मैया मैं नहिं माखन खायो (Mai Nahin Makhan Khayo) Class 6
परिचय:
- यह अध्याय श्रीकृष्ण की बाल-लीला पर आधारित है, जिसमें श्रीकृष्ण अपनी माँ यशोदा के सामने यह सिद्ध करने का प्रयास करते हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया।
श्रीकृष्ण की मासूमियत:
- श्रीकृष्ण अपने छोटे-छोटे हाथों का हवाला देते हुए कहते हैं कि वे छीके तक कैसे पहुँच सकते हैं, इसलिए वे माखन नहीं खा सकते। यह उनके मासूमियत का एक सुंदर उदाहरण है।
दोस्तों की शिकायत:
- श्रीकृष्ण बताते हैं कि उनके दोस्तों ने उनके खिलाफ शिकायत की है और जबरदस्ती उनके मुख पर माखन लगा दिया है। यह बाल-सुलभ शिकायतों और खेलों का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
यशोदा की ममता:
- यशोदा श्रीकृष्ण की मासूमियत और भोलेपन को देखकर उन्हें गले से लगा लेती हैं।
- यह माँ-बेटे के बीच के प्रेम और ममता का अद्वितीय चित्रण है।
श्रीकृष्ण का दिनचर्या:
- श्रीकृष्ण बताते हैं कि वे सारा दिन गाएँ चरा रहे थे और मधुबन में बंसी बजा रहे थे, जिससे यह सिद्ध होता है कि वे माखन खाने के लिए मौजूद नहीं थे।
श्रीकृष्ण की सफाई:
- श्रीकृष्ण ने कहा कि उन्हें लाठी-कंबल कुछ भी नहीं चाहिए क्योंकि उन्होंने माखन नहीं खाया है। यह उनके आत्मविश्वास और सच्चाई का प्रतीक है।
कवि का उद्देश्य:
- इस अध्याय में कवि ने श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं के माध्यम से उनके भोलेपन और मासूमियत का मनोहारी वर्णन किया है। यह पाठ हमें सिखाता है कि सच्चाई और मासूमियत के सामने हर आरोप झूठा साबित होता है।
सरस और भावपूर्ण भाषा:
- इस कविता में सरस और भावपूर्ण भाषा का उपयोग किया गया है, जो पाठकों के मन में एक गहरा प्रभाव छोड़ती है। कविता के अंत में ‘सरूदास’ नाम का उल्लेख किया गया है, जो कवि की विनम्रता को दर्शाता है।
श्रीकृष्ण की नटखटता:
- श्रीकृष्ण की नटखटता इस कविता में साफ झलकती है, जिसमें वे खेल-खेल में अपने ऊपर लगे आरोपों से बचने की कोशिश करते हैं।
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