हमारे आस-पास की आर्थिक गतिविधियां
1. प्राथमिक क्षेत्रक क्या है? यह द्वितीयक क्षेत्रक से किस प्रकार भिन्न है? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्रक वह क्षेत्रक है जिसमें लोग प्रकृति से सीधे चीजें प्राप्त करते हैं, जैसे कि खेती करना, मछली पकड़ना या जंगल से लकड़ी इकट्ठा करना। इसमें कच्चा माल निकाला जाता है।
द्वितीयक क्षेत्रक इससे अलग है क्योंकि इसमें प्राथमिक क्षेत्रक से मिले कच्चे माल को बदलकर नई चीजें बनाई जाती हैं, जैसे कि कारखानों में सामान बनाना।
उदाहरण:
- प्राथमिक क्षेत्रक: खेती करना, मछली पकड़ना।
- द्वितीयक क्षेत्रक: लकड़ी से फर्नीचर बनाना, कपास से कपड़े बनाना।
2. द्वितीयक क्षेत्रक किस प्रकार से तृतीयक क्षेत्रक पर निर्भर है? उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
द्वितीयक क्षेत्रक में कारखानों में बनी चीजों को तृतीयक क्षेत्रक की मदद से लोगों तक पहुँचाया जाता है। तृतीयक क्षेत्रक सेवाएँ देता है, जैसे परिवहन, दुकानें चलाना या बिक्री करना, जो द्वितीयक क्षेत्रक के सामानों को बेचने में मदद करता है।
उदाहरण:
कारखाने में दूध से मक्खन बनाया जाता है (द्वितीयक क्षेत्रक), लेकिन उसे ट्रक से दुकानों तक ले जाना और वहाँ बेचना (तृतीयक क्षेत्रक) जरूरी है। बिना परिवहन और दुकानों के मक्खन लोगों तक नहीं पहुँच सकता।
3. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों के बीच परस्पर निर्भरता का एक उदाहरण दीजिए। इसके प्रभाव चित्र (फ्लोचार्ट) का प्रयोग करते हुए समझाइए।
उत्तर:
उदाहरण: गेहूँ से रोटी बनाना।
- प्राथमिक क्षेत्रक: किसान खेत में गेहूँ उगाता है।
- द्वितीयक क्षेत्रक: कारखाने में गेहूँ से आटा बनाया जाता है।
- तृतीयक क्षेत्रक: दुकानदार आटे को बेचता है और ट्रक चालक इसे दुकान तक पहुँचाता है।
प्रभाव चित्र (फ्लोचार्ट):
प्राथमिक क्षेत्रक: गेहूँ उगाना
↓
द्वितीयक क्षेत्रक: गेहूँ से आटा बनाना
↓
तृतीयक क्षेत्रक: आटे को दुकान तक ले जाना और बेचना
अगर प्राथमिक क्षेत्रक में गेहूँ नहीं उगेगा, तो द्वितीयक क्षेत्रक में आटा नहीं बनेगा, और तृतीयक क्षेत्रक में बेचने के लिए कुछ नहीं होगा। इस तरह तीनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
महत्वपूर्ण प्रश्न (Page 195)
1. आर्थिक गतिविधियों को किस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है?
उत्तर:
कुछ आर्थिक गतिविधियों में समान विशेषताएँ होती हैं और इनके आधार पर इन्हें एक समूह या व्यापक समूह में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिन्हें आर्थिक क्षेत्रक कहते हैं। प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक तीन प्रकार के मुख्य आर्थिक क्षेत्रक हैं।
2. विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को क्षेत्रकों (सेक्टरों) में समूहबद्ध करने का क्या आधार है?
उत्तर:
आर्थिक गतिविधियों को क्षेत्रकों में समूहबद्ध करने का आधार यह है कि वे कैसे काम करती हैं और उनका उद्देश्य क्या है:
- प्राथमिक क्षेत्रक: इसका आधार प्रकृति से कच्चा माल प्राप्त करना है, जैसे खेती या खनन।
- द्वितीयक क्षेत्रक: इसका आधार कच्चे माल को बदलकर तैयार सामान बनाना है, जैसे कारखानों में उत्पादन।
- तृतीयक क्षेत्रक: इसका आधार दूसरों को सेवाएँ देना है, जैसे परिवहन, शिक्षा या दुकानदारी।
इस तरह उनके काम करने के तरीके और भूमिका के आधार पर इन्हें समूहों में बाँटा जाता है।
3. यह तीन क्षेत्रक (सेक्टर) आपस में किस प्रकार संबंधित हैं?
उत्तर: यह तीन क्षेत्रक (सेक्टर) आपस में कुछ इस प्रकार संबंधित हैं–
(i) तृतीयक क्षेत्र प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(ii) यह क्षेत्र वस्तुओं का प्रत्यक्ष उत्पादन नहीं करता, बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहायता प्रदान करता है।
(iii) इसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है, क्योंकि यह मुख्यतः सेवाओं का सृजन करता है।
(iv) भारतीय अर्थव्यवस्था में तृतीयक क्षेत्र का योगदान अन्य क्षेत्रों की तुलना में सबसे अधिक है।
(v) द्वितीयक क्षेत्र का योगदान तृतीयक क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर आता है।
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