द्विगु समास
परिभाषा:
जब दो समान या समानार्थक शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, जिसमें दोनों शब्दों का योग (गुण या संख्या) व्यक्त होता है, तो उसे द्विगु समास कहते हैं।
सरल शब्दों में: द्विगु समास उन शब्दों का समास है, जिसमें दोनों शब्दों के मिलकर बनने वाले नए शब्द में कोई संख्या या गुण का संदर्भ होता है। इस समास में प्रत्येक शब्द समान अर्थ या गुण को व्यक्त करता है।
द्विगु समास की विशेषताएँ:
- समानार्थक या समान गुण वाले शब्दों का संयोजन: इसमें दो समान या समानार्थक शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं।
- संख्या या गुण का बोध: द्विगु समास में सामान्यत: संख्या (जैसे “दो”, “तीन”, आदि) या गुण (जैसे “समान”, “वृद्ध”, आदि) का बोध होता है।
- विभक्ति का लोप: समास बनने के बाद दो शब्दों के बीच की विभक्ति (जैसे “का”, “के”, “की”, आदि) हटा दी जाती है।
- संदर्भ की संक्षिप्तता: यह समास संदर्भ को संक्षेप और प्रभावशाली रूप में व्यक्त करता है।
द्विगु समास के उदाहरण:
- द्विगुण:
- द्वि (दो) + गुण (गुण)
- अर्थ: “दो गुण” या “दो गुण वाला” (जैसे दो बार बढ़ा हुआ)
- त्रिसुंदरी:
- त्रि (तीन) + सुंदरी (सुंदर महिला)
- अर्थ: “तीन सुंदर महिलाएँ” (जैसे तीन सुंदरियों वाली कोई जगह)
- द्विपद:
- द्वि (दो) + पद (पैर)
- अर्थ: “दो पांव वाला” (जैसे मनुष्य या अन्य जीव)
- त्रिचक्र:
- त्रि (तीन) + चक्र (चक्र)
- अर्थ: “तीन चक्र वाला” (जैसे किसी वाहन या यंत्र में तीन चक्र)
- द्वारपाल:
- द्वार (दरवाजा) + पाल (रक्षक)
- अर्थ: “दरवाजे का रक्षक”
द्विगु समास के प्रकार:
द्विगु समास को कुछ प्रमुख प्रकारों में बांटा जा सकता है:
- संख्यावाचक द्विगु समास:
- इसमें संख्या से संबंधित शब्द होते हैं, जैसे “दो”, “तीन”, “चार”, आदि।
- उदाहरण:
- द्विवचन (दो शब्द)
- त्रिकाल (तीन काल)
- द्विघातक (दो बार गिरने वाला)
- गुणवाचक द्विगु समास:
- इसमें गुण या विशेषता से संबंधित शब्द होते हैं।
- उदाहरण:
- समान गुण (समान गुण वाला)
- सद्गुण (अच्छे गुण)
- स्वरूपवाचक द्विगु समास:
- इसमें रूप, आकार या स्थिति से संबंधित शब्द होते हैं।
- उदाहरण:
- द्विचक्र (दो चक्र वाला)
- त्रिदल (तीन पंखों वाला)
द्विगु समास का निर्माण:
- दो समानार्थक शब्दों का मिलन होता है।
- संख्या या गुण को व्यक्त करने के लिए शब्दों का संयोजन होता है।
- विभक्ति का लोप होता है, जिससे शब्द संक्षिप्त और प्रभावी हो जाते हैं।
द्विगु समास की पहचान:
- द्विगु समास में दोनों शब्दों का अर्थ लगभग समान या मिलते-जुलते होते हैं।
- यह समास संख्या या गुण के संदर्भ में होता है।
- दो शब्दों के मिलकर बनने वाला नया शब्द एक संक्षिप्त और प्रभावशाली रूप में पुरानी जानकारी को व्यक्त करता है।
उदाहरण:
- द्वि+चक्र = द्विचक्र → “दो चक्र वाला”
- त्रि+सिंह = त्रिसिंह → “तीन शेर”
द्विगु समास का महत्व:
- संक्षिप्तता: यह समास शब्दों को संक्षिप्त रूप में व्यक्त करता है, जिससे भाषा में प्रभाव बढ़ता है।
- स्पष्टता: द्विगु समास का अर्थ सीधा और स्पष्ट होता है, जो भाषा को अधिक सरल और अर्थपूर्ण बनाता है।
- व्याकरणिक सौंदर्य: संस्कृत और हिंदी व्याकरण में यह समास महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह शब्दों को संक्षेप और संगीतमय तरीके से प्रस्तुत करता है।
- साहित्यिक उपयोग: काव्य और साहित्य में द्विगु समास का व्यापक उपयोग होता है, क्योंकि यह शब्दों को संक्षिप्त और प्रभावी बनाता है।
संक्षेप में:
द्विगु समास में दो समान या समानार्थक शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, जो संख्या या गुण को व्यक्त करता है। यह समास भाषा को संक्षिप्त और प्रभावशाली बनाता है।
उदाहरण:
- द्विगुण → “दो गुण वाला”
- त्रिदल → “तीन पंखों वाला”
- द्विवचन → “दो शब्द”
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