Pehli Boond Class 6 Notes
कविता का परिचय
- “पहली बूँद” कविता गोपालकृष्ण कौल द्वारा लिखी गई है।
- यह कविता बारिश की पहली बूँद के धरती पर गिरने से होने वाले बदलाव को दर्शाती है।
प्रकृति का वर्णन
- कविता में बताया गया है कि कैसे बारिश की पहली बूँद से धरती पर नया जीवन आ जाता है।
- बारिश के बाद धरती हरी-भरी हो जाती है, और पौधे उगने लगते हैं।
आकाश और बादलों का चित्रण
- कवि ने आकाश को “नीले नयनों-सा” और बादलों को “काली पुतली-से” कहा है।
- बादलों को “उड़ता सागर” भी कहा गया है, जो बारिश के रूप में धरती पर बरसते हैं।
धरती का रूपांतरण
- बारिश की बूँदें धरती की प्यास बुझाती हैं और उसे ताज़गी देती हैं।
- बारिश के बाद धरती मुस्कुराती है और उसमें नई ऊर्जा का संचार होता है।
कविता का संदेश
इस कविता का मुख्य संदेश है कि बारिश की पहली बूँद से धरती में नया जीवन और ताज़गी आती है, जो प्रकृति के सौंदर्य को और भी निखार देती है।
बारिश की पहली बूँद का महत्व
- बारिश की पहली बूँद धरती के लिए अमृत के समान है।
- यह बूँद धरती की प्यास बुझाती है और उसे जीवनदायिनी ऊर्जा प्रदान करती है।
धरती का सौंदर्य
- बारिश के बाद धरती पर हरियाली छा जाती है।
- घास और पौधे उगने लगते हैं, जिससे धरती और भी सुंदर दिखने लगती है।
बादलों का महत्व
- बादल आकाश में उड़ते हैं और सागर से पानी लेकर आते हैं।
- ये बादल धरती पर बारिश के रूप में बरसते हैं, जिससे जीवन का संचार होता है।
प्राकृतिक परिवर्तन
- बारिश के कारण धरती की सूखी सतह हरी-भरी हो जाती है।
- यह परिवर्तन धरती को नया जीवन और ताज़गी देता है।
कविता का भावार्थ
- “पहली बूँद” कविता में प्रकृति के परिवर्तन और धरती के पुनर्जीवन का सुंदर वर्णन किया गया है।
- यह कविता हमें बताती है कि कैसे बारिश धरती के लिए एक नया जीवन लेकर आती है।
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