मैया मैं नहिं माखन खायो (Mai Nahin Makhan Khayo) Class 6 Solution
पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (☆) बनाइए-
(1) मैं माखन कैसे खा सकता हूँ? इसके लिए श्रीकृष्ण ने क्या तर्क दिया?
मुझे तुम पराया समझती हो।
मेरी माता, तुम बहुत भोली हो।
मुझे यह लाठी-कंबल नहीं चाहिए।
मेरे छोटे-छोटे हाथ छीके तक कैसे जा सकते हैं?
उत्तर – ☆ मेरे छोटे-छोटे हाथ छीके तक कैसे जा सकते हैं?
(2) श्रीकृष्ण माँ के आने से पहले क्या कर रहे थे?
गाय चरा रहे थे।
माखन खा रहे थे।
मधुबन में भटक रहे थे।
मित्रों के संग खेल रहे थे।
उत्तर – ☆ माखन खा रहे थे।
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और का बताइए कि आपने यही उत्तर क्यों चुने?
श्रीकृष्ण कह रहे थे की मैने माखन नही चुराया। यही बात मां को समझाने के लिए कन्हाज़ी ने यह कारण बताया। मां घर में आने से पहले श्रीकृष्ण माखन खा रहे थे। क्यों की उनके मुख पर माखन लगा हुआ था।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर यहाँ कुछ शब्द दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर –
शब्द | अर्थ या संदर्भ |
जसोदा | यशोदा, श्रीकृष्ण की माँ, जिन्होंने श्रीकृष्ण को पाला था। |
पहर | समय मापने की एक इकाई (तीन घंटे का एक पहर होता है। एक दिवस में आठ पहर होते हैं)। |
लकुटी कमरिया | लाठी और छोटा कंबल, कमली (मान्यता है कि श्रीकृष्ण लकुटि-कमरिया लेकर गाय चराने जाया करते थे)। |
बंसीवट | एक वट वृक्ष (मान्यता है कि श्रीकृष्ण जब गाय चराया करते थे, तब वे इसी वृक्ष के ऊपर चढ़कर वंशी की ध्वनि से गायों को पुकारकर उन्हें एकत्रित करते।) |
मधुबन | मथुरा के पास यमुना के किनारे का एक वन। |
छीको | गोल पात्र के आकार का रस्सियों का बुना हुआ जाल जो छत या ऊँची जगह से लटकाया जाता है ताकि उसमें रखी हुई खाने-पीने की चीज़ों (जैसे- दूध, दही आदि) को कुत्ते, बिल्ली आदि न पा सकें। |
माता | जन्म देने वाली, उत्पन्न करने वाली, जननी, माँ। |
ग्वाल बालन | गाय पालने वालों के बच्चे, श्रीकृष्ण के संगी साथी। |
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपनी कक्षा में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
(क) “भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो”
उत्तर – इसका मतलब है कि सुबह होते ही श्रीकृष्ण को गायों को चराने के लिए मधुबन (वन) भेज दिया गया। यह पंक्ति उनकी दैनिक दिनचर्या और जिम्मेदारियों को दिखाती है।
(ख) “सूरदास तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो”
उत्तर – इसका अर्थ है कि जब श्रीकृष्ण ने अपनी मासूमियत से सफाई दी, तो यशोदा माँ हँस पड़ीं और उन्हें गले से लगा लिया। यह पंक्ति यशोदा की ममता और श्रीकृष्ण की मासूमियत को दर्शाती है।
सोच-विचार के लिए
पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ढूँढ़कर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
(क) पद में श्रीकृष्ण ने अपने बारे में क्या-क्या बताया है?
उत्तर – पद में श्रीकृष्ण ने अपने बारे में यह बताया है कि उन्होंने माखन नहीं खाया। उन्होंने अपने तर्क में कहा कि उनके छोटे-छोटे हाथ छीके तक नहीं पहुँच सकते, इसलिए वे माखन कैसे खा सकते हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि वे तो सुबह से गायों को चराने के लिए मधुबन भेजे गए थे और पूरा दिन वहीं बिताया|
(ख) यशोदा माता ने श्रीकृष्ण को हँसते हुए गले से क्यों लगा लिया?
