बहुव्रीहि समास
परिभाषा:
जब समास के पदों से बना नया शब्द किसी तीसरे व्यक्ति, वस्तु या विशेषता का बोध कराता है, और वह स्वयं अपने पदों के अर्थ का द्योतक न होकर दूसरे का संकेत करता है, तो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
सरल शब्दों में: बहुव्रीहि समास में जो शब्द बनता है, वह किसी वस्तु, व्यक्ति, या विशेषता को उसके गुण या पहचान के आधार पर व्यक्त करता है, लेकिन वह स्वयं उस वस्तु का नाम नहीं होता।
बहुव्रीहि समास की विशेषताएँ:
- अर्थ पर आधारित: नया शब्द तीसरे अर्थ को दर्शाता है, न कि समास के किसी भी पद का सीधा अर्थ।
- विभक्ति लोप: पदों के बीच की विभक्ति हट जाती है।
- अर्थ का संकेत: समास का अर्थ संकेतात्मक होता है, जैसे किसी विशेषता के माध्यम से किसी वस्तु की पहचान।
- अर्थ का उदाहरण: ‘बहुव्रीहि’ शब्द स्वयं एक बहुव्रीहि समास है। इसका अर्थ है “जिसके पास बहुत अधिक धान (धान्य) हो,” लेकिन यह स्वयं धान का बोध नहीं कराता।
बहुव्रीहि समास के उदाहरण:
- स्वर्णकिरण:
- पद: स्वर्ण (सोना) + किरण (किरण)
- अर्थ: “जिसकी किरणें सोने जैसी हों” (सूर्य)।
- चतुर्भुज:
- पद: चतुर (चार) + भुज (भुजाएँ)
- अर्थ: “जिसके चार भुजाएँ हों” (भगवान विष्णु)।
- नीलकंठ:
- पद: नील (नीला) + कंठ (गला)
- अर्थ: “जिसका कंठ नीला हो” (भगवान शिव)।
- पंचवटी:
- पद: पंच (पाँच) + वटी (वृक्षों का समूह)
- अर्थ: “जहाँ पाँच वृक्ष हों” (एक स्थान)।
- गजगामिनी:
- पद: गज (हाथी) + गामिनी (गति)
- अर्थ: “जिसकी चाल हाथी के समान हो” (स्त्री)।
बहुव्रीहि समास के प्रकार:
बहुव्रीहि समास को भी विभिन्न प्रकारों में बाँटा जा सकता है, जो उनके अर्थ और उपयोग पर निर्भर करते हैं:
- गुणवाचक बहुव्रीहि:
- जिसमें किसी के गुण का बोध होता है।
- उदाहरण: पीताम्बर (जिसने पीले वस्त्र धारण किए हों)।
- रूपवाचक बहुव्रीहि:
- जिसमें किसी के रूप, आकार, या स्वरूप का बोध होता है।
- उदाहरण: त्रिनेत्र (जिसकी तीन आँखें हों)।
- स्थानवाचक बहुव्रीहि:
- जिसमें स्थान या किसी जगह का संकेत हो।
- उदाहरण: पंचवटी (जहाँ पाँच वृक्ष हों)।
बहुव्रीहि समास में प्रधानता:
बहुव्रीहि समास में प्रधानता तीसरे अर्थ को होती है। इसका अर्थ न तो पहले पद का होता है और न ही दूसरे पद का, बल्कि दोनों पद मिलकर एक तीसरा बोध कराते हैं।
उदाहरण:
- नीलकंठ:
- नील = नीला,
- कंठ = गला,
- अर्थ: “जिसका गला नीला हो,” लेकिन यह “नीला गला” नहीं बल्कि भगवान शिव का बोध कराता है।
बहुव्रीहि समास की पहचान:
- यदि समास से बने शब्द का अर्थ किसी तीसरे व्यक्ति, वस्तु या स्थान की ओर संकेत करता है, तो वह बहुव्रीहि समास होगा।
- समास का अर्थ “किसका?” प्रश्न के उत्तर में मिलता है।
उदाहरण:
- चतुर्भुज: किसका? → “जिसके चार भुजाएँ हों।”
- गजगामिनी: किसकी? → “जिसकी चाल गज (हाथी) के समान हो।”
महत्व और उपयोग:
- सौंदर्य: भाषा को संक्षिप्त, प्रभावशाली और सुंदर बनाने में बहुव्रीहि समास का उपयोग होता है।
- संकेतात्मकता: इसमें विशेषता के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से किसी वस्तु या व्यक्ति की पहचान कराई जाती है।
- साहित्य में उपयोग: काव्य और साहित्य में बहुव्रीहि समास का अत्यधिक उपयोग होता है, क्योंकि यह भावों को संक्षेप में व्यक्त करता है।
संक्षेप में:
“बहुव्रीहि” = जिस वस्तु/व्यक्ति के पास कोई विशेषता हो।
उदाहरण:
- “नीलकंठ” → “जिसका कंठ नीला हो।”
- “गजगामिनी” → “जिसकी चाल हाथी जैसी हो।”
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