MCQ बस की यात्रा Chapter 2 Hindi Class 8 Vasant हिंदी Advertisement MCQ’s For All Chapters – Hindi Class 8th 1. कुल कितने लोग शाम की बस से यात्रा करने वाले थे?तीनचारपाँचछहQuestion 1 of 272. इस पाठ के लेखक कौन हैं?भगवती चरण वर्माभगवती चरण वर्माकामतानाथहरिशंकर परसाईQuestion 2 of 273. पन्ना से सतना के लिए बस कितनी देर बाद मिलती है?आधा घंटाएक घंटे बाददो घंटे बादप्रातः कालQuestion 3 of 274. यह बस कहाँ की ट्रेन मिला देती है?सतना कीपन्ना कीजबलपुर कीभोपाल कीQuestion 4 of 275. उस बस में कंपनी के कौन सवार थे?चौकीदारहिस्सेदारदावेदारइनमें से कोई नहींQuestion 5 of 276. इस पाठ में गांधी जी के किस आंदोलन का उल्लेख है?असहयोग आंदोलनसविनय अवज्ञा आंदोलनउपर्युक्त दोनोंइनमें से कोई नहींQuestion 6 of 277. लेखक हरे-भरे पेड़ों को क्या समझता था?जीवनदातामित्रशत्रुशुभचिंतकQuestion 7 of 278. ‘उत्सर्ग’ शब्द कैसा है?तत्समतद्भवदेशजविदेशीQuestion 8 of 279. ‘फर्स्ट क्लास’ शब्द निम्नलिखित में से किस प्रकार का शब्द है-आगततत्समदेशजतद्भवQuestion 9 of 2710. हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है जो जबलपुर की ट्रेन मिला देती है। सुबह घर पहुँच जाएँगे। हम में से दो को सुबह काम पर हाज़िर होना था इसीजिए वापसी का यही रास्ता अपनाना ज़रूरी था। लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते। क्या रास्ते में डाकू. मिलते हैं ? नहीं, बस डाकिन है।बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। खूब वयोवृद्ध थी। सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी। लोग इसलिए इससे सफ़र नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा। उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए।गद्यांश के पाठ का नाम- बस की यात्रा लेखक का नाम- हरिशंकर परसाईलेखक- कामतानाथ, पाठ-लाख की चूड़ियाँपाठ- भगवान के डाकिए, लेखक- रामधारी सिंह दिनकरपाठ- कामचोर, इस्मत चुगलाईQuestion 10 of 2711. हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है जो जबलपुर की ट्रेन मिला देती है। सुबह घर पहुँच जाएँगे। हम में से दो को सुबह काम पर हाज़िर होना था इसीजिए वापसी का यही रास्ता अपनाना ज़रूरी था। लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते। क्या रास्ते में डाकू. मिलते हैं ? नहीं, बस डाकिन है।बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। खूब वयोवृद्ध थी। सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी। लोग इसलिए इससे सफ़र नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा। लेखक के मन में बस को देखकर कैसा भाव उमड़ा?प्रेमश्रद्धादयाइनमें से कोई नहींQuestion 11 of 2712. हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है जो जबलपुर की ट्रेन मिला देती है। सुबह घर पहुँच जाएँगे। हम में से दो को सुबह काम पर हाज़िर होना था इसीजिए वापसी का यही रास्ता अपनाना ज़रूरी था। लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते। क्या रास्ते में डाकू. मिलते हैं ? नहीं, बस डाकिन है।बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। खूब वयोवृद्ध थी। सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी। लोग इसलिए इससे सफ़र नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा। लेखक और उसके मित्रों को कहाँ जाना था?सतनाजबलपुरपन्नारायगढ़Question 12 of 2713. हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है जो जबलपुर की ट्रेन मिला देती है। सुबह घर पहुँच जाएँगे। हम में से दो को सुबह काम पर हाज़िर होना था इसीजिए वापसी का यही रास्ता अपनाना ज़रूरी था। लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते। क्या रास्ते में डाकू. मिलते हैं ? नहीं, बस डाकिन है।बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। खूब वयोवृद्ध थी। सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी। लोग इसलिए इससे सफ़र नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा। यात्री इस बस में सफ़र क्यों नहीं करना चाहते थे?क्योंकि बस के चलने के आसार ही दिखाई नहीं देते थेक्योंकि बस में सीटें बहुत कम थीक्योंकि बस अपनी जर्जर अवस्था के कारण धोखा दे सकती थीइनमें से कोई नहींQuestion 13 of 2714. समझदार आदमी में समझदार शब्द हैसंज्ञा कीसर्वनाम की उत्तरक्रिया कीविशेषण कीQuestion 14 of 2715. इंजन सचमुच स्टार्ट हो गया। ऐसा, जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं। काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था। हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। इंजन चल रहा था। हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है। बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गांधी जी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था। कभी लगता सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बाडी आगे भागी जा रही है। