आधारभूत लोकतंत्र — भाग 3: नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय सरकार
उद्धरण
रूस्तम के. सिधवा (संविधान सभा सदस्य, 13 अक्टूबर 1949):
स्थानीय निकायों का शीघ्र गठन होना चाहिए ताकि लोग अपने नगरों और गाँवों में प्रशासन, मताधिकार, शक्तियाँ, अधिकार और विशेषाधिकारों को समझ सकें।
परिचय
लोकतंत्र का उद्देश्य: नागरिकों को सशक्त बनाना ताकि वे ग्रामीण, नगरीय, राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय भागीदारी कर सकें।
सहभागी लोकतंत्र: यह एक व्यापक धारणा है।
नगरीय शासन की जटिलता: ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में नगरीय क्षेत्र अधिक जटिल और विविध होते हैं।
नगरीय स्थानीय निकाय
- परिभाषा: नगरीय क्षेत्रों में स्थानीय सरकार को नगरीय स्थानीय निकाय कहते हैं।
- स्वायत्तता: ये शीर्ष प्राधिकरण के अधीन नहीं होते; स्थानीय समुदायों को अपने क्षेत्र के प्रबंधन और समस्याओं के समाधान की स्वतंत्रता होती है।
संरचना:
- नगरों और कस्बों को वार्डों में विभाजित किया जाता है।
- वार्ड समितियाँ: स्वास्थ्य शिविर, प्लास्टिक विरोधी अभियान, जल रिसाव, नाली जाम, सड़क टूटने जैसी समस्याओं पर नजर रखती हैं।
- कार्यप्रणाली राज्य के नियमों पर निर्भर करती है।
जिम्मेदारियाँ:
- आधारभूत ढाँचे का रखरखाव, कब्रगाह प्रबंधन, अपशिष्ट संग्रहण और निपटान, सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन, स्थानीय कर संग्रह, आर्थिक और सामाजिक विकास की योजना।
इंदौर नगर निगम की सेवाएँ (उदाहरण)
- संपत्ति कर, जल शुल्क, सूखा कूड़ा प्रबंधन, व्यवसाय/विज्ञापन/लाइसेंस, विवाह प्रमाणपत्र, अग्निशमन सेवाएँ, शिकायतें, जल/सेप्टिक टैंकर, अंत्येष्टि वाहन, चल शौचालय, एंबुलेंस आदि।
- नागरिक संबंध प्रबंधन (सी.आर.एम.): शिकायतें और सेवा अनुरोध।
नगरीय स्थानीय निकायों के प्रकार
- नगर निगम (महानगर निगम): 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर (जैसे चेन्नई, इंदौर)।
- नगरपालिका (म्यूनिसिपल काउंसिल): 1 से 10 लाख जनसंख्या वाले नगर।
- नगर पंचायत: 1 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर और कस्बे।
संवाद (समीर और अनीता)
नगर बनाम गाँव:
- अनीता (नगर से): व्यस्त, भीड़-भाड़, ऊँचे भवन, कोलाहल, कम सामुदायिक भावना।
- समीर (गाँव से): शांत, आपसी सहायता, सामूहिक निर्णय, सभी एक-दूसरे को जानते हैं।
उदाहरण:
नगर में मकान ढहने पर लोग मदद के लिए एकजुट हुए।
गाँव में बच्चों की शिकायत पर बिजली का खंभा हटाया गया।
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