गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा क्या है, सूत्र, विमीय सूत्र
किसी पिंड को अनंत से गुरुत्वीय क्षेत्र के अंतर्गत किसी बिंदु O तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु पर उस वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। इसे U से प्रदर्शित करते हैं।
इसका मात्रक जूल होता है तथा विमीय सूत्र [ML2T-2] है। यह एक अदिश राशि है।
Note –
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा सदैव ऋणात्मक(-) ही होती है क्योंकि इसमें पिंड को अनंत से गुरुत्वीय क्षेत्र तक लाने में कार्य नहीं करना पड़ता है बल्कि स्वयं ही प्राप्त हो जाता है। इस कारण इसका मान सदैव ऋणात्मक ही होता है।
पृथ्वी पर किसी पिंड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
माना पृथ्वी के केंद्र से x दूरी पर m द्रव्यमान का एक पिंड, बिंदु C पर स्थित है। जिसकी O से दूरी x है। यदि पृथ्वी का द्रव्यमान
Me तथा त्रिज्या Re है तो पिंड पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल
F = G \( \large \frac{M_e m}{R_e^2} \)
अब यदि पिंड को बिंदु C से बिंदु B तक dx विस्थापित करने में पिंड पर किया गया कार्य W हो तो
W = F•dx
W = G \( \large \frac{M_e m}{x^2} \) dx
इसी प्रकार पिंड को अनंत से पृथ्वी सतह A तक लाने में किया गया कार्य
W = \( \int^∞_{R_e} \frac{GM_e m}{x^2}\,dx \)
W = GMem \( [\frac{x^{-1}}{-1}]^∞_{R_e}\)
W = GMem \( [-\frac{1}{x}]^∞_{R_e} \)
W = GMem \( [-\frac{1}{x}] + \frac{1}{R_e}\)
W = GMem \( \frac{1}{R_e} \)
W = \( \frac{GM_em}{R_e} \)
गुरुत्वीय बल द्वारा पिंड को अनंत से पृथ्वी तल तक लाने में किया गया कार्य ही पिंड में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है। जिसे गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
U = -W
\( { U = -G \frac{M_em}{R_e} } \)
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