कर्मधारय समास
परिभाषा:
जब दो पद (शब्द) समान रूप से महत्वपूर्ण होते हैं और उनमें से पहला शब्द दूसरे शब्द का विशेषण (विशेषता बताने वाला) हो, तो उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
कर्मधारय समास की विशेषताएँ:
- विशेषण और विशेष्य का संबंध: पहला शब्द विशेषण होता है और दूसरा प्रधान शब्द।
- विभक्ति का लोप: समास बनने के बाद बीच की विभक्ति (जैसे का, के, की, आदि) हट जाती है।
- दोनों पद समान रूप से प्रधान: दोनों शब्द मिलकर एक नए शब्द का निर्माण करते हैं।
- अर्थ का संबंध: समास में विशेषण और विशेष्य का स्पष्ट संबंध होता है, जैसे “कैसा” या “कौनसा।”
कर्मधारय समास के भेद:
कर्मधारय समास को तीन भागों में बांटा जा सकता है:
- गुणवाचक कर्मधारय:
- जिसमें पहला पद दूसरे पद का गुण बताता है।
- उदाहरण:
- नीलकंठः → (नीला कंठ)
- शीतलजलम् → (शीतल जल)
- जातिवाचक कर्मधारय:
- जिसमें पहला पद दूसरे पद की जाति या प्रकार को दर्शाता है।
- उदाहरण:
- गजेंद्रः → (गज + इंद्र = हाथियों का राजा)
- राजपुरुषः → (राजा का पुरुष)
- रूपवाचक कर्मधारय:
- जिसमें पहला पद दूसरे पद का आकार, रूप या स्थिति बताता है।
- उदाहरण:
- चतुर्भुजः → (चार भुजाएं)
- द्वारपालः → (द्वार का रक्षक)
कर्मधारय समास बनाने के नियम:
- दो पदों को जोड़कर एक नया शब्द बनता है।
- पहला पद विशेषण और दूसरा प्रधान शब्द होता है।
- दोनों शब्द के बीच की विभक्ति को हटा दिया जाता है।
कर्मधारय समास के उदाहरण:
- गुणवाचक:
- पीताम्बर (पीला अंबर)
- शुभदिन (शुभ दिन)
- जातिवाचक:
- नरसिंह (मनुष्य + सिंह)
- देवभाषा (देवताओं की भाषा)
- रूपवाचक:
- त्रिनेत्र (तीन नेत्र)
- चतुष्पद (चार पांव वाला)
कर्मधारय समास की पहचान:
- यदि वाक्य में दो शब्दों के बीच “कैसा” या “कौनसा” पूछा जा सकता है, तो वह कर्मधारय समास हो सकता है।
- उदाहरण: श्वेत पुष्प → कैसा पुष्प? श्वेत।
- दोनों शब्द के बीच विशेषण-विशेष्य का संबंध हो।
- उदाहरण: हरित वन → कैसा वन? हरित।
कर्मधारय समास का महत्व:
यह समास शब्दों को संक्षेप और प्रभावशाली बनाता है। उदाहरण के तौर पर “पीला वस्त्र” को “पीताम्बर” कहने से भाषा अधिक प्रभावी और संक्षिप्त हो जाती है।
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