पृष्ठ तनाव क्या है इसका विमीय सूत्र लिखिए तथा पृष्ठ ऊर्जा में संबंध, CGS मात्रक, संपर्क कोण
पृष्ठ तनाव
किसी द्रव के पृष्ठ पर खींची गई काल्पनिक रेखा की एकांक लंबाई पर कार्यरत बल को द्रव का पृष्ठ तनाव (surface tension) कहते हैं।
पृष्ठ तनाव, द्रव की सतह पर प्रत्यास्थ का गुण दर्शाती है अर्थात् यह द्रव की सतह पर फैल जाती है तथा सिकुड़ भी जाती है। पृष्ठ तनाव को T से प्रदर्शित करते हैं।
यदि L लंबाई की द्रव की सतह पर F बल कार्यरत है तो पृष्ठ तनाव का सूत्र निम्न होगा-
पृष्ठ तनाव = बल / लम्बवत दूरी
T = \( \frac{F}{L} \)
इसका मात्रक न्यूटन/मीटर तथा पृष्ठ तनाव का सीजीएस (CGS) पद्धति में मात्रक ग्राम/सेकंड2 होता है एवं
विमीय सूत्र [MT-2] होता है। पृष्ठ तनाव का मान द्रव के ताप, प्रकृति तथा माध्यम पर निर्भर करता है।
पृष्ठ तनाव का प्रभाव
ताप का प्रभाव – ताप बढ़ाने पर द्रव का ससंजक बल का मान घट जाता है जिसके कारण उसका पृष्ठ तनाव भी घट जाता है। क्रांतिक ताप पर पृष्ठ तनाव शून्य होता है।
अशुद्धियों का प्रभाव – यदि द्रव में धूल, कंकड़ तथा चिकनाई +तेल या ग्रीस) आदि अशुद्धियां उपस्थित होती हैं तो पृष्ठ तनाव का मान घट जाता है।
विलेयता का प्रभाव – पृष्ठ तनाव, द्रव में घोले गए पदार्थ तथा उसकी घुलनशील ता पर निर्भर करता है।
पृष्ठ ऊर्जा
द्रव के पृष्ठ में स्थित अणु अपनी स्थिति के कारण अपनी ऊर्जा के अतिरिक्त कुछ ऊर्जा ओर रखते हैं अर्थात द्रव के मुक्त पृष्ठ के प्रति एकांक क्षेत्रफल की इस अतिरिक्त ऊर्जा को पृष्ठ ऊर्जा (surface energy in Hindi) कहते हैं।
पृष्ठ तनाव एवं पृष्ठ ऊर्जा में संबंध
माना एक मुड़े हुए तार पर एक झिल्ली बनी है जिसकी दो परतें हैं। यह झिल्ली पृष्ठ तनाव के कारण सिकुड़ने का प्रयास करती है।
प्रयोगों द्वारा ज्ञात होता है कि बल F का मान तार PQ के संपर्क में झिल्ली की लंबाई l के अनुक्रमानुपाती होता है। तो
F ∝ 2l
F = T2l
जहां T एक नियतांक है जिसे द्रव का पृष्ठ तनाव कहते हैं।
माना तार PQ को ∆x दूरी खिसकाकर P’Q’ में लाया जाता है। अतः बल द्वारा क्षेत्रफल वृद्धि करने में किया गया कार्य
W = बल × लम्बवत दूरी
W = F × ∆x
W = T2l × ∆x
W = T × ∆A (चूंकि A = 2l∆x)
(चूंकि A = 2l∆x)
अतः \({ T = \frac{W}{∆A} } \)
यही कार्य, स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है अर्थात
∆U = T∆A
नियत ताप पर द्रव पृष्ठ के प्रति एकांक क्षेत्रफल की स्थितिज ऊर्जा को ही द्रव की पृष्ठ ऊर्जा कहते हैं।
पृष्ठ ऊर्जा = \( \frac{T(2l∆x)}{(2l∆x} \)
पृष्ठ ऊर्जा = T
पृष्ठ ऊर्जा = पृष्ठ तनाव
यही पृष्ठ ऊर्जा और पृष्ठ तनाव के बीच संबंध है।
स्पर्श (संपर्क) कोण
द्रव व ठोस के स्पर्श बिंदु से द्रव के तल पर खींची गई स्पर्श रेखा तथा ठोस के तल पर द्रव के अंदर की ओर खींची गई स्पर्श रेखाओं के बीच बने कोण को द्रव एवं ठोस के लिए स्पर्श कोण या संपर्क कोण कहते हैं।
यह प्रस्तुत चित्र में द्रव, जल तथा ठोस, कांच है चित्र से ही यह परिभाषा बन सकती है।
जो द्रव ठोस को भिगो देते हैं उनका स्पर्श कोण न्यूनतम तथा जो द्रव ठोस को नहीं भिगोते हैं उनका स्पर्श कोण अधिकतम होता है। अर्थात जो द्रव ठोस को गीला कर देते हैं उनके लिए स्पर्श कोण का मान कम होता है।
यहां जल व पारे में कांच की छड़ को डुबोया गया है। कांच की छड़ को जल भिगो देता है। इसलिए जल तथा कांच का स्पर्श कोण 8° ( यानि न्यूनतम) होता है। एवं पारा कांच की छड़ (ठोस) को नहीं भिगोता है इसलिए पारे तथा कांच का स्पर्श कोण 135° (यानि अधिकतम) होता है। चित्र में स्पर्श को θ से दर्शाया गया है।
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