भारत की सांस्कृतिक जड़ें
भारतीय संस्कृति की शुरुआत:
भारतीय संस्कृति बहुत पुरानी है, जो हजारों सालों से चली आ रही है।
यह एक बड़े पेड़ की तरह है, जिसमें जड़ें (मूल) और शाखाएँ (विभिन्न पहलू) हैं।
शाखाएँ: कला, साहित्य, विज्ञान, चिकित्सा, धर्म, शासन, युद्ध कलाएँ आदि।
सांस्कृतिक जड़ें:
ये जड़ें सिंधु-सरस्वती सभ्यता से जुड़ी हैं।
समय के साथ भारत में कई दर्शन (विचारधाराएँ) विकसित हुए, जैसे वैदिक, बौद्ध, जैन आदि।
वेद और वैदिक संस्कृति
1.वेद क्या हैं?
वेद का अर्थ है “ज्ञान”।
चार वेद: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।
ये भारत के सबसे पुराने ग्रंथ हैं, जो मौखिक रूप से पीढ़ियों तक चले।
रचना: 5वीं से 2री सहस्त्राब्दी सा.सं.पू. के बीच।
इन्हें सप्तसिंधु क्षेत्र में ऋषियों और ऋषिकाओं ने लिखा।
इसमें देवताओं (इंद्र, अग्नि, सरस्वती आदि) की प्रार्थनाएँ हैं।
मुख्य विचार: “एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति” – सत्य एक है, पर लोग इसे अलग-अलग नाम देते हैं।
2. वैदिक समाज:
समाज “जन” (लोगों के समूह) में बँटा था, जैसे भरत, पुरु, कुरु आदि।
व्यवसाय: किसान, बुनकर, कुम्हार, पुजारी आदि।
शासन: राजा, सभा और समिति के संकेत मिलते हैं।
3. वैदिक दर्शन:
यज्ञ और अनुष्ठान देवताओं के लिए किए जाते थे।
उपनिषद्: पुनर्जन्म, कर्म और ब्रह्म की बात करते हैं।
ब्रह्म: एक दैवी तत्व, जो सबमें है।
विचार: “अहम् ब्रह्मास्मि” (मैं ब्रह्म हूँ), “तत् त्वम् असि” (वह तुम हो)।
प्रार्थना: “सर्वे भवन्तु सुखिनः” – सभी सुखी हों।
बौद्ध मत
1. शुरुआत:
सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) का जन्म लगभग 560 सा.सं.पू. में लुंबिनी में हुआ।
29 साल की उम्र में दुख देखकर संन्यास लिया।
बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान से ज्ञान प्राप्त किया।
2. मुख्य विचार:
अहिंसा: किसी को चोट न पहुँचाना।
दुख का कारण: अविद्या (अज्ञान) और मोह।
उपदेश: “स्वयं पर विजय सबसे बड़ी जीत है।”
संघ: भिक्षुओं और भिक्षुणियों का समूह बनाया।
जैन मत
1. शुरुआत:
वर्धमान (महावीर) का जन्म 6ठी शताब्दी सा.सं.पू. में वैशाली के पास हुआ।
30 साल की उम्र में संन्यास लिया, 12 साल बाद ज्ञान प्राप्त किया।
2. मुख्य विचार:
अहिंसा: सभी जीवों को नुकसान न पहुँचाना।
अनेकांतवाद: सत्य के कई पहलू होते हैं।
अपरिग्रह: कम चीजों से जीवन जीना।
सभी जीव एक-दूसरे से जुड़े हैं।
लोक और जनजातीय जड़ें
1. लोक परंपराएँ:
मौखिक रूप से ज्ञान आगे बढ़ाया गया।
आम लोग और जनजातियाँ इसमें शामिल।
2. जनजातियाँ:
समूह जो एक संस्कृति और भाषा साझा करते हैं।
2011 में भारत में 705 जनजातियाँ थीं।
प्रकृति (पहाड़, नदियाँ, पेड़) को पवित्र मानते हैं।
उदाहरण: टोडा जनजाति (नीलगिरि), डोनीपोलो (अरुणाचल)।
3. हिंदू दर्शन से संबंध:
लोक, जनजाती और हिंदू मान्यताओं में विचारों का आदान-प्रदान हुआ।
जैसे: जगन्नाथ और देवी माता जनजातीय मूल के हैं।
समानताएँ और अंतर
- समानताएँ: धर्म, कर्म, पुनर्जन्म, अहिंसा, दुख से मुक्ति।
- अंतर: वेदों को बौद्ध और जैन ने नहीं माना, अपनी राह बनाई।
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