प्रश्न – अभ्यास :-
1 . गंगा ने शांतनु से कहा- “ राजन् ! क्या आप अपना वचन भूल गए हैं ? “ तुम्हारे विचार से शांतनु ने गंगा को क्या वचन दिया होगा ?
उत्तर :- हमारे विचार से शांतनु ने गंगा को अपना हर फैसला स्वयं लेने की स्वतंत्रता दी होगी। क्योंकि गंगा जब भी अपना बच्चा नदी में बहा देती अपना मन मारते हुए, वचनों में बंधे रहने के कारण वह गंगा से कुछ नहीं कहता। साथ में गंगा ने यह कहा होगा कि यदि आपने वचन तोड़ा तो मैं आपको छोड़ कर चली जाऊंगी इसलिए जब शांतनु गंगा को आठवां बच्चा बहाने से रोकता हैं तो वह बोलती हैं तुमने अपना दिया हुआ वचन तोड दिया इसलिए मैं जा रही हूँ।
2. महाभारत के समय में राजा के बड़े पुत्र को अगला राजा बनाने की परंपरा थी। इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए बताओ कि तुम्हारे अनुसार से किसे राजा बनाया जाना चाहिए था – युधिष्ठिर या दुर्योधन को ? अपने उत्तर का कारण भी बताओ ।
उत्तर :- हमारे विचार से युधिष्ठिर को राजा बनाना चाहिए था। हस्तिनापुर के राजा पांडु थे और युधिष्ठिर पांडु के बड़े पुत्र थे। पांडु ऋषि–दंपत्ति की भूल से हत्या करने के कारण राज्य भीष्म और विदुर को सौंपकर अपनी पत्नियों कुंती और माद्री के साथ वन चले गए थे। वहीं उनके पाँच पुत्र हुए थे। वन में ही उनकी मृत्यु हो गई थी। पांडवों का पालन–पोषण सोलह वर्ष की आयु तक वन में ही हुआ था। इसलिए जब ऋषियों ने युधिष्ठिर आदि को हस्तिनापुर लाकर भीष्म पितामह के समक्ष किया तो भीष्म को युधिष्ठिर को राजा बनाना चाहिए था।
3. महाभारत के युद्ध को जीतने के लिए कौरवों और पांडवों ने अनेक प्रयास किए। तुम्हें दोनों के प्रयासों में जो उपयुक्त लगे हों, उनके कुछ उदाहरण दो।
उतर :- पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीतने के लिए श्रीकृष्ण को अपनी तरफ कर लिया था। वे श्रीकृष्ण से सलाह करके युद्ध की योजना बनाते थे। युद्ध आरंभ करने से पहले युधिष्ठिर ने विपक्ष में होते हुए भी भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य आदि बुजुर्गो से आशीर्वाद लिया था। दूसरी ओर कौरवों ने महारथियों के द्वारा युद्ध जीतने का प्रयास किया था। युद्ध जीतने के लिए कौरवों ने अधर्म से अभिमन्यु का वध किया। हालाँकि कर्ण ने कुंती को दिए हुए वचन का पालन करते हुए भीम को मारने की स्थिति में होते हुए भी नहीं मारा था।
4. तुम्हारे विचार से महाभारत के युद्ध को कौन रुकवा सकता था ? कैसे ?
