बोध प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए|
उत्तर
जीवन-वृत्त =जीवनी या जीवन परिचय; जागृति = चेतना; उद्धारक = उद्धार करने वाला, तारने वाला; चौपट : होना = बरबाद हो जाना; कारागार = कैदखाना, जेल; पथ = मार्ग, रास्ता; मुग्ध = मोहित हो जाना; प्रारम्भिक = शुरू की; बियावान = निर्जन; धूमिल = धूल में लिपट जाना, धूलधूसरित हो जाना; पीड़ादायी = कष्ट देने वाली; उपासना = पूजा; तत्कालीन = उस समय की; शोषण = काम करने पर मजदूरी न दिया जाना; उपचार = इलाज; दासता = गुलामी; नाद = स्वर; सामान्य = साधारण; सदी = शताब्दी; कथन = कहावत, कहना; बर्बरता = निर्दयता, क्रूरता।
प्रश्न 2.
दिए गये विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर लिखिए|
(क) बिरसा मुण्डा का सम्बन्ध निम्नलिखित में से वर्तमान के किस राज्य से था ?
(1) झारखण्ड
(2) बिहार
(3) छत्तीसगढ़।
उत्तर
(1) झारखण्ड
(ख) मुण्डा समाज के आराध्य देव ‘सिंग’ का अर्थ है|
(1) सिंह
(2) सींग
(3) सूर्य।
उत्तर
(3) सूर्य।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए
(क) बिरसा मुण्डा को लूथरन मिशन स्कूल क्यों छोड़ना पड़ा?
उत्तर
बिरसा मुण्डा को लूथरन मिशन स्कूल इसलिए छोड़ना पड़ा क्योंकि वहाँ उन्हें दासता का अनुभव हो रहा था। उन्होंने ऐसे दृश्य देखे जिनमें मुण्डा लोगों का शोषण किया जा रहा था। इससे उन्हें बहुत कष्ट हुआ और बिरसा ने अंग्रेजों के कारनामों पर टीका-टिप्पणी करना शुरू कर दिया।
(ख) बिरसा रोगियों का उपचार कैसे करते थे ?
उत्तर
बिरसा रोगियों का उपचार जड़ी-बूटियों से करते थे|
(ग) मुण्डा जनजाति के लोग बिरसा को क्यों मानते थे?
उत्तर
बिरसा ने गाँववासियों और आसपास के लोग जो उनके पास आये, उनका जड़ी-बूटियों से इलाज किया। उन्हें स्वस्थ रहने के उपाय बताए। इस तरह वे उपदेशक भी बन गये। उन्हें लोग अवतारी पुरुष मानने लगे और उनका आदर भाव बढ़ता गया।
(घ) अंग्रेजों ने बिरसा का दाह-संस्कार सार्वजनिक रूप से क्यों नहीं किया ?
उत्तर
स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी के रूप में बिरसा को अंग्रेजों ने पकड़ लिया। वे स्वतन्त्रता की ज्योति लोगों में जगा चुके थे। बन्दी बनाये जाने से पूर्व बिरसा बीमार चल रहे थे। अदालत में पेश करने पर उनकी दशा बिगड़ गयी। उन्हें खून की उल्टियाँ होने लगी। बिरसा जो मुण्डा समाज का उद्धारक था, सदा के लिए सो गया। इसलिए उपद्रव के भय से अंग्रेजों ने बिरसा का दाह-संस्कार सार्वजनिक रूप से नहीं किया।
(ङ) बिरसा मुण्डा ने किस उद्देश्य से अपना आन्दोलन प्रारम्भ किया?
उत्तर
बिरसा मुण्डा ने मुण्डाओं को अंग्रेजों के अत्याचारों से तथा शोषण से मुक्ति दिलाने और भारत को आजाद कराने के उद्देश्य से अपना आन्दोलन प्रारम्भ किया।
प्रश्न 4.
