प्रत्यास्थता क्या है, उदाहरण, अर्थ, सीमा, परिभाषा
विरुपक बल
किसी वस्तु पर लगाया गया वह बाह्य बल, जिससे वस्तु का आकार, आकृति दोनों ही परिवर्तित हो जाते हैं इस बाह्य बल को विरुपक बल कहते हैं।
जब यह बल वस्तु पर से हटा दिया जाता है तो वस्तु अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाती है।
प्रत्यास्थता
किसी वस्तु का वह गुण, जिसके कारण उस वस्तु पर लगाए गए विरुपक बल के द्वारा उत्पन्न आकार अथवा आकृति के परिवर्तन का विरोध करती है। और जैसे ही वस्तु से यह विरुपक बल हटा दिया जाता है। वस्तु अपनी प्रारंभिक अवस्था में वापस लौट आती है वस्तु के इस गुण को प्रत्यास्थता (elasticity in Hindi) कहते हैं।
प्रत्यास्थता के उदाहरण
1. जब हम रबड़ से बनी किसी डोरी को खींचते हैं तो उसकी आकार अथवा आकृति बदल जाती है। अर्थात उसकी लंबाई बढ़ जाती है। और मोटाई कम हो जाती है पर जैसे ही उस वस्तु को छोड़ दिया जाता है वह अपनी पुरानी अवस्था में ही आ जाती है।
2. इसी प्रकार जब किसी स्प्रिंग को किसी बाह्य बल द्वारा खींचा जाता है तो उसकी लंबाई में वृद्धि हो जाती है पर जैसे ही वह बाह्य बल स्प्रिंग से हटा दिया जाता है तो स्प्रिंग अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाता है। इस गुण को ही प्रत्यास्थता कहते हैं।
प्रत्यास्थ वस्तुएं
वह वस्तुएं जो बाह्य बल (विरुपक बल) के हटा देने पर अपनी पुरानी अवस्था पूर्णतः (पूर्ण रूप से) प्राप्त कर लेती हैं। उन्हें प्रत्यास्थ वस्तुएं कहते हैं।
प्लास्टिक वस्तुएं
वह वस्तुएं जो विरुपक बल के हटा देने पर अपनी प्रारंभिक अवस्था में पूर्ण रूप से नहीं आ पाती हैं उन्हें प्लास्टिक वस्तुएं कहते हैं।
दृढ़ वस्तुएं
वह वस्तुएं जो विरुपक बल के हटा देने पर इनकी आकार और आकृतियों में कोई परिवर्तन नहीं होता है दृढ़ वस्तुएं कहते हैं। जैसे – मिट्टी, पत्थर, दीवार आदि।
प्रत्यास्थता की सीमा
ऊपर पढ़ा है कि प्रत्यास्थ वस्तुओं पर जैसे ही विरुपक बल को हटा दिया जाता है वह पूर्णतः अपनी पूर्व अवस्था को प्राप्त कर लेती हैं। लेकिन प्रत्यास्थता का गुण, विरुपक बल के एक निश्चित मान तक ही सीमित रहता है अगर उससे ज्यादा वस्तु पर विरुपक बल लगा दिया जाए तो वस्तु टूट भी सकती है। या वह वस्तु सदैव के लिए बढ़ सकती है। वह अपनी प्रारंभिक अवस्था में नहीं लौट आएगी।
अर्थात किसी वस्तु पर लगाए गए विरुपक बल की वह सीमा जिसके अंतर्गत वस्तु में प्रत्यास्थता का गुण उपस्थित रहता है उसे प्रत्यास्थता की सीमा (limit of elasticity) कहते हैं।
सबसे अधिक प्रत्यास्थता वाला पदार्थ
सबसे अधिक प्रत्यास्थता वाला पदार्थ स्टील होता है। रबर, स्टील से पीछे है प्रत्यास्थता के गुण में।
क्योंकि रबड़ की अपेक्षा स्टील की प्रत्याशा की सीमा अधिक होती है इसलिए स्टील सर्वाधिक प्रत्यास्थ वाला पदार्थ है।
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