उत्तर :- हमारे विचार से महाभारत के युद्ध को भीष्म पितामह रुकवा सकते थे। वे हटाकर युधिष्ठिर को राजा बना देते तो यह युद्ध रुक सकता था। धृतराष्ट्र को राजा उन्होंने ही बनाया था जबकि राजा बनने का अधिकारी युधिष्ठिर था। वे अपने बाहुबल से दुर्योधन को चुप करा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, ऐसा करके उन्होंने लगभग युद्ध को बढ़ावा दिया।
5. इस पुस्तक में से कोई पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर :- 1. मुँह की खाना–द्रौपदी स्वयंवर में कौरवों को मुँह की खानी पड़ी।
2. प्राण पखेरू उड़ना – भीम ने जैसे ही बकासूर को उठा कर ज़मीन पर पटका कि उसके प्राण पखेरू उड़ गए।
3. डींगे मारना–दिनेश डींगे मारता रहता है, होता उससे कुछ भी नहीं है।
4. दर–दर की ठोकरें खाना–रमेश नौकरी की तलाश में दर–दर की ठोकरें खाता फिर रहा है।
5. मन मसोस कर रह जाना–जब लाख कोशिश करने पर भी सुरेंद्र को नौकरी न मिली तो वह मन मसोस कर रह गया।
6. महाभारत में एक ही व्यक्ति के एक से अधिक नाम दिए गए हैं। बताओ, नीचे लिखे हुए नाम किसके है :-
पृथा राधेय वासुदेव
गांगेय सैरंध्री कंक
उत्तर :- पृथा :- कुंती, गांगेय :- भीष्म, राधेय :- कर्ण, देवव्रत :– भीष्म, वासुदेव :- कृष्ण,
कंक :- युधिष्ठिर
7. इस पुस्तक में भरतवंश की वंशावली दी गई है, तुम भी अपने परिवार की ऐसी ही एक वंशावली तैयार करो। इस कार्य के लिए तुम अपने माता–पिता या अन्य बड़े लोगों से मदद ले सकते हो।
उत्तर :- राज कुमार (दादा जी) दयावती (दादी जी)
आशुतोष (पिताजी) रमा (माता जी) अखिलेश (चाचा जी) जया (चाची जी)
महक (बहन) राज (भैया) अमर (भैया) राघव (भैया)
8. तुम्हारे अनुसार महाभारत कथा में किस पात्र के साथ सबसे अधिक अन्याय हुआ और क्यों ?
उत्तर :- हमारे विचार से महाभारत कथा में सबसे अधिक अन्याय कर्ण के साथ हुआ है। उसे जन्म देते ही उसकी माँ ने त्याग दिया। धनुर्विद्या में निपुण था फिर भी उसे अर्जुन के साथ मुकाबला नहीं करने दिया गया। जीवनभर कुंती उसे पहचानकर भी नहींं पहचानी। परन्तु जब युद्ध आरम्भ हुआ तो उसे अपना बेटा कहकर पांडवो से युद्ध करने से रोक देती है। इंद्र ब्राह्मण के वेश में आकर उसके कवच और कुंडल ले जाते हैं। अंत में श्रीकृष्ण उसे निहत्था होते हुए भी अर्जुन से मरवा देते है। इस प्रकार सदा से कर्ण के साथ अन्याय ही होता आया है।
9. महाभारत के युद्ध में किसकी जीत हुई ? (याद रखो कि इस युद्ध में दोनों पक्षों के लाखों लोग मारे गए थे।)
उतर :- महाभारत के युद्ध में पांडवो की जीत हुई थी, आखिरकार वे अपने उचित अधिकार के लिए लड़ रहे थे। उनकी जीत होना संभव ही था। दोनों पक्षों में चाहे किसी की भी मृत्यु हुई फिर भी पांचो पांडव जीवित थे।
10. तुम्हारे विचार से महाभारत की कथा में सबसे अधिक वीर कौन था ? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
उत्तर :- हमारे विचार में सबसे अधिक वीर अभिमन्यु था। जब कौरवों के चक्रव्यूह तोड़ने के लिए कोई भी पांडव तैयार नहीं था तो अभिमन्यु ने चक्रव्यूह तोड़ने का साहस दिखाया। उसे चक्रव्यूह से निकलना नहीं आता था फिर भी उसने कोरवों के महारथियों से डट कर मुकाबला किया।
11. यदि तुम युधिष्ठिर की जगह होते, यक्ष के प्रश्नों के क्या उत्तर देते ?
उत्तर :- यक्ष:- मनुष्य का कौन साथ देता है?
मैं :- सहनशीलता
यक्ष :- यश-लाभ का एकमात्र उपाय क्या है?
मैं :- दान-दक्षिणा
यक्ष :-हवा से भी तेज़ चलने वाला कौन है?
मैं :- मन
यक्ष :- विदेश जाने वाले का कौन साथी होता है?
मैं :- शिक्षा
यक्ष :- किसे त्याग कर मनुष्य मुक्त हो जाता है?
मैं :- घमंड
यक्ष :-किस चीज़ के खो जाने से दुख नहीं होता?
मैं :-गुस्सा
यक्ष :-किस चीज़़ को गवाकर मनुष्य धनी बनता है?