उत्तर – यशोदा माता ने श्रीकृष्ण की मासूमियत और उनके भोलेपन को देखकर उन्हें हँसते हुए गले से लगा लिया। श्रीकृष्ण की सफाई में जो भोले-भाले तर्क थे, उन्होंने यशोदा माँ का दिल जीत लिया, और उन्हें अपने बेटे की मासूमियत पर हँसी आ गई। इसी ममता और प्रेम के कारण उन्होंने श्रीकृष्ण को गले से लगा लिया।
कविता की रचना
“भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो।
चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो।।”
इन पंक्तियों के अंतिम शब्दों को ध्यान से देखिए। ‘पठायो’ और ‘आयो’ दोनों शब्दों की अंतिम ध्वनि एक जैसी है। इस विशेषता को ‘तुक’ ‘कहते हैं। इस पूरे पद में प्रत्येक पंक्ति त के अंतिम शब्द का तुक मिलता है। अनेक कवि अपनी रचना को प्रभावशाली बनाने के लिए तुक का उपयोग करते हैं।
(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की विशेषताओं की सूची बनाइए, जैसे इस पद की अंतिम पंक्ति में कवि ने अपना नाम भी दिया है आदि।
(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए ।
उत्तर –
तुकबंदी (राइमिंग): कविता में “पठायो” और “आयो” जैसे शब्दों की अंतिम ध्वनि मिलती है, जो इसे लयबद्ध बनाती है।
कवि का नाम: ‘सूरदास’ दिया है।
भाषा: कविता की भाषा ब्रजभाषा है।
दैनिक जीवन का चित्रण: श्रीकृष्ण के गाय चराने और लौटने का वर्णन है।
भावनाओं का चित्रण: यशोदा और श्रीकृष्ण के बीच ममता और मासूमियत को दिखाया गया है।
अनुमान या कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) श्रीकृष्ण अपनी माँ यशोदा को तर्क क्यों दे रहे होंगे?
उत्तर –
श्रीकृष्ण अपनी माँ यशोदा को तर्क इसलिए दे रहे होंगे क्योंकि उन्हें माखन चोरी करने का आरोप लगा था। वे मासूमियत से यह साबित करना चाहते थे कि उन्होंने माखन नहीं खाया। वे माँ को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि वे माखन तक पहुँच ही नहीं सकते।
(ख) जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले से लगा लिया, तब क्या हुआ होगा?
उत्तर –
जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले से लगा लिया, तब श्रीकृष्ण ने राहत महसूस की होगी, और माँ-बेटे के बीच का प्रेम और गहरा हो गया होगा। यशोदा ने उनकी मासूमियत और भोलेपन को महसूस किया होगा, जिससे वे भावुक हो गईं और उन्हें गले से लगा लिया। इस क्षण में, श्रीकृष्ण और यशोदा के बीच का प्यार और भी मजबूत हो गया होगा।
शब्दों के रूप
नीचे शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।
(क) “भोर भयो गैयन के पाछे”
इस पंक्ति में ‘पाछे’ शब्द आया है। इसके लिए ‘पीछे’ शब्द का उपयोग भी किया जाता है। इस पद में ऐसे कुछ और शब्द हैं जिन्हें आप कुछ अलग रूप में लिखते और बोलते होंगे। नीचे ऐसे ही कुछ अन्य शब्द दिए गए हैं। इन्हें आप जिस रूप में बोलते-लिखते हैं, उस प्रकार से लिखिए।
परे – आगे
कछु – कुछ
छोटो – छोटे
लै – ले
बिधि – विधि
नहिं – नही
भोरी – भोली
(ख) पद में से कुछ शब्द चुनकर नीचे स्तंभ 1 में दिए गए हैं और स्तंभ 2 में उनके अर्थ दिए गए हैं। शब्दों का उनके सही अर्थों से मिलान कीजिए-
उत्तर –
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
उपजी | उपजना, उत्पन्न होना |
जानी | जानकर, समझकर |
जायो | भेज दिया |
जिय | मन, जी |
पठायो | भेजा |
पटितायो | विश्वास किया, सच मानना |
बहियन | बाह, हाथ, भुजा |
बिधी | जन्म |
बिहसी | मुस्काई, हंसी |
भटक्यो | इधर उधर घुमा या भटका |
लपटायो | मला, लगायो पोता |
पंक्ति से पंक्ति
पद में से कुछ शब्द चुनकर नीचे स्तंभ 1 में दिए गए हैं और स्तंभ 2 में उनके अर्थ दिए गए हैं। शब्दों का उनके सही अर्थों से मिलान कीजिए-
उत्तर-
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो। | सुबह होते ही गायों के पीछे मुझे मधुबन भेज दिया। |
चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो। | चार पहर बंसीवट में भटकने के बाद साँझ होने पर घर आया। |
