यमक अलंकार
परिभाषा:
यमक अलंकार वह अलंकार है जिसमें एक ही शब्द का एक वाक्य या पंक्ति में बार-बार प्रयोग होता है, लेकिन हर बार उसका अर्थ अलग होता है। यह अलंकार मुख्यतः शब्दालंकार के अंतर्गत आता है।
विशेषताएँ:
- शब्दों की पुनरावृत्ति:
एक ही शब्द का बार-बार प्रयोग होता है। - अर्थ भिन्नता:
प्रयोग में आने वाले शब्दों का हर बार अर्थ अलग होता है। - सौंदर्य वृद्धि:
यमक अलंकार से काव्य में भाषाई सौंदर्य और रोचकता बढ़ती है।
उदाहरण:
- काव्य पंक्ति:
“सारस सरस सरोवर में खेलें।”- पहला ‘सारस’ पक्षी का नाम है।
- दूसरा ‘सरस’ का अर्थ है सुंदर।
- काव्य पंक्ति:
“नवल नवल नव कुसुम कलियां, नव अनुराग सुनाय।”- पहला ‘नवल’ का अर्थ है नया।
- दूसरा ‘नवल’ का अर्थ है अद्भुत।
- काव्य पंक्ति:
“कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
या खाए बौराय नर, वा पाए बौराय।”- पहले ‘कनक’ का अर्थ है सोना।
- दूसरे ‘कनक’ का अर्थ है धतूरा।
यमक अलंकार के महत्व:
- भाषा का चमत्कार:
यमक अलंकार का प्रयोग रचना में गहराई और भाषाई चमत्कार उत्पन्न करता है। - पाठक को आकर्षित करता है:
एक ही शब्द के अलग-अलग अर्थ पाठक को सोचने पर मजबूर करते हैं। - साहित्यिक सौंदर्य:
यह काव्य की शोभा और गूढ़ता को बढ़ाता है।
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