इतिहास की समय-रेखा एवं उसके स्रोत
1. एक परियोजना के रूप में अपने आस-पास उपलब्ध इतिहास के स्रोतों का उपयोग करते हुए अपने परिवार (यदि आप गाँव में रहते हैं, तो गाँव) का इतिहास लिखिए। परियोजना के लिए अपने शिक्षक से मार्गदर्शन हेतु निवेदन कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
2. क्या हम इतिहासकारों की तुलना जासूसों से कर सकते हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर:
हाँ, हम इतिहासकारों की तुलना जासूसों से कर सकते हैं। जैसे जासूस किसी रहस्य को सुलझाने के लिए सुराग ढूँढते हैं, वैसे ही इतिहासकार अतीत को समझने के लिए स्रोतों जैसे सिक्के, शिलालेख, और पुरानी किताबों का इस्तेमाल करते हैं। जासूस की तरह इतिहासकार भी बहुत ध्यान से हर चीज़ को देखते हैं और सोचते हैं कि क्या सच हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई पुराना बर्तन मिलता है, तो इतिहासकार यह पता लगाते हैं कि वह किस समय का है और लोग उसे कैसे इस्तेमाल करते थे। इस तरह दोनों का काम सुरागों से सच ढूँढना है।
इतिहासकार | जासूस |
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प्राचीन शिलालेख, दस्तावेज़, साहित्य, और पुरातात्विक अवशेषों का अध्ययन करते हैं। | अपराध स्थल पर साक्ष्य और गवाहों के बयान एकत्र करते हैं। |
वे प्राचीन काल की घटनाओं और जीवन शैली को पुनः निर्मित करने का प्रयास करते हैं। | वे अपराध या घटना का पुनर्निर्माण करते हैं ताकि घटना के क्रम को समझा जा सके। |
जब साक्ष्य अधूरे होते हैं, तो वे तर्क और संभावनाओं का सहारा लेते हैं। | वे उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अपराधी की पहचान और घटना के पीछे की मंशा का अनुमान लगाते हैं। |
ऐतिहासिक स्रोतों में मिथकों और असत्य बातों को अलग करके सच्चाई का पता लगाते हैं। | झूठे गवाहियों और भ्रम फैलाने वाले सबूतों के बीच सत्य खोजते हैं। |
3. तिथियों के साथ कुछ अभ्यास-
→ समय-रेखा पर निम्नलिखित तिथियों को कालक्रमानुसार लगाइए-323 सा.सं., 323 सा.सं.पू., 100 सा.सं., 100 सा.सं.पू., 1900 सा.सं.पू., 1090 सा.सं., 2024 सा.सं.
उत्तर:
समय-रेखा पर तिथियाँ सबसे पुरानी से सबसे नई तक इस तरह होंगी:
- 1900 सा.सं.पू. (सबसे पुराना)
- 323 सा.सं.पू.
- 100 सा.सं.पू.
- 100 सा.सं.
- 323 सा.सं.
- 1090 सा.सं.
- 2024 सा.सं. (सबसे नया, आज का साल)
→ यदि सम्राट चंद्रगुप्त का जन्म 320 सा.सं.पू. में हुआ तो बताइए उनका संबंध किस शताब्दी से था? उनका जन्म बुद्ध के जन्म से कितने वर्ष पश्चात हुआ?
उत्तर: चंद्रगुप्त का संबंध चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से था। उनका जन्म बुद्ध के जन्म के 243 वर्ष बाद हुआ।
→ झाँसी की रानी का जन्म 1828 सा.सं. में हुआ। उनका संबंध किस शताब्दी से है? उनका जन्म भारत की स्वतंत्रता से कितने वर्ष पूर्व हुआ?