मैं बालक बहिंयन चाहियन को को छोटो. छीको केहि बिधि पायो | मैं छोटा बालक हूँ, मेरी बाँहें छोटी हैं, मैं छीके तक कैसे पहुँच सकता हूँ? |
ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो। | ये सब सखा मुझसे बैर रखते हैं, इन्होंने मक्खन हठपूर्वक मेरे मुख पर लिपटा दिया। |
तू माता मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायो। | माँ तुम मन की बड़ी भोली हो, इनकी बातों में आ गई हो |
जिय तेरे कछु भेद उपजि है, जानि परायो जायो। | तेरे हृदय में अवश्य कोई भेद है, जो मुझे पराया समझ लिया। |
पाठ से आगे
घर की वस्तुएँ
“मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो।”
‘छीका’ घर की एक ऐसी वस्तु है जिसे सैकड़ों वर्ष से भारत में उपयोग में लाया जा रहा है।
नीचे कुछ और घरेलू वस्तुओं के चित्र। दिए गए हैं। इन्हें आपके घर में क्या कहते हैं? चित्रों के नीचे लिखिए। । यदि किसी चित्र को पहचानने में कठिनाई हो तो आप अपने शिक्षक, परिजनों या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।
उत्तर –
मटकी
इस्त्री
बैठक
शिलाई मशीन
खाट
बोतल
सूपजात
हथपंखा
हतौडी
छलनी
बांबू के बर्तन
उखली
मक्खन निकलने का यंत्र
आप जानते ही हैं कि श्रीकृष्ण को मक्खन बहुत पसंद था। दूध से दही, मक्खन बनाया जाता है और मक्खन से घी बनाया जाता है। नीचे दूध से घी बनाने की प्रक्रिया संबंधी कुछ चित्र दिए गए हैं। अपने परिवार के सदस्यों, शिक्षकों या इंटरनेट आदि की प्रक्रिया लिखिए।
शुरुआत में दूध निकाला जाता है। फिर उसे अच्छी तरह से गरम किया जाता है और दूध के ऊपर जो मलाई जमती है, उसे निकालकर एक बर्तन में इकट्ठा किया जाता है। कई दिनों की मलाई को एकत्र किया जाता है। इसके बाद, उसे एक बड़े बर्तन में डालकर मथ लिया जाता है, जिससे मक्खन और मट्ठा निकलता है। मट्ठा अलग कर लिया जाता है और मक्खन को गरम करके घी तैयार किया जाता है।
समय का माप
“चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो।।”
(क) ‘पहर’ और ‘साँझ’ शब्दों का प्रयोग समय बताने के लिए किया जाता है। समय बताने के लिए और कौन-कौन से शब्दों का प्रयोग किया जाता है? अपने समूह में मिलकर सूची बनाइए और कक्षा में साझा कीजिए।
(संकेत- कल, ऋतु, वर्ष, अब, पखवाड़ा, दशक, वेला, अवधि आदि)
उत्तर –
समय बताने के लिए निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है:
कल
ऋतु
वर्ष
अब
वेला
अवधी
प्रहर
घड़ी
पल
क्षण
(ख) श्रीकृष्ण के अनुसार वे कितने घंटे गाय चराते थे?
उत्तर –
श्रीकृष्ण के अनुसार, वे चार पहर तक गाय चराते थे। एक पहर लगभग तीन घंटे का होता है, इसलिए उन्होंने करीब 12 घंटे गाय चराई होगी।
(ग) मान लीजिए वे शाम को छह बजे गाय चराकर लौटे। वे सुबह कितने बजे गाय चराने के लिए घर से निकले होंगे?
उत्तर –
यदि श्रीकृष्ण शाम को छह बजे गाय चराकर लौटे, तो वे सुबह लगभग छह बजे गाय चराने के लिए घर से निकले होंगे, क्योंकि उन्होंने लगभग 12 घंटे गाय चराई।
(घ) ‘दोपहर’ का अर्थ है ‘दो पहर’ ‘का समय। जब दूसरे पहर की समाप्ति होती है और तीसरे पहर का प्रारंभ होता है। यह लगभग 12 बजे ने का समय होता है, जब सूर्य सिर पर आ जाता है। है। बताइए दिन के पहले पहर का प्रारंभ लगभग कितने बजे होगा?
उत्तर –
‘दोपहर’ का समय लगभग 12 बजे होता है। दिन के पहले पहर का प्रारंभ सुबह लगभग 6 बजे होगा, क्योंकि एक पहर तीन घंटे का होता है और सुबह 6 बजे से 9 बजे तक का समय पहले पहर का होता है।
आज की पहेली
दूध से मक्खन ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ बनाया जाता है। नीचे दूध से बनने वाली कुछ वस्तुओं के चित्र दिए गए हैं। दी गई शब्द पहेली में उनके नाम के पहले अक्षर दे दिए गए हैं। नाम पूरे कीजिए-
उत्तर:
खोवा, दही, मलाई, मिठाई, छाछ, मट्ठा, लस्सी, घी, पनीर, आईसक्रीम।
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