संसृष्टि अलंकार की परिभाषा
जब एक ही काव्य पंक्ति में दो या अधिक अलंकारों का ऐसा सम्मिलित प्रयोग किया जाए कि वे एक-दूसरे के साथ सुसंगत लगें और कविता की भाव-गर्भिता को बढ़ाएं, तो वहाँ संसृष्टि अलंकार होता है।
संसृष्टि अलंकार के मुख्य लक्षण
- एक ही वाक्य या पंक्ति में एकाधिक अलंकार होते हैं।
- ये अलंकार एक-दूसरे के साथ मेल खाते हैं और कोई विरोधाभास नहीं होता।
- इसका उपयोग काव्य में भावों और अभिव्यक्ति को अधिक आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है।
संसृष्टि अलंकार के उदाहरण
- “तेरी सूरत चाँद की तरह है, जो हर दिल में उजाला भरती है।”
- यहाँ उपमा अलंकार (“सूरत चाँद की तरह”) और अतिशयोक्ति अलंकार (“हर दिल में उजाला भरती है”) का प्रयोग हुआ है।
- “उसकी हंसी ऐसी थी, मानो कोयल ने मधुर राग छेड़ दिया हो, और वह सारा वन गूँज उठा।”
- इसमें उत्प्रेक्षा अलंकार (“मानो कोयल ने मधुर राग छेड़ दिया हो”) और अतिशयोक्ति अलंकार (“सारा वन गूँज उठा”) का मेल है।
- “धरती हरी चुनर ओढ़े थी, और उसकी गोद में नदी चाँदी की लकीर बनकर बह रही थी।”
- यहाँ रूपक अलंकार (“धरती हरी चुनर ओढ़े थी”) और उत्प्रेक्षा अलंकार (“नदी चाँदी की लकीर बनकर बह रही थी”) का उपयोग है।
- “सूरज आग उगल रहा था, और धरती तपते तवे की तरह झुलस रही थी।”
- इसमें अतिशयोक्ति अलंकार और उपमा अलंकार दोनों का प्रयोग हुआ है।
संसृष्टि अलंकार का महत्व
- यह काव्य में विविधता और गहराई लाता है।
- अलग-अलग अलंकारों का संयोजन कविता को अधिक रोचक और प्रभावशाली बनाता है।
- पाठक या श्रोता पर गहन प्रभाव डालता है और उसकी कल्पना को प्रोत्साहित करता है।
संसृष्टि और अन्य अलंकारों में अंतर
विशेषता | संसृष्टि अलंकार | एकल अलंकार (जैसे, उपमा, रूपक) |
---|---|---|
अलंकारों की संख्या | एक से अधिक अलंकार का प्रयोग। | केवल एक अलंकार का प्रयोग। |
उपयोग | भावों को और अधिक प्रभावशाली और सजीव बनाने के लिए। | किसी एक प्रकार की विशेषता या तुलना को दिखाने के लिए। |
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