MCQ बचपन Chapter 2 Hindi Class 6 Vasant हिंदी Advertisement MCQ’s For All Chapters – Hindi Class 6th 1. ‘बचपन’ पाठ किसकी रचना है-प्रेमचंदरवींद्रनाथ टैगोरमहादेवी वर्माकृष्णा सोबतीQuestion 1 of 192. लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या काम करती थी?वह विद्यालय जाती थी।वह पौधों की देख-रेख करती थी।वह नृत्य करती थी।वह अपने मोज़े व जूते पॉलिश करती थीQuestion 2 of 193. लेखिका का जन्म किस सदी में हुआ था?18वीं सदी20वीं सदी21वीं सदी22वीं सदीQuestion 3 of 194. पहले गीत-संगीत सुनने के क्या साधन थे?रेडियोटेलीविज़नग्रामोफ़ोनसी० डी० प्लेयरQuestion 4 of 195. हर शनिवार लेखिका को क्या पीना पड़ता था?घीऑलिव ऑयलसरसों तेलनारियल तेलQuestion 5 of 196. मैं तुमसे कुछ इतनी बड़ी हूँ कि तुम्हारी दादी भी हो सकती हूँ, तुम्हारी नानी भी। बड़ी बुआ भी-बड़ी मौसी भी। परिवार में मुझे सभी लोग जीजी कहकर ही पुकारते हैं।हाँ, मैं इन दिनों कुछ बड़ा-बड़ा यानी उम्र में सयाना महसूस करने लगी हूँ। शायद इसलिए कि पिछली शताब्दी में पैदा हुई थी। मेरे पहनने-ओढने में भी काफ़ी बदलाव आए हैं। पहले मैं रंग-बिरंगे कपड़े पहनती रही हैं। नीला-जामुनी-ग्रे-काला-चॉकलेटी। अब मन कुछ ऐसा करता है कि सफ़ेद पहनो। गहरे नहीं, हलके रंग। मैंने पिछले दशकों में तरह-तरह की पोशाकें पहनी हैं। पहले फ्रॉक, फिर निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे और अब चूड़ीदार और घेरदार कुरते। परिवार में लोग लेखिका को क्या कहकर पुकारते थे?दीदीमौसीबहनजीजीQuestion 6 of 197. मैं तुमसे कुछ इतनी बड़ी हूँ कि तुम्हारी दादी भी हो सकती हूँ, तुम्हारी नानी भी। बड़ी बुआ भी-बड़ी मौसी भी। परिवार में मुझे सभी लोग जीजी कहकर ही पुकारते हैं।हाँ, मैं इन दिनों कुछ बड़ा-बड़ा यानी उम्र में सयाना महसूस करने लगी हूँ। शायद इसलिए कि पिछली शताब्दी में पैदा हुई थी। मेरे पहनने-ओढने में भी काफ़ी बदलाव आए हैं। पहले मैं रंग-बिरंगे कपड़े पहनती रही हैं। नीला-जामुनी-ग्रे-काला-चॉकलेटी। अब मन कुछ ऐसा करता है कि सफ़ेद पहनो। गहरे नहीं, हलके रंग। मैंने पिछले दशकों में तरह-तरह की पोशाकें पहनी हैं। पहले फ्रॉक, फिर निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे और अब चूड़ीदार और घेरदार कुरते। लेखिका अब अपने आप को किस स्थिति में पाती है?अच्छाबुरासयानाअसहजQuestion 7 of 198. मैं तुमसे कुछ इतनी बड़ी हूँ कि तुम्हारी दादी भी हो सकती हूँ, तुम्हारी नानी भी। बड़ी बुआ भी-बड़ी मौसी भी। परिवार में मुझे सभी लोग जीजी कहकर ही पुकारते हैं।हाँ, मैं इन दिनों कुछ बड़ा-बड़ा यानी उम्र में सयाना महसूस करने लगी हूँ। शायद इसलिए कि पिछली शताब्दी में पैदा हुई थी। मेरे पहनने-ओढने में भी काफ़ी बदलाव आए हैं। पहले मैं रंग-बिरंगे कपड़े पहनती रही हैं। नीला-जामुनी-ग्रे-काला-चॉकलेटी। अब मन कुछ ऐसा करता है कि सफ़ेद पहनो। गहरे नहीं, हलके रंग। मैंने पिछले दशकों में तरह-तरह की पोशाकें पहनी हैं। पहले फ्रॉक, फिर निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे और अब चूड़ीदार और घेरदार कुरते। लेखिका के मन में अब कैसे कपड़े पहनने की इच्छा होती है?चॉकलेटीसफ़ेदलालरंग-बिरंगेQuestion 8 of 199. हर शनिवार को हमें ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता। यह एक मुश्किल काम था। शनिवार को सुबह से ही नाक में इसकी गंध आने लगती !छोटे शीशे के गिलास, जिन पर ठीक खुराक के लिए निशान पड़े रहते, उन्हें देखते ही मितली होने लगती। मुझे आज भी लगता है कि अगर हम न भी पीते वह शनिवारी दवा तो कुछ ज़्यादा बिगड़ने वाला नहीं था। सेहत ठीक ही रहती। लेखिका को हर शनिवार की सुबह अच्छी नहीं लगती थी क्योंकि?