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है। इंजन सचमुच स्टार्ट हो गया वाक्य में लेखक का कहने का अभिप्राय क्या है?बस की सुंदर स्थिति के कारणड्राइवर के दयनीय स्थिति को देखकरबस की दशा और पहलीबार में ही स्टार्ट होने के कारणबस की हालत को देखकरQuestion 15 of 2716. इंजन सचमुच स्टार्ट हो गया। ऐसा, जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं। काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था। हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। इंजन चल रहा था। हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है। बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गांधी जी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था। कभी लगता सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बाडी आगे भागी जा रही है। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है। लेखक को ऐसा क्यों लग रहा था कि हम इंजन के भीतर बैठे हैं?सरदी के कारणपरेशानी के कारणउनके उम्र के कारणशोर और कंपन के कारणQuestion 16 of 2717. इंजन सचमुच स्टार्ट हो गया। ऐसा, जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं। काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था। हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। इंजन चल रहा था। हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है। बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गांधी जी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था। कभी लगता सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बाडी आगे भागी जा रही है। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है। गद्यांश में बस की दशा के बारे में क्या पता चलता था?बस अच्छी हालत में थीबस की हालत दयनीय थीबस खराब थीपता नहींQuestion 17 of 2718. इंजन सचमुच स्टार्ट हो गया। ऐसा, जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं। काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था। हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। इंजन चल रहा था। हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है। बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गांधी जी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था। कभी लगता सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बाडी आगे भागी जा रही है। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है। आठ-दस मील के बाद बस की चाल में क्या परिवर्तन आया?बस का टायर खराब हो गयाबस खराब हो गईयह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी हैबस काफ़ी तेज़ी से चलने लगीQuestion 18 of 2719. बस की रफ्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी। मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था। ब्रेक फेल हो सकता है, स्टीयरिंग टूट सकता है। प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे। दोनों तरफ़ हरे-भरे पेड़ थे जिन पर पक्षी बैठे थे। मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था। जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी। वह निकल जाता तो दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता। झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा जाएगी। अब बस किस रफ्तार से चल रही थी?पंद्रह से बीस मील प्रति घंटाआठ से दस मील रफ़्तारदस से बारह मील रफ़्तारचार से पाँच मील रफ्तारQuestion 19 of 2720. बस की रफ्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी। मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था। ब्रेक फेल हो सकता है, स्टीयरिंग टूट सकता है। प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे। दोनों तरफ़ हरे-भरे पेड़ थे जिन पर पक्षी बैठे थे। मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था। जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी। वह निकल जाता तो दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता। झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा जाएगी। लेखक को बस पर भरोसा क्यों नहीं रहा?