मैं :- लोभ
यक्ष :- ब्राह्मण होना किस बात पर निर्भर है?
मैं :- स्वभाव पर
यक्ष :- धर्म से बढ़कर संसार में और क्या है?
मैं :- उदारता
12. महाभारत के कुछ पात्रों द्वारा कही गई बातें नीचे दी गई हैं। इन बातों को पढ़कर उन पात्रों के बारे में तुम्हारे मन में क्या विचार आते हैं :-
(क) शांतनु ने कवटराज से कहा- “ जो माँगोगे दूंगा , यदि वह मेरे लिए अनुचित न हो”।
उत्तर :- शांतनु एक ऐसे व्यक्ति है जो हर काम को सोचकर तथा उसका उचित अनुचित ध्यान में रख कर ही करते है।
(ख) दुर्योधन ने कहा- “ अगर बराबरी की बात है , तो मैं आज ही कर्ण को अंगदेश का राजा बनाता है”।
उत्तर:- दुर्योधन अपने मतलब के लिए किसी को भी हानि पहुँचा सकता है। जहां उसका स्वार्थ होता वो उसी का साथ देता।
(ग) धृतराष्ट्र ने दुर्योधन से कहा- “ बेटा , मैं तुम्हारी भलाई के लिए कहता हूँ कि पांडवों से बैर न करो । बैर दुख और मृत्यु का कारण होता है”।
उत्तर :- धृतराष्ट अपने पुत्र से बहुत प्यार करते थे। इसलिए वे नहीं चाहते थे कि पांडवो से लड़ाई करके उनके पुत्र को हानि हो।
(घ) द्रौपदी ने सारथी प्रातिकामी से कहा- “ रथवान ! जाकर उन हारनेवाले जुए के खिलाड़ी से पूछो कि पहले वह अपने को हारे थे या मुझे ?”
उत्तर:- इससे यह लगता है कि द्रोपदी आत्मविश्वासी, स्वाभिमानी, ओर विदुषी है।
13. युधिष्ठिर ने आचार्य द्रोण से कहा- “ अश्वत्थामा मारा गया , मनुष्य नहीं , हाथी। “ युधिष्ठिर सच बोलने के लिए प्रसिद्ध थे। तुम्हारे विचार से उन्होंने द्रोण से सच कहा था या झूठ ? अपने उत्तर का कारण भी बताओ।
उत्तर :- युधिष्ठिर ने सच ही कहा था कि ‘ अश्वत्थामा मारा गया , मनुष्य नहीं हाथी ‘। क्योंकि उसी समय भीम ने अवश्त्थामा नामक हाथी को मारा था। यह दूसरी बात है कि युधिष्ठिर ने ‘ मनुष्य नहीं हाथी ‘ बहुत धीरे से कहा था। अत : द्रोणाचार्य ने केवल यह सुना था। ‘ अश्वत्थमा मारा गया ‘। यह सुनते ही उन्होंने हथियार डाल दिए थे।
14. महाभारत के युद्ध में दोनों पक्षों को बहुत हानि पहुँची। इस युद्ध को ध्यान में रखते हुए युद्धों के कारणों और परिणामों के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखो। शुरुआत हम कर देते हैं:-
(1) युद्ध में दोनों पक्षों के असंख्य सैनिक मारे जाते हैं।
(2) _____________________________________
(3) _____________________________________
(4) _____________________________________
(5) _____________________________________
उत्तर:- (2) युद्ध के कारण असंख्य परिवार उजड़ जाते हैं ।
(3) युद्ध में अनेक लोग विकलांग हो जाते हैं।
(4) युद्ध के कारण अनेक बच्चे अनाथ और स्त्रियाँ विधवा हो जाती हैं।
(5) युद्ध के कारण आर्थिक प्रगति रुक जाती है।
15. मान लो तुम भीष्म पितामह हो। अब महाभारत की कहानी अपने शब्दों में लिखो। घटनाएँ तुम्हें जरूरी न लगें, उन्हें तुम छोड़ सकते हो।
