पुनरुक्ति अलंकार
परिभाषा:
पुनरुक्ति अलंकार वह अलंकार है जिसमें एक ही शब्द या वाक्यांश का बार-बार प्रयोग होता है, लेकिन अर्थ में कोई भिन्नता नहीं होती। इसे शब्दों की पुनरावृत्ति के माध्यम से काव्य में बल और प्रभाव लाने वाला अलंकार कहा जाता है।
विशेषताएँ:
- शब्दों की पुनरावृत्ति:
एक ही शब्द या वाक्यांश का बार-बार प्रयोग होता है। - अर्थ समान:
शब्दों की पुनरावृत्ति से अर्थ में कोई परिवर्तन नहीं होता। - भावों की प्रबलता:
पुनरुक्ति से काव्य में बल, उत्साह और प्रभाव उत्पन्न होता है।
उदाहरण:
- काव्य पंक्ति:
“माता माता पुकारे बालक।”- ‘माता’ शब्द की पुनरावृत्ति से बालक की व्याकुलता और भावना का वर्णन किया गया है।
- काव्य पंक्ति:
“जाओ जाओ कह दिया मैंने।”- यहां ‘जाओ’ शब्द की पुनरावृत्ति से कथन की दृढ़ता को व्यक्त किया गया है।
- काव्य पंक्ति:
“जल-जल कर दीपक बोल उठा, जल जलते जीवन की बात।”- ‘जल’ शब्द की पुनरावृत्ति से दीपक के जलने की भावना को प्रकट किया गया है।
- काव्य पंक्ति:
“चलो चलो अब देर हो गई।”- ‘चलो’ शब्द की पुनरावृत्ति से गति और उत्साह को बढ़ाया गया है।
पुनरुक्ति अलंकार का महत्व:
- भावों की तीव्रता:
शब्दों की पुनरावृत्ति से भावों की प्रबलता और तीव्रता बढ़ती है। - काव्य में बल:
पुनरुक्ति से कविता में उत्साह और सजीवता का संचार होता है। - स्मरणीयता:
शब्दों की पुनरावृत्ति रचना को यादगार और प्रभावशाली बनाती है। - साहित्यिक सौंदर्य:
यह अलंकार काव्य को सरलता और स्पष्टता प्रदान करता है।
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