द्वंद्व समास
परिभाषा:
द्वंद्व समास एक प्रकार का समास है जिसमें दो या दो से अधिक समान या परस्पर विरोधी शब्दों का मिलाकर एक नया शब्द बनता है। द्वंद्व समास के शब्दों में हर शब्द का अपना महत्व होता है और दोनों शब्दों का संयुक्त अर्थ होता है।
द्वंद्व समास की विशेषताएँ:
- समान या विरोधी शब्दों का संयोग: द्वंद्व समास में दो शब्दों का मिलना होता है जो समान या परस्पर विरोधी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, “राम” और “लक्ष्मण” दोनों समान हैं, जबकि “चाँद” और “सूरज” विरोधी हैं, लेकिन द्वंद्व समास में ये शब्द दोनों का बराबरी से इस्तेमाल करते हैं।
- सम्पूर्ण शब्द का संयुक्त अर्थ: इस समास में दोनों शब्द मिलकर एक नया अर्थ उत्पन्न करते हैं, जो दोनों शब्दों के अर्थ का समावेश करता है। प्रत्येक शब्द अपने आप में स्वतंत्र होता है, और इन दोनों का संयुक्त अर्थ नए रूप में प्रस्तुत होता है।
- समाज के दोनों पक्षों का वर्णन: द्वंद्व समास में ऐसे शब्द मिलते हैं जो दो विभिन्न या समान विचारों को एक साथ लाते हैं। जैसे “चंद्रसूर्य”, जो चंद्रमा और सूर्य दोनों का एक साथ बोध कराता है।
द्वंद्व समास के उदाहरण:
- रामलक्ष्मण (राम और लक्ष्मण) – यह शब्द राम और लक्ष्मण के दोनों को एक साथ व्यक्त करता है।
- चंद्रसूर्य (चंद्र और सूर्य) – यह चंद्रमा और सूर्य के दोनों को जोड़ता है।
- गङ्गायमुन (गंगा और यमुन) – यह गंगा और यमुन नदी को एक साथ दर्शाता है।
- पतिव्रता (पति और पत्नी) – यह शब्द पति और पत्नी दोनों को साथ में व्यक्त करता है।
द्वंद्व समास का प्रयोग:
- द्वंद्व समास का प्रयोग सामान्यत: उन परिस्थितियों में किया जाता है जहाँ दो समान या विरोधी तत्वों को एक साथ जोड़कर एक नया शब्द बनाना होता है।
- यह समास विशेष रूप से उन परिस्थितियों में प्रयुक्त होता है जहाँ कोई वाक्य या विचार अधिक संक्षिप्त और प्रभावशाली तरीके से व्यक्त किया जा सकता है।
द्वंद्व समास की संरचना:
- द्वंद्व समास में शब्दों का रूप सामान्यतः द्वंद्व या संज्ञा के रूप में होता है, जिसमें दोनों शब्द बराबरी से जुड़े होते हैं।
द्वंद्व समास के कुछ प्रमुख उदाहरण:
- पितामह (पिता + महा) – यह शब्द एक विशेष व्यक्ति को बोध कराता है, अर्थात वह व्यक्ति जो किसी का पिता होने के साथ-साथ अत्यधिक आदरणीय भी है।
- अलपबुद्धि (अल्प + बुद्धि) – इसका अर्थ होता है छोटी बुद्धि वाला।
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