अव्ययीभाव समास
परिभाषा:
जब एक अव्यय (जो रूप नहीं बदलता) दूसरे शब्द के साथ मिलकर एक नया शब्द बनाता है और यह समास का अर्थ एक विशेष संबंध या गुण को व्यक्त करता है, तो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
सरल शब्दों में: यह समास उन शब्दों का संयोजन है जिसमें पहला शब्द अव्यय होता है और दूसरा शब्द सामान्य रूप से किसी व्यक्ति, वस्तु या गुण को व्यक्त करता है।
अव्ययीभाव समास की विशेषताएँ:
- अव्यय शब्द का उपयोग: इस समास में पहला शब्द अव्यय होता है, जैसे ‘सहित’, ‘के साथ’, ‘तक’, ‘के द्वारा’, ‘तथा’ आदि।
- विशेषण संबंध: अव्यय शब्द दूसरे शब्द का विशेषण होता है, और दोनों मिलकर एक नया अर्थ प्रदान करते हैं।
- विभक्ति का लोप: समास बनने के बाद, दो शब्दों के बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है।
- संपूर्ण अर्थ का एकसूत्रीकरण: इस समास में दो या अधिक शब्द मिलकर संक्षिप्त और स्पष्ट रूप में एक नया अर्थ व्यक्त करते हैं।
अव्ययीभाव समास के उदाहरण:
- नयनसुख:
- नयन (आँख) + सुख (खुशी)
- अर्थ: आँखों की खुशी (जो देखने में सुख दे)
- चरणस्पर्श:
- चरण (पैर) + स्पर्श (स्पर्श)
- अर्थ: पैर का स्पर्श (धार्मिक या सम्मानजनक स्पर्श)
- धर्मपत्नी:
- धर्म (धर्म) + पत्नी (पत्नी)
- अर्थ: धर्मपत्नी (जो अपने पति के साथ धर्म निभाए)
- तथाकथित:
- तथा (और) + कथित (कहा हुआ)
- अर्थ: जो कहा गया हो (या जिसे कहा गया हो)
- संगठित:
- संग (साथ) + ठित (स्थिर)
- अर्थ: साथ में स्थिर रूप से रखा हुआ (जैसे एकत्रित, एकजुट)
अव्ययीभाव समास के प्रकार:
अव्ययीभाव समास को दो प्रमुख प्रकारों में बांटा जाता है:
- संयुक्त अव्ययीभाव समास:
- इसमें अव्यय के बाद एक संज्ञा या विशेषण होता है, जो किसी गुण, अवस्था या व्यक्ति का बोध कराता है।
- उदाहरण:
- नयनसुख (आँखों की खुशी)
- धर्मपत्नी (धर्म निभाने वाली पत्नी)
- सम्बंधित अव्ययीभाव समास:
- इसमें अव्यय शब्द के माध्यम से संबंध व्यक्त किया जाता है।
- उदाहरण:
- साथसाथ (साथ साथ चलना)
- के साथ (उसके साथ जाना)
अव्ययीभाव समास का निर्माण:
- पहला शब्द अव्यय होना चाहिए।
- दो शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, जिसमें दूसरा शब्द आमतौर पर किसी व्यक्ति, वस्तु या गुण को व्यक्त करता है।
- विभक्ति का लोप होता है, जिससे समास संक्षिप्त और प्रभावी हो जाता है।
अव्ययीभाव समास के पहचान:
- समास में पहला शब्द अव्यय होता है, जैसे ‘सहित’, ‘के साथ’, ‘तक’, ‘का’, ‘तथा’, आदि।
- नया शब्द एक संबंध या गुण व्यक्त करता है, न कि दोनों शब्दों का साधारण संयोजन।
- यह समास किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, या गुण का संक्षिप्त रूप होता है, जो अपने पदों के अर्थ से अधिक जानकारी प्रदान करता है।
उदाहरण:
- तथाकथित → “जो कहा गया हो”
- नयनसुख → “आँखों में खुशी”
- धर्मपत्नी → “धर्म निभाने वाली पत्नी”
अव्ययीभाव समास का महत्व:
- संक्षिप्तता: यह समास शब्दों को संक्षेप और प्रभावी रूप से व्यक्त करता है, जिससे भाषाई सौंदर्य बढ़ता है।
- स्पष्टता: समास बनने से वाक्य संक्षिप्त और स्पष्ट हो जाता है।
- व्याकरणिक सौंदर्य: संस्कृत और हिंदी के व्याकरण में इस समास का विशेष स्थान है, क्योंकि यह भाषा को लचीला और सुंदर बनाता है।
- साहित्यिक उपयोग: साहित्य और काव्य में अव्ययीभाव समास का बहुत उपयोग होता है, क्योंकि यह शब्दों के बीच संबंध और अर्थ को खूबसूरती से व्यक्त करता है।
संक्षेप में:
अव्ययीभाव समास का मतलब है कि दो शब्दों के मिलकर एक नया अर्थ बनाना, जिसमें पहला शब्द अव्यय होता है। इस समास में विशेषण और संबंध को स्पष्ट और संक्षेप में व्यक्त किया जाता है।
उदाहरण:
- तथाकथित → “जो कहा गया हो”
- नयनसुख → “आँखों की खुशी”
Leave a Reply