अर्थशास्त्र MCQ Chapter 3 Class 11 Arthashastra उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा MP Board Advertisement 1. भारत को विदेशी ऋणों के मामले मे सकंट का सामना कब करना पढ़ा ?1980 19911995 1987Question 1 of 152. 1991 में भारत सरकार किस भुगतान करने की स्थिति मे नहीँ थी ?आयातनिर्यातविदेशी ऋण कोई नहीQuestion 2 of 153. 1980 के दशक मे राजस्व घाटा बढकर कितने प्रतिशत हो गया ?3.1 3.54.24.8Question 3 of 154. 1980 - 1981 में भुगतान सन्तुलन के चालू खाते का घाटा कितने करोड़ रुपये का था ?619 2,2145,621 1,224Question 4 of 155. विदेशी मुद्रा रिज़र्व कितने दिनों के लिऐ आवश्यक आयात का भुगतान करने योग्य भी नहीं बचा था ?15 दिन2 दिन5 दिन20 दिनQuestion 5 of 156. विदेशी ऋणों के मामले में संकट की स्थिति को कितने और अधिक बढ़ाया ?कीमतों में वृद्धि कीमतों में कमी कीमतों में गुणाकोई भी नहींQuestion 6 of 157. 1990 - 1991 में मुद्रा - स्फीति की दर 6.7% से बढ़कर कितनी हो गई ?13.815.616.79.1Question 7 of 158. 1991 में इनमे से कौन-से आर्थिक सुधार अपनाये गये ?विशविकरणउदारीकरणनिजीकरण उपरोक्त सभीQuestion 8 of 159. आर्थिक सकंट की स्थिति में किसकी सम्पूर्ण दिशा को ही बदल दिया ?रण - नीतियाँ आयातविदेशी भुगतान इनमे से कोई नहींQuestion 9 of 1510. भारतीय रिज़र्व बैंक का प्रमुख कार्य है ?मुद्रा जरी करनाजमा स्वीकार करनाविदेशी भुगतान1 और 2 दोनोंQuestion 10 of 1511. अगस्त 1998 में WTO सदस्यों की संख्या क्या थी ?138134208 130Question 11 of 1512. राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए किन सुधारों की आवश्यकता है ?आर्थिकराजकोषीयवितीय निजीकरणQuestion 12 of 1513. निजी क्षेत्र जब किसी सरकारी उद्यम का मालिक बन जाता है उस प्रक्रिया को क्या कहते हैं ?आर्थिकराजकोषीयवितीय निजीकरणQuestion 13 of 1514. उद्योगों तथा व्यापारों को नियंत्रण से मुक्त कर अधिक प्रतियोगी बनाने को क्या कहते हैं ?आर्थिकराजकोषीयउदारीकरण निजीकरणQuestion 14 of 1515. 1990 - 1991 राजकोशिय घाटा 8.5% से कम करके कितने % करना था ?3% 5%4%6%Question 15 of 15 Loading...
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