उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा
जब कवि किसी वस्तु या घटना में ऐसा संकेत देता है कि मानो किसी दूसरे गुण, क्रिया, या विशेषता की संभावना हो रही है और पाठक के मन में एक कल्पनात्मक चित्र उभरता है, तो वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसमें “जैसे, मानो, लगता है कि, ऐसा प्रतीत होता है” जैसे शब्दों का प्रयोग होता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार के मुख्य लक्षण
- उपमेय और उपमान के बीच संभावना या कल्पना का आभास कराया जाता है।
- उपमेय और उपमान के बीच समानता का बोध होता है।
- “जैसे, मानो, लगता है कि” जैसे शब्दों का प्रयोग काव्य में होता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण
- मानो आकाश ने अपनी नीली चादर ओढ़ ली हो।
- कल्पना: आकाश की नीली चादर के साथ।
- वृक्ष ऐसे खड़े हैं, जैसे सैनिक पहरा दे रहे हों।
- कल्पना: वृक्ष और सैनिकों के समान।
- उसके बाल ऐसे बिखरे थे, मानो रात का अंधेरा फैल गया हो।
- कल्पना: बाल और अंधकार के फैलाव की।
- सूर्य की किरणें मानो सोने की चादर बिछा रही हों।
- कल्पना: किरणों और सोने की चादर के बीच।
उत्प्रेक्षा और उपमा में अंतर
विशेषता | उत्प्रेक्षा अलंकार | उपमा अलंकार |
---|---|---|
भावना का आधार | संभावना और कल्पना पर आधारित। | सीधी तुलना पर आधारित। |
सूचक शब्द | मानो, जैसे, प्रतीत होता है। | जैसे, समान, सा। |
उदाहरण | “मानो फूल मुस्कुरा रहे हों।” | “फूल चेहरे की तरह मुस्कुरा रहे हैं।” |
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