बल आघूर्ण तथा कोणीय त्वरण में संबंध
बल आघूर्ण – जब किसी पिंड पर लगा कोई बाह्य बल जो उस पिंड को किसी अक्ष के परितः घूर्णन करने की प्रवृत्ति रखता हो तो उस बाह्य बल को बल आघूर्ण कहते हैं।
τ = r × F
कोणीय त्वरण – घूर्णन गति में कोणीय वेग की समय के साथ परिवर्तन की दर को कोणीय त्वरण कहते हैं।
\( \large \frac{∆ω}{∆t}\)
बल आघूर्ण तथा कोणीय त्वरण में संबंध
माना कोई पिंड स्थिर बिंदु O के परितः घूम रहा है पिंड का कोणीय त्वरण α है तो पिंड सभी कणों का कोणीय त्वरण α ही होगा। जबकि रेखीय त्वरण भिन्न-भिन्न होंगे। माना पिंड के किसी एक कण का द्रव्यमान m1 तथा घूर्णन अक्ष से दूरी r1 है तो
इस कण कर रेखीय त्वरण
a1 = r1α
इस कण पर लगने वाला बल F1 हो तो
F1 = m1a1
a1 का मान रखने पर बल
F1 = m1r1α
इसका बल आघूर्ण
τ1 = F1r1
F1 का मान रखने पर बल आघूर्ण
τ1 = m1r1α × r1
τ1 = m1r1α × r1
τ1 = m1r12α
यह बल आघूर्ण पिंड के किसी एक कण का है इसी प्रकार अन्य कणों के बल आघूर्ण निम्न होंगे-
m2r22α, m3r32α, ………… ।
अतः पूरे पिंड का बल आघूर्ण
τ = τ1 + τ2 + ……….
τ = m1r12α + m2r22α + ……….
τ = α(m1r12 + m2r22 + ……….)
τ = α(Σmr2)
τ = Iα
बल आघूर्ण = जड़त्व आघूर्ण × कोणीय त्वरण
यही बल आघूर्ण तथा कोणीय त्वरण में संबंध का सूत्र है यदि α = 1 तब
τ = I
अर्थात् किसी पिंड का घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण, उस बल आघूर्ण के बराबर होता है जो पिंड में अक्ष के परितः एकांक कोणीय त्वरण उत्पन्न कर दे।
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