खाली स्थान भरिए
(क) …………….. के कारण ओझा लोगों का काम चौपट हो रहा था।
(ख) मुण्डा लोगों के प्रमुख अस्त्र-शस्त्र ………… और
(ग) पुरस्कार के ………… में कुछ लोगों ने बिरसा को पकड़वा दिया।
उत्तर
(क) बिरसा मुण्डा
(ख) भाले, तीर-कमान
(ग) लालच।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए
(क) प्रस्तुत पाठ से हमें आज से सौ वर्ष पूर्व के आदिवासियों के जीवन की क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर
आज से सौ वर्ष पूर्व के आदिवासियों ने भी भारत की आजादी के लिए अंग्रेजी शासन के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई और इनमें आजादी की भावनाओं को स्वर देने का काम बिरसा मुण्डा ने किया। मुण्डा भारत की प्रमुख जनजाति है जो राँची और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में निवास करती है। मुण्डा जाति बहुत ही सरल जीवन बिताने वाली जाति है। वह अपने जीवनयापन के लिए पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर करती है।
मुण्डा समाज ‘सिंग’ और ‘बोंगा’ की उपासना करते हैं। ‘सिंग’ का अर्थ सूर्य होता है तथा ‘बोंगा’ मुण्डा समाज की देवी है। अन्य जनजातियों की भाँति मुण्डा समाज में भी काफी जागृति आ गई है। विदेशी दासता की जंजीरों से मुक्त होने के लिए तत्कालीन उरांव, मुण्डा और खड़िया जनजातियों ने बिरसा मुण्डा के नेतृत्व में अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठा लिए थे।
मुण्डा जाति के लोग निर्धन और अशिक्षित थे। उनकी शिक्षा के लिए कुछ मिशनरी विद्यालय थे। जहाँ उन्हें ईसाई धर्म में दीक्षित करने की कोशिश होती थी। वे ओझाओं के झाड़-फूंक में विश्वास करते थे। उन्हें अपनी जमीन से बेदखल कर दिया गया था। पंच-पंचायतें समाप्त कर दी गई थीं। इस तरह वे भूख और दमन के कारण असहाय थे।
(ख) बिरसा मुण्डा के आन्दोलन के क्या कारण थे ?
उत्तर
बिरसा मुण्डा के आन्दोलन के निम्नलिखित कारण
मुण्डा जाति को उनकी जमीन से बेदखल कर दिया गया था।
उनके पंच-पंचायत समाप्त कर दिये गये।
उनकी जमीन पर जींदार और दलाल थोप दिये गये।
मुण्डा जाति के लोगों के जंगलों पर अंग्रेजी शासन ने अपने दलालों और लोगों को मालिक बना दिया। वे मालिक से नौकर हो गये।
उन्हें बेगार में घसीटा जाता। उनका शोषण होता था।
आर्थिक तंगी का मामला बिरसा मुण्डा के आन्दोलन का सबसे बड़ा कारण था। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय थी।
(ग) “भारतीय इतिहास का एक सत्य यह भी है कि भारत जब भी विदेशियों से पराजित हुआ, तो देशद्रोहियों के कारण,” प्रस्तुत पाठ के सन्दर्भ में इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर
बिरसा मुण्डा ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध तीव्र आन्दोलन शुरू कर दिया। उनका यह आन्दोलन अन्याय और शोषण के विरुद्ध था। यह आन्दोलन मानवता की रक्षा के लिए था। उन दिनों प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानियों में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहब, कुंवर सिंह आदि की वीरता की कहानियाँ लोगों के मुँह पर थीं।
जनमत अंग्रेज शासकों के विरुद्ध था। सामाजिक आन्दोलन ने राजनैतिक रूप धारण कर लिया था। बिरसा मुण्डा ने इस आन्दोलन को आगे बढ़ाया। मुण्डा और दूसरी जनजातियाँ भाले और तीर कमान लेकर चारकाड़ गाँव में एकत्र हो गये। बिरसा की क्रान्तिकारी गतिविधियों से डिप्टी कमिश्नर और जिला पुलिस अधीक्षक बहुत परेशान हो गये। बिरसा को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। राँची जेल में डाल दिया गया। सजा पूरी होने के बाद सामाजिक जागरण को स्वतन्त्रता-संग्राम का नाम दे दिया गया। बिरसा ने बैठकें शुरू की जिसकी सूचना शासन को लग गई और इनके विरुद्ध वारंट कट गया। इन्हें पकड़ने के लिए इनाम घोषित हुए। इनाम के लालच में किसी ने सोते हुए बिरसा को पकड़वा दिया। इन सभी घटनाओं से सिद्ध होता है कि भारत की पराजय का मुख्य कारण यहाँ के देशद्रोही ही रहे हैं।
(घ) बिरसा मुण्डा ने किस उद्देश्य से अपना आन्दोलन प्रारम्भ किया ?
