकसान न पहुंचे।
सम्यक प्रयास: स्वयं को नकारात्मक स्थितियों से मुक्त करते हुए सकारात्मक स्थितियों का विकास करना।
सही सचेतनता: अपने शरीर, संवेदनाओं, भावनाओं और मन की अवस्थाओं के बारे में जागरूकता विकसित करना।
सही एकाग्रता: इस जागरूकता के लिए आवश्यक मानसिक ध्यान विकसित करना।
(iii) निर्वाण: बौद्ध धर्म में अंतिम लक्ष्य, दुख और पुनर्जन्म के चक्र का अंत, जीवन के बारे में सत्य की प्राप्ति के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।
बौद्ध धर्म मानव अस्तित्व की प्रकृति की गहन समझ प्रदान करता है और व्यक्ति परिवर्तन के लिए एक व्यावहारिक मार्ग प्रदान करता है।
3. बुद्ध के उस उद्धरण पर कक्षा में चर्चा कीजिए जो इस प्रकार है – “जल से व्यक्ति शुद्ध नहीं हो सकता, जबकि कई लोग यहाँ (पवित्र नदी में) स्नान करते हैं” ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सबको इसका अर्थ समझ में आ गया है।
उत्तर:
बुद्ध का यह उद्धरण कहता है कि केवल नदी में नहाने से मन की शुद्धि नहीं होती। लोग सोचते हैं कि पवित्र नदी में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं, लेकिन बुद्ध कहते हैं कि असली शुद्धि मन से आती है। अगर हमारे मन में सत्य और अच्छाई है, तभी हम शुद्ध होते हैं।
चर्चा का सार: कक्षा में हम यह समझ सकते हैं कि बाहरी चीजें जैसे पानी हमारे विचारों को साफ नहीं कर सकतीं। हमें अपने मन को अच्छे विचारों और कर्मों से शुद्ध करना चाहिए। यह हमें सिखाता है कि सच्चाई और धर्म हमारे अंदर होने चाहिए।
4. जैन मत के कुछ मुख्य विचारों को समझाइए। इन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: जैन धर्म के केंद्रीय विचार:
(i) अहिंसा: अहिंसा का सिद्धांत जैन नैतिकता का आधार है। यह शारीरिक अहिंसा से आगे बढ़कर विचार और वाणी में अहिंसा को भी शामिल करता है। जैन धर्मावलंबी किसी भी जीव को नुकसान नहीं पहुँचाने में विश्वास करते हैं, क्योंकि जीवन के सभी रूप आपस में जुड़े हुए हैं।
(ii) अनेकांतवाद: यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि वास्तविकता जटिल है और इसे कई दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है। कोई भी एकल दृष्टिकोण संपूर्ण सत्य का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। यह विभिन्न विचारों और विश्वासों के प्रति सहिष्णुता और समझ को बढ़ावा देता है।
(iii) अपरिग्रह: यह सिद्धांत निम्नलिखित की वकालत करता है। भौतिक सम्पत्ति और इच्छाओं से अलगाव। यह सादगी और संतोष के जीवन को प्रोत्साहित करता है, भौतिक संचय के बजाय आध्यात्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
जैन धर्म एक व्यापक नैतिक ढांचा प्रदान करता है जो शांति, सहिष्णुता और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है। अनेकांतवाद और अपरिग्रह के सिद्धांत खुले विचारों और एक स्थायी जीवन शैली को प्रोत्साहित करते हैं, जो व्यक्तिगत और सामाजिक कल्याण दोनों में योगदान देता है।
5. कक्षा में आंद्रे बेते के कथन पर विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर:
आंद्रे बेते का विचार: “भारतीय उपमहाद्वीप पर हजारों जातियाँ और जनजातियाँ इतिहास की शुरुआत से ही और उससे पहले से ही अपने धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं में एक-दूसरे को प्रभावित करती रही हैं। यह बात व्यापक रूप से स्वीकार की जाती है कि आदिवासी धर्म हिंदू धर्म से प्रभावित रहे हैं, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि हिंदू धर्म, न केवल अपने प्रारंभिक चरण में बल्कि अपने पूरे विकास के दौरान, आदिवासी धर्मों से प्रभावित रहा है।”
6. अपने स्थानीय क्षेत्र में लोकप्रिय देवी-देवताओं तथा उनसे जुड़े त्योहारों की एक सूची बनाइए।
उत्तर:
(i) दुर्गा पूजा: नवरात्रि के दौरान मनाई जाने वाली दुर्गा पूजा से संबंधित।
(ii) गणेश: गणेश चतुर्थी के दौरान मनाया जाता है।
(iii) कृष्ण: जन्माष्टमी के दौरान मनाया जाता है।
(iv) लक्ष्मी: दिवाली के दौरान पूजी जाती हैं।
(v) शिव: महाशिवरात्रि के दौरान मनाया जाता है।
7. कक्षा की गतिविधि के रूप में अपने क्षेत्र या राज्य के दो या तीन जनजातीय समूहों की सूची बनाइए। इनमें से कुछ की परंपरा और विश्वास प्रणालियों के बारे में लिखिए।
उत्तर:
गोंड जनजाति:
कला: वनस्पतियों, जीव-जंतुओं और दैनिक जीवन को दर्शाने वाली जटिल चित्रकलाओं के लिए प्रसिद्ध हैं।
विश्वास प्रणाली: गोंड जनजाति पेड़ों और जानवरों जैसे प्राकृतिक तत्वों की पूजा करती है, और उनके विश्वास में एक समूह देवताओं का समावेश होता है, जिनमें “बड़ा देव” प्रमुख है।
