प्रमुख बिंदु:
यह अध्याय पृथ्वी के विभिन्न स्थलरूपों (लैंडफॉर्म्स) और उनके जीवन से संबंध के बारे में बताता है।
स्थलरूप पृथ्वी की सतह के भौतिक स्वरूप हैं, जो लाखों वर्षों में बनते हैं।
इन्हें तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है: पर्वत, पठार, और मैदान।
1. पर्वत
विशेषताएँ:
- पर्वत ऊँचे स्थलरूप होते हैं, जिनका आधार चौड़ा, ढलान खड़ी और शिखर संकरा होता है।
- कुछ पर्वत हिम से ढके होते हैं, जैसे हिमालय।
- कम ऊँचाई वाले ऊँचे स्थान को पहाड़ी कहते हैं, जिनके शिखर गोल होते हैं।
प्रकार:
- हिमालय: युवा और ऊँचे पर्वत।
- अरावली: पुराने और गोलाकार पर्वत।
वनस्पति और जीव-जंतु:
- पर्वतीय वन में शंकुधारी वृक्ष (पाइन, देवदार) पाए जाते हैं।
- ऊँचाई पर घास, मॉस (काई), और लाइकेन उगते हैं।
- जीव: हिम तेंदुआ, याक, भालू आदि।
जीवन:
- कृषि: ढलानों पर वेदिका कृषि (सीढ़ीदार खेती) होती है।
- पशुपालन और पर्यटन आय के साधन हैं।
- चुनौतियाँ: भूस्खलन, हिमधाव (ऐवलांश), बादल फटना।
उदाहरण:
- हिमालय, आल्प्स, एंडीज।
- माउंट एवरेस्ट (8849 मीटर) विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत।
2. पठार
विशेषताएँ:
- पठार सपाट सतह वाले ऊँचे स्थलरूप होते हैं, जिनके किनारे ढलान वाले होते हैं।
- ऊँचाई: कुछ सौ मीटर से हजारों मीटर तक।
प्रकार:
- तिब्बत का पठार: विश्व का सबसे ऊँचा पठार (4,500 मीटर), इसे “विश्व की छत” कहते हैं।
- दक्षिणी पठार: पुराना और ज्वालामुखी से बना।
विशेष:
- खनिजों का भंडार (लौह, कोयला)।
- ज्वालामुखी से बने पठार उपजाऊ होते हैं (काली मिट्टी)।
- जल प्रपात: हुंडरू, जोग, नहकालीकाई।
जीवन:
- खनन मुख्य गतिविधि।
- कृषि कम होती है, लेकिन कुछ क्षेत्र उपजाऊ हैं।
3. मैदान
विशेषताएँ:
- मैदान सपाट या हल्के तरंगित भूमि होते हैं।
- ऊँचाई: समुद्र तल से 300 मीटर तक।
- नदियाँ तलछट (रेत, गाद) लाकर मिट्टी को उपजाऊ बनाती हैं।
उदाहरण:
- गंगा का मैदान: भारत का सबसे बड़ा मैदान।
जीवन:
- मुख्य व्यवसाय: कृषि (चावल, गेहूँ) और मत्स्य पालन।
- जनसंख्या: विश्व के अधिकांश लोग मैदानों में रहते हैं।
- नौका परिवहन और सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती हैं।
चुनौतियाँ:
- जनसंख्या वृद्धि, प्रदूषण, जलस्तर में कमी।
अन्य स्थलरूप: मरुस्थल
विशेषताएँ:
- शुष्क क्षेत्र, कम वर्षा।
- प्रकार: गर्म (थार, सहारा) और ठंडे (गोबी)।
जीवन:
- लोग पर्यावरण के अनुसार ढल गए हैं।
- थार मरुस्थल में लोक गीत और संस्कृति समृद्ध है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- पर्वत: ऊँचे, खड़ी ढलान, हिमाच्छादित, वन और पशुपालन।
- पठार: सपाट, खनिजों से भरपूर, जल प्रपात।
- मैदान: उपजाऊ, कृषि और जनसंख्या के केंद्र।
- मानव ने हर स्थलरूप में अपने को ढाला है, जो उसकी लचीलापन (रेजिलियंस) को दर्शाता है।
सांस्कृतिक संबंध:
- पर्वत और नदियाँ पवित्र माने जाते हैं (जैसे गंगा, कैलाश पर्वत)।
- प्राचीन तमिल संगम कविता में 5 दृश्यभूमियाँ (टिनै) बताई गई हैं, जो प्रकृति और भावनाओं से जुड़ी हैं।
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