क्योंकि विद्यालय जाना पड़ता थाक्योंकि जूते एवं जुराब साफ़ करना पड़ता थाक्योंकि ऑलिव ऑयल पीना पड़ता थाक्योंकि घर का काम करना पड़ता थाQuestion 9 of 1910. हर शनीचर को हमें ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता। यह एक मुश्किल काम था। शनीचर को सुबह से ही नाक में इसकी गंध आने लगती !छोटे शीशे के गिलास, जिन पर ठीक खुराक के लिए निशान पड़े रहते, उन्हें देखते ही मितली होने लगती। मुझे आज भी लगता है कि अगर हम न भी पीते वह शनिवारी दवा तो कुछ ज़्यादा बिगड़ने वाला नहीं था। सेहत ठीक ही रहती। लेखिका को दवा की खुराक का सही पता कैसे लगता था?डॉक्टर सेमाँ सेशीशी पर लिखा हुआ पढ़करशीशे के गिलास पर लगे निशान देखकरQuestion 10 of 1911. शाम को रंग-बिरंगे गुब्बारे। सामने जाखू का पहाड़। ऊँचा चर्च। चर्च की घंटियाँ बजती तो दूर-दूर तक उनकी गूंज फैल जाती। लगता, इसके संगीत से प्रभु ईशू स्वयं कुछ कह रहे हैं। सामने आकाश पर सूर्यास्त हो रहा है। गुलाबी सुनहरी धारियाँ नीले आसमान पर फैल रही हैं। दूर-दूर फैले पहाड़ों के मुखड़े गहराने लगे और देखते-देखते बत्तियाँ टिमटिमाने लगीं। रिज पर की रौनक और माल की दुकानों की चमक के भी क्या कहने! स्कैंडल पॉइंट की भीड़ से उभरता कोलाहल। सरवर, स्कैंडल पॉइंट के ठीक सामने उन दिनों एक दुकान हुआ करती थी, जिसके शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल बना हुआ था। इसकी पटरियाँ उस पर खड़ी छोटे-छोटे डिब्बों वाली ट्रेन। एक ओर लाल टीन की छतवाला स्टेशन और सामने सिग्नल देता खंबा-थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बनी सुरंगें! उपरोक्त गद्यांश में लेखिका ने किस पहाड़ की चर्चा की है?शिवालिक का पहाड़सतपुड़ा का पहाड़हिमालय का पहाड़जाखू का पहाड़Question 11 of 1912. शाम को रंग-बिरंगे गुब्बारे। सामने जाखू का पहाड़। ऊँचा चर्च। चर्च की घंटियाँ बजती तो दूर-दूर तक उनकी गूंज फैल जाती। लगता, इसके संगीत से प्रभु ईशू स्वयं कुछ कह रहे हैं। सामने आकाश पर सूर्यास्त हो रहा है। गुलाबी सुनहरी धारियाँ नीले आसमान पर फैल रही हैं। दूर-दूर फैले पहाड़ों के मुखड़े गहराने लगे और देखते-देखते बत्तियाँ टिमटिमाने लगीं। रिज पर की रौनक और माल की दुकानों की चमक के भी क्या कहने! स्कैंडल पॉइंट की भीड़ से उभरता कोलाहल। सरवर, स्कैंडल पॉइंट के ठीक सामने उन दिनों एक दुकान हुआ करती थी, जिसके शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल बना हुआ था। इसकी पटरियाँ उस पर खड़ी छोटे-छोटे डिब्बों वाली ट्रेन। एक ओर लाल टीन की छतवाला स्टेशन और सामने सिग्नल देता खंबा-थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बनी सुरंगें! ‘पहाड़ों के मुखड़े गहराने’ का क्या अर्थ है?प्रकाश हो जानापहाड़ पर सूर्य की रोशनी पड़नाबत्तियाँ जल जानाधीरे-धीरे अँधेरा छा जानाQuestion 12 of 1913. शहतूत, फाल्से और खसखस के शरबत किस में बदल गए हैं ?लैमन में शरबत मेंकोक-पैप्सी मेंकोल्ड जूस मेंQuestion 13 of 1914. लेखिका के भाई-बहनों की डयूटी शिमला में क्या करने के लिए लगती थी ?पढ़ाई करने की परीक्षा लेने कीब्राउन ब्रैड लाने कीमाल रोड पर घूमने कीQuestion 14 of 1915. लेखिका छोटी-सी चढ़ाई करने पर कहाँ पहुँँच जाती थी ?पहाड़ी परचोटी परखेल के मैदान मेंगिरिजा के मैदान मेंंQuestion 15 of 1916. लेखिका को हफ्ते में एक बार क्या खरीदने की छूट थी ?बिस्कुट टॉफीचॉकलेटब्रेडQuestion 16 of 1917. लेखिका ने पाठ में किसका नाम लिया है ?राम कृष्णईशू विष्णुQuestion 17 of 1918. दुकान के शोरूम में किसका मॉडल बना हुआ था ?बस कापहाड़ी काशिमला काट्रेन काQuestion 18 of 1919. प्रस्तुत संस्मरण में व्यक्ति की किस मुख्य अवस्था को लिया गया है ?जवानी बचपनबुढ़ापा इनमें से कोई नहींQuestion 19 of 19 Loading...
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