उत्तर :- मैं भीष्म हूँ। मेरा बचपन का नाम देवव्रत है। शांतनु मेरे पिता और गंगा मेरी माता थीं। मेरी माता के चले जाने के बाद मेरे पिता ने केवटराज की पुत्री सत्यवती से विवाह करना चाहा। तब केवटराज की शर्त के अनुसार मैंने आजन्म ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की। तभी से मेरा नाम भीष्म पड़ गया। मेरे पिता की मृत्यु के बाद सत्यवती से उत्पन्न उनके पुत्र चित्रांगद को हस्तिनापुर का राजा बनाया गया था। उनकी मृत्यु के बाद विचित्रवीर्य राजा बना। विचित्रवीर्य के दो पुत्र धृतराष्ट्र और पांडु हुए। पांडु को अपने किसी पाप के प्रायश्चित के लिए वनवास ग्रहण करना पड़ा जहाँ उनकी मृत्यु हो गई थी। कुंती और पाँचों पांडव हस्तिनापुर आ गए थे। हस्तिनापुर में दुर्योधन आदि कौरवों ने पाडवों को तंग करना शुरू कर दिया। मेरे कहने पर धृतराष्ट्र ने आधा राज्य पांडवों को देकर उन्हें खांडवप्रस्थ भेज दिया। खांडवप्रस्थ को पांडवों ने इंद्रप्रस्थ के नाम से बसाया। कौरवों और पांडवों ने चौसर खेला तो पांडवों को हार कर तेरह वर्ष वनवास भोगना पड़ा। वे लौट कर आए तो कौरवों ने उन्हें राज्य देने से मना कर दिया। इसी बात पर दोनों पक्षों में कुरुक्षेत्र के मैदान में भयंकर युद्ध हुआ। मेरे कहने पर भी युद्ध नहीं रुका। हस्तिनापुर की गद्दी से बंधे होने के कारण मुझे कौरव सेना का सेनापति बनना पड़ा। अर्जुन के बाणों से आहत होकर मैं सूर्य के उत्तरायण में होने की प्रतीक्षा में युद्ध भूमि में ही बाणों की शैय्या पर पड़ा रहा। बाद में द्रोणाचार्य, कर्ण, दुर्योधन आदि सभी कौरव मारे गए तथा पांडवों की विजय हुई। युधिष्ठिर इस विनाश को देखकर व्याकुल हो गया था। वह मेरे पास आया था। मैने ही उसे समझा भुजा कर राज्य करने के लिए कहा था।
16. (क) द्रौपदी के पास एक ‘ अक्षयपात्र ‘ था, जिसका भोजन समाप्त नहीं होता था। अगर तुम्हारे पास ऐसा ही एक पात्र हो, तो तुम क्या करोगे ?
उत्तर :- यदि मेरे पास एक अक्षयपात्र होता तो मेरे तो मज़े हो जाते, इससे मेरे मन में जब भी खाने की इच्छा होती तो मैं कभी भी कुछ भी खा लेता। तथा जिसे भी खाना खाना होता मैं उसकी सहायता करता।
(ख) यदि ऐसा कोई पात्र तुम्हारे स्थान पर तुम्हारे मित्र के पास हो, तो तुम क्या करोगे ?
उत्तर :- यदि मेरे दोस्त के पास भी ऐसा कोई पात्र होता तो हम खुद भी मज़े से खाते और हर गरीब इंसान को भी खिलाते
17. नीचे लिखे वाक्यों को पढ़ो। सोचकर लिखो कि जिन शब्दों के नीचे रेखा खींची गई है, उनके अर्थ क्या हो सकते हैं ?
(क) गंगा के चले जाने से शांतनु का मन विरक्त हो गया ।
(ख) द्रोणाचार्य ने द्रुपद से कहा- “ जब तुम राजा बन गए, तो ऐश्वर्य के मद में आकर तुम मुझे भूल गए”।
(ग) दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा- “ पिता जी , पुरवासी तरह – तरह की बातें करते हैं”।
(घ) स्वयंवर , मंडप में एक वृहदाकार धनुष रखा हुआ था।
(ङ) चौसर का खेल कोई हमने तो ईजाद किया नहीं ।
उतर :– विरक्त :- उदासी से भर जाना
ऐश्वर्य :- सम्पदा
पुरवासी :- शहर में रहने वाले लोग
वृहदाकार :- अधिक बड़ा
ईजाद :- किसी नई वस्तु का निर्माण करना
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