Ped ki baat Class 6 Notes
लेखक का परिचय:
- लेखक: जगदीशचंद्र बसु, एक महान भारतीय वैज्ञानिक, जिन्होंने पेड़-पौधों की संवेदनाओं और उनके जीवन चक्र पर महत्वपूर्ण खोजें कीं।
बीज से अंकुरण:
- बीज लंबे समय तक मिट्टी के नीचे दबे रहते हैं। वसंत और वर्षा के मौसम के आने पर बीज अंकुरित होते हैं।
- अंकुर के दो भाग होते हैं:
- जड़: जो नीचे की ओर मिट्टी में प्रवेश करती है।
- तना: जो ऊपर की ओर बढ़ता है।
- अंकुरण की प्रक्रिया नई दुनिया को देखने की तरह है, जैसे कोई शिशु अपना सिर उठाकर नई दुनिया को देखता है।
पेड़ों की पोषण प्रक्रिया:
- पेड़-पौधे जड़ के माध्यम से मिट्टी से तरल पदार्थ और वायु से आवश्यक तत्व ग्रहण करते हैं।
- मिट्टी में पानी मिलने पर उसमें घुलने वाले द्रव्य को पेड़ की जड़ें सोख लेती हैं।
- पेड़ की जड़ों और तनों में नलिकाएँ होती हैं जो मिट्टी से पोषक तत्वों को पेड़ के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाती हैं।
- पत्तों में छोटे-छोटे मुँह होते हैं जो प्रकाश की मदद से ‘अंगारक’ वायु को शुद्ध करते हैं।
प्रकाश का महत्व:
- पेड़-पौधे प्रकाश की ओर आकर्षित होते हैं और बिना प्रकाश के जीवित नहीं रह सकते।
- पेड़-पौधे सूर्य की किरणों के बिना मर जाते हैं, इसलिए वे हमेशा प्रकाश की ओर बढ़ते हैं।
- प्रकाश के अभाव में बेल-लताएँ मर जाती हैं, इसलिए वे पेड़ों से लिपटकर ऊपर की ओर बढ़ती हैं।
फूल और बीज:
- पेड़-पौधों में फूलों का निर्माण होता है, जो उनके जीवन की संतान छोड़ने की इच्छा को दर्शाता है।
- फूलों में पराग-कण होते हैं, जो मधुमक्खियों और तितलियों के माध्यम से एक फूल से दूसरे फूल तक पहुंचाए जाते हैं, जिससे बीज का निर्माण होता है।
- पेड़ अपनी संतानों की सुरक्षा और पोषण के लिए अपने शरीर का रस देकर बीजों का पोषण करता है।
पेड़ों का जीवन अंत:
- पेड़ अपने जीवन के अंतिम चरण में सख्त और कमजोर हो जाते हैं।
- वे धीरे-धीरे अपनी डालियों को खो देते हैं और अंततः जड़ सहित जमीन पर गिर जाते हैं।
- पेड़ अपने जीवन को संतान के लिए न्योछावर कर देते हैं और इस प्रकार उनका जीवन समाप्त हो जाता है।
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