क्योंकि बस का ड्राइवर नशे में थाक्योंकि रास्ता काफ़ी खराब थाक्योंकि लेखक ने सोच लिया कि बस का कभी भी ब्रेक फेल हो सकता है, या स्टीयरिंग टूट सकता हैQuestion 20 of 2721. बस की रफ्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी। मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था। ब्रेक फेल हो सकता है, स्टीयरिंग टूट सकता है। प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे। दोनों तरफ़ हरे-भरे पेड़ थे जिन पर पक्षी बैठे थे। मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था। जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी। वह निकल जाता तो दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता। झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा जाएगी। लेखक पेड़ों को अपना शत्रु क्यों समझ रहे थे?पेड़ों के हरे-भरे होने के कारणपेड़ों के कारण रास्ता न दिखने के कारणपेड़ों से बस टकराने के भय के कारणअत्यधिक छायादार होने के कारणQuestion 21 of 2722. बस की रफ्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी। मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था। ब्रेक फेल हो सकता है, स्टीयरिंग टूट सकता है। प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे। दोनों तरफ़ हरे-भरे पेड़ थे जिन पर पक्षी बैठे थे। मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था। जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी। वह निकल जाता तो दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता। झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा जाएगी। लेखक को बस डूबने का डर कहाँ सताने लगा?पुलिया परनदी मेंझील मेंसमुद्र मेंQuestion 22 of 2723. बस की रफ्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी। मुझे उसके किसी हिस्से पर भरोसा नहीं था। ब्रेक फेल हो सकता है, स्टीयरिंग टूट सकता है। प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे। दोनों तरफ़ हरे-भरे पेड़ थे जिन पर पक्षी बैठे थे। मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था। जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी। वह निकल जाता तो दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता। झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा जाएगी। गद्यांश में लेखक ने सड़क के दोनों किनारे का दृश्य कैसे प्रस्तुत किया है?दोनों ओर हरे-भरे पेड़ थे जिस पर पक्षी बैठे थेदोनों तरफ़ नदियाँ बह रही थींचारों तरफ़ काले-काले बादल आसमान में छाए थेदोनों तरफ़ झीलें ही झीलें थींQuestion 23 of 2724. एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया। वह बहुत ज़ोर से हिलकर थम गई। अगर स्पीड में होती तो उछलकर नाले में गिर जाती। मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफ़र कर रहे हैं। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचा, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम सब मर जाते तो देवता बाँहें पसारे उसका इंतज़ार करते। बस कहाँ खराब हो गई?झील के पासएक गाँव मेंपुलिया परपुल के नीचेQuestion 24 of 2725. एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया। वह बहुत ज़ोर से हिलकर थम गई। अगर स्पीड में होती तो उछलकर नाले में गिर जाती। मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफ़र कर रहे हैं। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचा, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम सब मर जाते तो देवता बाँहें पसारे उसका इंतज़ार करते। लेखक ने बस कंपनी के हिस्सेदार को किस भाव से देखा?घृणा सेश्रद्धा सेप्यार सेउपेक्षा सेQuestion 25 of 2726. एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया। वह बहुत ज़ोर से हिलकर थम गई। अगर स्पीड में होती तो उछलकर नाले में गिर जाती। मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफ़र कर रहे हैं। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचा, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम सब मर जाते तो देवता बाँहें पसारे उसका इंतज़ार करते। किसके साहस और बलिदान की भावना का दुरुपयोग हो रहा था?यात्रियों कीबस ड्राइवर कीकंपनी के हिस्सेदारों कीकंडक्टर कीQuestion 26 of 2727. एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया। वह बहुत ज़ोर से हिलकर थम गई। अगर स्पीड में होती तो उछलकर नाले में गिर जाती। मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफ़र कर रहे हैं। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचा, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए। अगर बस नाले में गिर पड़ती और हम सब मर जाते तो देवता बाँहें पसारे उसका इंतज़ार करते। लेखक के अनुसार क्रांति नेता में कौन से गुण होने चाहिए।ईमानदार और त्यागीसच्चाई और साहसत्याग और परोपकारसाहस और बलिदानQuestion 27 of 27 Loading... MCQ बस की यात्रा Class 8 Bus Ki Yatra Chapter 2 Hindi
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