पास्कल का नियम क्या है
पास्कल का नियम
द्रव के दाब के संचरण के संबंध में वैज्ञानिक पास्कल ने एक नियम का प्रतिपादन किया। जिसे पास्कल का नियम (Pascal’s law ) कहते हैं।
इस नियम के अनुसार, जब किसी बंद पात्र में रखे द्रव के किसी एक भाग पर संतुलन अवस्था में दाब लगाया जाता है तो बिना क्षय हुए संपूर्ण द्रव का सभी दिशाओं में समान रूप से संचरित हो जाता है। इसे पास्कल का नियम कहते हैं। अथवा द्रव के दाब का संचरण नियम भी कहते हैं।
कहीं-कहीं यह नियम इस प्रकार भी लिखा होता है।
पास्कल का नियम
यदि गुरुत्वीय प्रभाव को नगण्य मान लिया जाए तो पात्र में रखे द्रव को संतुलन की अवस्था में उसके किसी एक बिंदु पर दाब लगाया जाए तो द्रव, पात्र की दीवारों पर समान रूप से संचरित हो जाता है। यहां गुरुत्वीय क्षेत्र को नगण्य तथा द्रव को स्थिर माना गया है।
पास्कल के नियम के अनुप्रयोग को हमने एक अलग अध्याय में तैयार किया है जिससे आपको समझने में आसानी हो।
पास्कल के नियम का सिद्धांत
इसके अनुसार द्रव के किसी एक बिंदु पर आरोपित दाब अन्य सभी बिंदुओं पर समान रूप से संचरित हो जाता है। अतः स्पष्ट होता है कि कम परिमाण के दाब को अपेक्षाकृत बहुत बड़े क्षेत्रफल पर संचरित करके उस क्षेत्रफल पर अधिक दाब आरोपित किया जा सकता है यही पास्कल के नियम का मुख्य सिद्धांत है।
द्रव चालित लिफ्ट का उपयोग भारी वस्तुओं जैसे- कार, ट्रक, मोटर गाड़ी, ट्रैक्टर आदि को ऊपर उठाने में किया जाता है। इसका कार्य सिद्धांत पास्कल के नियम पर आधारित होता है।
इस नियम का उपयोग करके किसी स्थान पर लगे छोटे बल के प्रभाव को किसी अन्य स्थान पर बड़े बल के प्रभाव में परिवर्तित किया जा सकता है।
पास्कल, द्रव का एस आई मात्रक होता है।
1 पास्कल में 1 न्यूटन/मीटर2 होते हैं एवं
1 बार में 105 पास्कल होते हैं।
पास्कल नियम के उदाहरण – हाइड्रॉलिक लिफ्ट द्रव चालित लिफ्ट, हाइड्रोलिक ब्रेक आदि।
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