कार्य का महत्व
मुख्य बिंदु:
स्वामी विवेकानंद के अनुसार, जब आप कोई काम करें, तो उसे पूजा की तरह करें और अपना पूरा ध्यान उसमें लगाएं।
लोग कई तरह के कार्य करते हैं, जो हमारे दैनिक जीवन को बेहतर बनाते हैं।
कहानी से परिचय:
अनु और कबीर ने अपने आस-पास के लोगों को अलग-अलग कार्य करते देखा:
- गीता आंटी: भारतीय वायु सेना में पायलट हैं। (नौकरी)
- कबीर के दादाजी: सीमा सुरक्षा बल से रिटायर हुए, अब बच्चों को मुफ्त भूगोल पढ़ाते हैं और बगीचे में काम करते हैं। (सेवा और घरेलू काम)
- अनु के माता-पिता: दुकान चलाते हैं, वेशभूषा बेचते हैं। (व्यापार)
- अनु की माँ: बुनाई सिखाने वाले स्वैच्छिक समूह में काम करती हैं। (सेवा)
- रोहन (अनु का भाई): सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और युवाओं को मुफ्त कंप्यूटर कौशल सिखाते हैं। (नौकरी और सेवा)
कार्य दो प्रकार के होते हैं:
1. आर्थिक गतिविधियाँ:
जिनसे पैसे कमाए जाते हैं।
उदाहरण:
गीता आंटी को वायु सेना से वेतन मिलता है।
रोहन को सॉफ्टवेयर कंपनी से वेतन मिलता है।
व्यापारी स्कूल बैग बेचते हैं।
किसान उपज बेचते हैं।
बाजार: जहाँ वस्तुओं और सेवाओं का लेन-देन होता है।
2. गैर-आर्थिक गतिविधियाँ:
जिनमें पैसा नहीं मिलता, बल्कि सेवा, प्यार या सम्मान के लिए किया जाता है।
उदाहरण:
कबीर के दादाजी बच्चों को मुफ्त पढ़ाते हैं।
माँ बच्चों के होमवर्क में मदद करती हैं।
परिवार के लिए खाना बनाना।
आर्थिक गतिविधियों के प्रकार:
- वेतन: नौकरी के लिए मासिक पैसा (जैसे गीता आंटी को वेतन)।
- शुल्क: सेवा के लिए भुगतान (जैसे वकील को शुल्क)।
- मजदूरी: दैनिक काम के लिए पैसा (जैसे खेत में ट्रैक्टर चलाने वाले साहिल को)।
- वस्तु के रूप में भुगतान: पैसे की जगह चीजें (जैसे साहिल को आम)।
मूल्य संवर्धन:
जब कोई वस्तु को बेहतर बनाकर उसका मूल्य बढ़ाया जाता है।
उदाहरण: राजेश (बढ़ई) ₹600 की लकड़ी से ₹1000 की कुर्सी बनाते हैं। ₹400 उनके कौशल और मेहनत का मूल्य है।
गैर-आर्थिक गतिविधियों का महत्व:
ये पैसे नहीं देतीं, लेकिन खुशी और संतुष्टि देती हैं।
उदाहरण:
सेवा: गुरुद्वारे में लंगर (मुफ्त भोजन)।
सामुदायिक सहभागिता: स्वच्छ भारत अभियान, वन महोत्सव (पेड़ लगाना)।
त्योहार: लोग मिलकर सजावट और खाना बनाते हैं।
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