हमारे आस-पास की आर्थिक गतिविधियां
मुख्य बिंदु:
- आर्थिक गतिविधियाँ: ऐसी गतिविधियाँ जिनसे पैसे कमाए जाते हैं, जैसे खेती, मशीन बनाना, दुकान चलाना आदि।
- गैर-आर्थिक गतिविधियाँ: जिनसे पैसा नहीं कमाया जाता, जैसे घर का काम।
- आर्थिक गतिविधियाँ समृद्धि लाती हैं, इनके बिना तनाव बढ़ता है।
- पहले लोग खेती, पशुपालन, बर्तन बनाना आदि करते थे। अब नई गतिविधियाँ जैसे सॉफ्टवेयर बनाना, मोबाइल ठीक करना आदि शामिल हो गई हैं।
- इन्हें तीन क्षेत्रकों में बाँटा जाता है: प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक।
1. प्राथमिक गतिविधियाँ
परिभाषा: प्रकृति से सीधे सामान लेने वाली गतिविधियाँ।
उदाहरण:
खेती (अनाज, सब्जियाँ उगाना)
खनन (कोयला निकालना)
मछली पकड़ना
पशुपालन (दूध, अंडे)
जंगल से लकड़ी लेना
- खास बात: ये प्रकृति पर निर्भर होती हैं।
- सोचें: अपने आस-पास की प्राथमिक गतिविधि और उसमें इस्तेमाल होने वाले संसाधन बताएँ (जैसे पानी, मिट्टी)।
2. द्वितीयक गतिविधियाँ
परिभाषा: प्राथमिक क्षेत्र से मिले कच्चे माल को बदलकर नई चीजें बनाना।
उदाहरण:
अनाज से आटा बनाना
लकड़ी से फर्नीचर बनाना
कपास से कपड़ा बनाना
लोहे से गाड़ियाँ बनाना
- खास बात: इसमें कारखाने और निर्माण कार्य शामिल हैं।
- सोचें: दो और उदाहरण बताएँ (जैसे मूंगफली से तेल, चाय की पत्तियों से चाय)।
3. तृतीयक गतिविधियाँ
परिभाषा: प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों की मदद करने वाली सेवाएँ।
उदाहरण:
ट्रक से सामान ढोना
दुकान में सामान बेचना
डॉक्टर, शिक्षक, मैकेनिक की सेवाएँ
सॉफ्टवेयर बनाना, होटल चलाना
- खास बात: इसे सेवा क्षेत्रक भी कहते हैं।
- सोचें: ये सेवाएँ कैसे जीवन आसान बनाती हैं?
क्षेत्रकों में परस्पर निर्भरता
तीनों क्षेत्रक एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
उदाहरण – अमूल डेयरी:
- प्राथमिक: किसान गाय से दूध लेते हैं।
- द्वितीयक: दूध से मक्खन, पनीर, दूध पाउडर बनाते हैं।
- तृतीयक: ट्रक से दुकानों तक पहुँचाना और बेचना।
कहानी:
पहले किसान बिचौलियों पर निर्भर थे, दूध सस्ते में बेचते थे।
सरदार पटेल ने सहकारी संगठन बनाने की सलाह दी।
1946 में अमूल शुरू हुआ, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ी।
अब अमूल देश-विदेश में दूध के उत्पाद बेचता है।
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