उत्तर
बिरसा मुण्डा ने देखा कि मुण्डा और जनजातियों की आर्थिक दशा बहुत ही दयनीय हो चुकी है। इसका मुख्य कारण था कि अंग्रेजों ने उन्हें उनके खेतों से बेदखल कर दिया। वे इन खेतों के मालिक थे। वे फसलें उगाते थे। उनकी ग्राम व्यवस्था थी। पंच-पंचायतें थीं। उनका रहन-सहन परम्परागत था। अंग्रेजों ने उन सबको नष्ट करके जींदार, जागीरदार, जंगल के ठेकेदार और दलाल उन पर लाद दिए। वनवासी अपनी ही जमीन पर मालिक से नौकर हो गये। वे भूख और दमन से स्वयं को असहाय समझने लगे। ऐसी स्थिति में बिरसा मुण्डा ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध तीव्र आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया। यह आन्दोलन अन्याय और शोषण के विरुद्ध था, मानवता की रक्षा के लिए था। मुण्डा समाज की दबी भावनाएँ उभरकर आ गई। सामाजिक आन्दोलन ने राजनैतिक रूप धारण कर लिया था। बिरसा मुण्डा इन गतिविधियों का केन्द्र बिन्दु थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने का संकल्प ले लिया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने हमें बहुत लूटा है, अब हम इन्हें सहन नहीं करेंगे।
(ङ) प्रस्तुत पाठ के आधार पर बिरसा मुण्डा के चरित्र की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर
(1) स्वतन्त्रता की भावना – बिरसा अपने बचपन से ही एक होनहार देशभक्त बालक था। उसमें अपने समाज के उत्थान के लिए सब कुछ कर गुजरने की तीव्र इच्छा थी। वह अपने विद्यार्थी जीवन से ही स्वतन्त्र प्रकृति का व्यक्ति था। वह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध था। उसने लोगों को स्वतन्त्रता और अपने जीवन मूल्यों को समझने की बात बतायी। जड़ी-बूटियों के द्वारा बीमारियों का इलाज करना सीखा, इससे उनमें स्वदेशी की भावनाओं की तीव्रता का पता चलता है।
(2) संगठनकर्ता – उन्होंने अपने समाज के लोगों को एकत्र किया, उनको संगठित करके अपनी भावना बतायी। उन लोगों में अपने सम्मान, देश के सम्मान की रक्षा करने की भावना जाग्रत कर दी।
(3) मातृभूमि की आजादी-देश की आजादी के लिए उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया। अंग्रेज सरकार के जुल्मों को सहा। देश की आजादी का सपना पूरा तो नहीं हो सका, परन्तु समाज में आजादी की चेतना जागृत कर दी। स्वतन्त्रता संग्राम में उनका नाम अमर रहेगा।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के मानक हिन्दी शब्द लिखिए
हुक्म, जवान, सजा, इनाम, पेश, तबीयत।
उत्तर
आदेश
युवक
दण्ड
पुरस्कार
प्रस्तुत
स्वास्थ्य।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का समास विग्रह करके समास का नाम लिखिए।
जीवनवृत्त, शैशवकाल, शंखनाद, टीका-टिप्पणी, जड़ी-बूटी, बहला-फुसला, गाँववासी।
उत्तर
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम बतलाइए
तत्कालीन, उद्धारक, तन्मय, सत्याग्रह, युवावस्था।
उत्तर
प्रश्न 4.
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(अ) तन्मयता’ शब्द में ……… प्रत्यय है। (यता, ता, मयता)
(आ) ‘बेबस’ शब्द में ……. उपसर्ग है। (बेव, बे, स)
(इ) ‘दयनीय’ शब्द में ……..प्रत्यय है। (इय, नीय, य)
(ई) ‘राजनैतिक’ शब्द में …… प्रत्यय है। (तिक, इक, क)
उत्तर
(अ) ता, (आ) बे, (इ) नीय, (ई) इक। .
प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर्यायवाची शब्दों में से जो शब्द सही पर्यायवाची नहीं है, उन्हें अलग करके लिखिए।
उत्तर
Birsa Munda