G तथा g में संबंध क्या है लिखिए और स्थापित कीजिए
G तथा g में संबंध
माना पृथ्वी का द्रव्यमान Me तथा त्रिज्या Re है जैसे चित्र से स्पष्ट है।
माना पृथ्वी की सतह पर m द्रव्यमान की कोई वस्तु है। यदि पृथ्वी का द्रव्यमान उसके केंद्र पर केंद्रित है तो इस स्थिति में,
पृथ्वी द्वारा वस्तु पर लगाया गया आकर्षण बल
F = G\( \large \frac{M_e m}{R_e^2} \) समी.①
यदि पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण g हो तो m द्रव्यमान की वस्तु पर लगने वाला गुरुत्व बल
F = mg समी.②
समी.① व समी.② से
F = F
mg = G \( \large \frac{M_e m}{R_e^2} \)
\( { g = G \frac{M_e}{R_e^2} } \)यही g तथा G में संबंध है इस सूत्र में m प्राप्त नहीं होता है इस प्रकार स्पष्ट होता है कि गुरुत्वीय त्वरण का मान वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।
गुरुत्वीय विभव
एकांक द्रव्यमान को अनंत से गुरुत्वीय क्षेत्र के अंतर्गत किसी बिंदु O तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु पर गुरुत्वीय विभव कहते हैं।
यदि m द्रव्यमान की किसी वस्तु को गुरुत्वीय क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में किया गया कार्य W हो तो गुरुत्वीय विभव
v = –\( \frac{W}{m} \)
चूंकि यह कार्य हमें स्वयं ही प्राप्त हो रहा है इसलिए यह ऋणात्मक होता है। अतः गुरुत्वीय विभव सदैव ऋणात्मक ही होता है। क्योंकि यह हमें करना नहीं पड़ता, स्वयं ही प्राप्त हो जाता है।
गुरुत्वीय विभव का मात्रक जूल/किग्रा होता है। एवं विमीय सूत्र [L2T-2] है।
गुरुत्वीय विभव एक अदिश राशि है।
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