संथाल ट्राइब:
कला: अपने संगीत, नृत्य और पारंपरिक शिल्प के लिए जाने जाते हैं।
विश्वास प्रणाली: मारंग बुरु (महान पर्वत) और अन्य प्रकृति देवताओं की पूजा करें; सोहराल और बहा जैसे विस्तृत अनुष्ठान और त्योहार मनाते हैं।
सही या गलत
1.वैदिक ऋचाओं को ताड़-पत्र की पांडुलिपियों पर लिखा गया है।
उत्तर: गलत। वैदिक ऋचाएँ पहले मौखिक रूप से याद की गईं, लिखी नहीं गईं।
2. वेद भारत के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं।
उत्तर: सही। वेद बहुत पुराने हैं और भारत के सबसे प्राचीन ग्रंथ माने जाते हैं।
3. वैदिक कथन “एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति” में ब्रह्मांड की शक्तियों की एकता की मान्यता प्रकट होती है।
उत्तर: सही। इसका मतलब है कि सत्य एक है, पर उसे अलग-अलग नाम दिए जाते हैं।
4. बौद्ध मत वेदों से अधिक पुराना है।
उत्तर: गलत। वेद बौद्ध मत से पुराने हैं।
5. जैन मत का उद्भव बौद्ध मत की एक शाखा के रूप में हुआ।
उत्तर: गलत। जैन मत अलग से शुरू हुआ, बौद्ध मत से इसका कोई संबंध नहीं है।
6. बौद्ध और जैन मत दोनों ही शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व तथा सभी जीवों को नुकसान न पहुँचाने का समर्थन करते हैं।
उत्तर: सही। दोनों मत अहिंसा और शांति की बात करते हैं।
7. जनजातीय विश्वास परंपराएँ आत्मा और छोटे देवों तक सीमित हैं।
उत्तर: गलत। जनजातियाँ प्रकृति और उच्च देवताओं को भी मानती हैं।
महत्वपूर्ण प्रश्न (Page 105)
1. वेद क्या हैं? इनका संदेश क्या है?
उत्तर:
वेद भारत के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं। “वेद” शब्द “विद्” से आया है, जिसका अर्थ है “ज्ञान”। चार वेद हैं – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। ये ग्रंथ पहले लिखे नहीं गए थे, बल्कि मौखिक रूप से पीढ़ियों तक याद रखे गए। इनमें कविताएँ और प्रार्थनाएँ हैं, जो सप्तसिंधु क्षेत्र में ऋषियों और ऋषिकाओं ने रचीं।
संदेश: वेदों का मुख्य संदेश है कि सत्य एक है, पर उसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है (“एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति”)। ये लोगों के बीच एकता, सत्य और ब्रह्मांड के नियम (ऋत) को बनाए रखने की बात करते हैं। वेद हमें अच्छे कर्म करने और शांति से रहने की सीख देते हैं।
2. प्रथम सहस्त्राब्दी सा.सं.पू. में भारत में कौन-कौन से नए दर्शन/मत उभरे? इनके मूल सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर:
प्रथम सहस्त्राब्दी सा.सं.पू. में भारत में कई नए दर्शन और मत उभरे। इनमें से मुख्य हैं:
1. उपनिषद् (वेदांत):
- उद्भव: ये वेदों से निकले और पहली सहस्त्राब्दी में विकसित हुए।
- मूल सिद्धांत: सब कुछ एक दैवी तत्व “ब्रह्म” से बना है। “अहम् ब्रह्मास्मि” (मैं ब्रह्म हूँ) और “तत् त्वम् असि” (वह तुम हो) इसका आधार है। ये पुनर्जन्म, कर्म और आत्मा की बात करते हैं। सभी जीव आपस में जुड़े हैं और शांति के लिए प्रार्थना करते हैं (“सर्वे भवन्तु सुखिनः”)।
2. बौद्ध मत:
- उद्भव: सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) ने 6ठी शताब्दी सा.सं.पू. में शुरू किया।
- मूल सिद्धांत: अहिंसा, कर्म और दुख से मुक्ति। बुद्ध ने कहा कि अज्ञान और लालच दुख का कारण हैं। स्वयं पर विजय पाना सबसे बड़ी जीत है।
3. जैन मत:
- उद्भव: महावीर ने 6ठी शताब्दी सा.सं.पू. में इसे मजबूत किया।
- मूल सिद्धांत: अहिंसा (सब जीवों को नुकसान न देना), अनेकांतवाद (सत्य के कई पहलू) और अपरिग्रह (कम चीजों से जीवन जीना)। सभी जीव आपस में जुड़े हैं।
योग:
- उद्भव: वेदों से निकला।
- मूल सिद्धांत: शरीर और मन को जोड़कर ब्रह्म को जानना।
3. लोक और जनजातीय परंपराओं का भारतीय संस्कृति में क्या योगदान रहा है?
उत्तर:
लोक और जनजातीय परंपराओं ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध बनाया है। ये मौखिक रूप से फैलीं, लिखित शास्त्रों से नहीं।
इनका योगदान इस तरह है:
- देवताओं का मेल: जनजातियों के देवता जैसे भगवान जगन्नाथ और देवी माँ के रूप हिंदू धर्म में शामिल हुए। हिंदू देवता भी जनजातियों में लोकप्रिय हुए।
- प्रकृति पूजा: दोनों में नदियों, पेड़ों, पहाड़ों को पवित्र माना जाता है। जैसे, टोडा जनजाति नीलगिरि के शिखरों को देवता मानती है।
- कहानियाँ और कला: लोक कथाएँ और जनजातीय नृत्य, गीत भारतीय संस्कृति का हिस्सा बने। रामायण और महाभारत के जनजातीय रूप भी हैं।
- समान विश्वास: दोनों में कर्म, आत्मा और उच्चतर देवत्व की सोच है, जैसे संतालों का सिंगबोंगा।
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