पृथ्वी पर स्थानों की स्थिति
मानचित्र क्या है?
- मानचित्र किसी भी क्षेत्र का एक प्रतीकात्मक चित्रण या रेखांकन होता है । यह किसी स्थान की स्थिति और वहाँ तक पहुँचने का रास्ता दिखाता है ।
- यह एक छोटे गाँव से लेकर पूरे विश्व तक का हो सकता है ।
- मानचित्रों की किताब या संग्रह को एटलस (मानचित्रावली) कहते हैं ।
मानचित्र के प्रकार:
- भौतिक मानचित्र (Physical Map): पर्वतों, महासागरों, नदियों जैसी प्राकृतिक चीज़ों को दर्शाते हैं ।
- राजनीतिक मानचित्र (Political Map): राज्यों, देशों और उनकी राजधानियों को दर्शाते हैं ।
- थिमैटिक मानचित्र (Thematic Map): किसी खास जानकारी को दर्शाते हैं, जैसे सड़क या वर्षा का वितरण ।
मानचित्र के घटक:
1. दूरी (Scale):
मानचित्र पर वास्तविक दूरी को छोटे रूप में दिखाने का तरीका ।
यह बताता है कि मानचित्र पर 1 सेंटीमीटर ज़मीन पर कितने किलोमीटर या मीटर के बराबर है (जैसे 1 सेमी = 500 मीटर) ।
2. दिशा (Direction):
मानचित्र पर दिशाएँ तीर से दिखाई जाती हैं, ऊपर की ओर उत्तर दिशा होती है ।
चार मुख्य दिशाएँ होती हैं: उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम (इन्हें प्रधान बिंदु कहते हैं) ।
इनके बीच की दिशाएँ भी होती हैं: उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम ।
3. प्रतीक चिह्न (Symbols):
मानचित्र पर अलग-अलग चीज़ों (जैसे भवन, सड़क, नदी, मंदिर) को दिखाने के लिए विशेष चिह्न इस्तेमाल होते हैं ।
ये चिह्न कम जगह में ज़्यादा जानकारी दिखाने में मदद करते हैं ।
भारत में भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा निर्धारित प्रतीक चिह्नों का उपयोग होता है ।
ग्लोब (Globe):
ग्लोब पृथ्वी का एक छोटा मॉडल होता है, जो गोल होता है ।
यह पृथ्वी के भूगोल को समतल मानचित्र की तुलना में बेहतर तरीके से दर्शाता है क्योंकि पृथ्वी भी लगभग गोल है
निर्देशांक (Coordinates): अक्षांश और देशांतर
पृथ्वी पर किसी स्थान की सही स्थिति बताने के लिए अक्षांश और देशांतर रेखाओं का उपयोग होता है । ये मिलकर ग्रिड बनाती हैं ।
अक्षांश (Latitude):
- ये भूमध्य रेखा (Equator) के समानांतर पूर्व से पश्चिम की ओर खींची गई काल्पनिक रेखाएँ हैं ।
- भूमध्य रेखा 0° अक्षांश पर होती है ।
- उत्तरी ध्रुव 90° उत्तर (90° उ०) और दक्षिणी ध्रुव 90° दक्षिण (90° द०) अक्षांश पर हैं ।
- भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर अक्षांश वृत्त छोटे होते जाते हैं ।
- अक्षांश का जलवायु से संबंध है: भूमध्य रेखा के पास गर्म (उष्ण), ध्रुवों के पास ठंडा (शीत) होता है ।
देशांतर (Longitude):
- ये उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक जाने वाली अर्धवृत्ताकार काल्पनिक रेखाएँ हैं । इन्हें याम्योत्तर (Meridian) भी कहते हैं ।
- इंग्लैंड के ग्रिनिच से गुजरने वाली याम्योत्तर को प्रमुख याम्योत्तर (Prime Meridian) माना जाता है और यह 0° देशांतर है ।
- देशांतर प्रमुख याम्योत्तर से पूर्व या पश्चिम की दूरी बताता है ।
- इसे डिग्री में मापा जाता है (0° से 180° पूर्व ‘पू०’ और 0° से 180° पश्चिम ‘प०’) ।
- देशांतर से किसी स्थान का समय निर्धारित होता है ।
- प्राचीन भारत: पहले भारत की अपनी प्रमुख याम्योत्तर थी जो उज्जयिनी (उज्जैन) से गुजरती थी ।
समय क्षेत्र (Time Zones) और मानक समय (Standard Time):
- पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है (24 घंटे में 360°), जिससे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग समय होता है । हर 15° देशांतर पर समय में 1 घंटे का अंतर आता है ।
- एक देश के अंदर अलग-अलग स्थानीय समय की असुविधा से बचने के लिए, देश एक मानक समय (Standard Time) अपनाते हैं, जो किसी एक केंद्रीय याम्योत्तर पर आधारित होता है ।
- भारत का मानक समय (IST) ग्रिनिच मीन टाइम (GMT) से 5 घंटे 30 मिनट आगे है ।
- दुनिया को अलग-अलग समय क्षेत्रों में बांटा गया है । बड़े देशों में एक से ज़्यादा समय क्षेत्र हो सकते हैं (जैसे रूस में 11) ।
अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line):
- यह रेखा लगभग 180° देशांतर पर प्रमुख याम्योत्तर के विपरीत स्थित है ।
- इस रेखा को पार करने पर तारीख बदल जाती है । पूर्व की ओर जाने पर एक दिन घटाया जाता है और पश्चिम की ओर जाने पर एक दिन जोड़ा जाता है ।
- यह रेखा सीधी नहीं है ताकि किसी देश के बीच से न गुज़रे ।
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