उत्तर:
शताब्दी: झाँसी की रानी का जन्म 1828 सा.सं. में हुआ। सा.सं. में शताब्दी 100-100 साल से गिनी जाती है। 1801 से 1900 तक 19वीं शताब्दी होती है। चूँकि 1828, 1801 से 1900 के बीच आता है, इसलिए उनका संबंध 19वीं शताब्दी सा.सं. से है।
भारत की स्वतंत्रता से कितने वर्ष पहले: भारत की स्वतंत्रता 1947 सा.सं. में हुई। झाँसी की रानी का जन्म 1828 सा.सं. में हुआ। अंतर निकालने के लिए: 1947 – 1828 = 119। इसलिए उनका जन्म भारत की स्वतंत्रता से 119 वर्ष पहले हुआ।
→ ‘12,000 वर्ष पूर्व’ को तिथि के रूप में बदलें।
उत्तर:
आज की तारीख 2025 सा.सं. है। 12,000 वर्ष पहले का मतलब आज से 12,000 साल पीछे जाना। तो, 2025 – 12,000 = -9975। लेकिन सा.सं.पू. में “शून्य वर्ष” नहीं होता, इसलिए इसे 9975 सा.सं.पू. लिखते हैं। इसका जवाब है 9975 सा.सं.पू.।
4. किसी निकटतम संग्रहालय के भ्रमण की योजना बनाइए। संग्रहालय की प्रदर्शनियों के विषय में पहले से कुछ जानकारी जुटा लीजिए। इस भ्रमण के दौरान टिप्पणियाँ तैयार कीजिए। भ्रमण के पश्चात एक संक्षिप्त रिपोर्ट लिखिए और उसमें भ्रमण से जुड़ी स्मृतियों एवं रोचक बातों या घटनाओं को रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
मैं अपने दोस्तों और शिक्षक के साथ नजदीकी संग्रहालय जाने की योजना बनाऊँगा। सबसे पहले, मैं इंटरनेट या किताबों से संग्रहालय के बारे में जानकारी लूँगा, जैसे वहाँ क्या-क्या प्रदर्शित है – पुराने सिक्के, मूर्तियाँ, या हथियार। भ्रमण के दिन, मैं एक नोटबुक ले जाऊँगा और जो चीज़ें देखूँगा, उनके बारे में लिखूँगा, जैसे “यहाँ एक पुराना सिक्का है जो 200 सा.सं. का है”। बाद में, मैं एक रिपोर्ट लिखूँगा जिसमें बताऊँगा कि मुझे सबसे अच्छा क्या लगा, जैसे “मुझे एक मिट्टी का घड़ा देखकर बहुत मज़ा आया, जो 1000 साल पुराना था। यह सोचना रोचक था कि लोग इसे कैसे इस्तेमाल करते होंगे।” मैं अपनी यादों में यह भी लिखूँगा कि वहाँ जाना कितना मजेदार था।
5. अपने विद्यालय में किसी पुरातत्व विज्ञानी अथवा इतिहासकार को आमंत्रित कीजिए और उनसे स्थानीय इतिहास एवं उसे जानना क्यों महत्वपूर्ण है, इस विषय में व्याख्यान देने का आग्रह कीजिए।
उत्तर:
मैं अपने शिक्षक से कहूँगा कि वे स्कूल में एक पुरातत्व विज्ञानी या इतिहासकार को बुलाएँ। हम सब मिलकर उन्हें एक पत्र लिख सकते हैं जिसमें हम उनसे अनुरोध करेंगे कि वे हमारे शहर या गाँव के इतिहास के बारे में बताएँ। मैं उनसे यह भी पूछना चाहूँगा कि हमारे इलाके का इतिहास जानना क्यों ज़रूरी है। उदाहरण के लिए, यह जानना कि हमारे यहाँ पहले क्या-क्या हुआ, हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझने में मदद करता है। उनके व्याख्यान से हमें अपने आस-पास की पुरानी चीज़ों को देखने का नया नज़रिया मिलेगा।
महत्वपूर्ण प्रश्न (Page 59)
1. हम ऐतिहासिक काल की गणना किस प्रकार करते हैं?
उत्तर: हम ऐतिहासिक काल की गणना तिथियों और कालखंडों के आधार पर करते हैं, जिसमें ईसा पूर्व (BC) और ईसवी (AD) का उपयोग होता है। पुरालेख, शिलालेख, सिक्के, साहित्य, और अभिलेखीय प्रमाण समय की सटीकता निर्धारित करने में मदद करते हैं। इसके माध्यम से इतिहास को व्यवस्थित रूप से वर्गीकृत किया जाता है। इसी प्रकार हम ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में विभिन्न स्रोतों से जानकारी एकत्रित कर सकते हैं।
2. इतिहास को समझने के लिए विभिन्न स्रोत हमारी किस प्रकार सहायता कर सकते हैं?
उत्तर: इतिहास को समझने के लिए विभिन्न स्रोत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये स्रोत हमें अतीत की घटनाओं, समाज, संस्कृति और जीवनशैली के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। अनेक लोग पृथ्वी के इतिहास का अध्ययन करते हैं। उनमें से कुछ लोग पृथ्वी की सतह के नीचे के रहस्यों को जानने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। इस तरह वे पृथ्वी के अतीत के साथ ही हमारे अतीत को भी समझने में सहायता करते हैं।
3. आदिमानव किस प्रकार रहते थे?
उत्तर: आदिमानव को प्रकृति से अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। एक-दूसरे की सहायता करने के लिए वे टोलियों अथवा समूहों में रहते थे। वे मुख्यतः आखेटक एवं खाद्य संग्राहक थे तथा भोजन एवं आश्रय की निरंतर खोज करते रहते थे। इसका अर्थ है कि वे अपने जीवन के लिए खाने योग्य पौधों एवं फलों के संग्रह व आखेट पर निर्भर थे। हमारे आदि-पूर्वजों के प्राकृतिक तत्वों को लेकर कुछ निश्चित विश्वास थे, संभवतः उनकी मरणोपरांत जीवन को लेकर भी कुछ धारणाएँ थीं।
यह समूह अस्थायी शिविरों, शैलाश्रयों अथवा गुफाओं में रहते थे एवं एक-दूसरे से जिन भाषाओं में संवाद करते थे, वे अब लुप्त हो चुकी हैं। उन्होंने अग्नि का उपयोग किया। पत्थर की उन्नत कुल्हाड़ियाँ एवं ब्लेड्स, नुकीले तीरों एवं अन्य उपकरणों आदि के निर्माण ने उनके जीवन को सरल बना दिया। संपूर्ण विश्व की सैकड़ों गुफाओं के शैल-चित्रों में उनके जीवन के विविध आयाम दिखाई देते हैं।
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