कार्य क्या है परिभाषा लिखिए, प्रकार, मात्रक, विमीय सूत्र
कार्य की परिभाषा
किसी वस्तु पर बल लगाकर उस वस्तु को बल की दिशा में विस्थापित करने की प्रक्रिया को कार्य कहते हैं। इसे W से प्रदर्शित करते हैं।
कार्य के मान में वस्तु की दिशा ज्ञात नहीं होती है इसलिए कार्य एक अदिश राशि है। कार्य के लिए महत्वपूर्ण शर्त यही है कि वस्तु में विस्थापन होना चाहिए, तभी कार्य होगा।
कार्य के उदाहरण
(a) चित्र से स्पष्ट होता है कि वस्तु पर बल लगाकर वस्तु को विस्थापित किया गया है इसमें कार्य हुआ है जबकि चित्र (b) में कोई कार्य नहीं हुआ। चूंकि दीवार पर बल लगाने से दीवार में कोई विस्थापन नहीं हुआ।
कार्य का सूत्र (work ka formula)
किसी वस्तु पर लगाया गया बल एवं बल की ही दिशा में वस्तु में हुए विस्थापन के गुणनफल को कार्य कहते हैं। अर्थात
कार्य = बल × बल की दिशा में हुआ विस्थापन
चित्र (a) से यदि किसी वस्तु पर F बल लगाकर उसमें s विस्थापन किया जाता है तो
कार्य W = F • s
चित्र (b) से यदि किसी वस्तु पर बल F, विस्थापन s से θ कोण बनाते हुए लगाया जाता है तो
कार्य W = F • scosθ
सदिश रूप में कार्य
\({ W = \overrightarrow{F} • \overrightarrow{s} } \)कार्य का मात्रक
सूत्र W = F • s से
चूंकि हम जानते हैं कि बल का मात्रक न्यूटन तथा विस्थापन का मात्रक मीटर होता है। तब कार्य का मात्रक न्यूटन-मीटर होगा। न्यूटन-मीटर कार्य का MKS पद्धति में मात्रक है। कार्य का SI मात्रक जूल होता है।
तब 1 जूल = 1 न्यूटन-मीटर
स्पष्ट होता है कि किसी वस्तु पर 1 न्यूटन का बल लगाकर उस वस्तु को बल की ही दिशा में 1 मीटर विस्थापित कर दें। तो वस्तु पर किया गया कार्य 1 जूल होगा।
कार्य का CGS मात्रक अर्ग होता है। 1 जूल में 107 अर्ग होते हैं।
जूल तथा अर्ग में संबंध
जब किसी वस्तु को एक डाइन बल लगाकर 1 सेमी विस्थापित कर दें, तो उस पर कार्य 1 अर्ग होता है। अर्ग कार्य का CGS मात्रक है। तो
1 अर्ग = 1 डाइन × 1 सेमी
एवं 1 जूल = 1 न्यूटन-मीटर
चूंकि हमने डाइन तथा न्यूटन के संबंध में पढ़ा है कि 1 न्यूटन = 105 डाइन होते हैं तो
1 जूल = 105 डाइन × 102 सेमी
1 जूल = 107 डाइन-सेमी
चूंकि 1 डाइन-सेमी में 1 अर्ग होते हैं तब
1 जूल = 107 अर्ग
कार्य का विमीय सूत्र
कार्य के सूत्र W = F • s से
कार्य = बल × विस्थापन
कार्य = द्रव्यमान × त्वरण × विस्थापन
चूंकि द्रव्यमान भार एवं विस्थापन लंबाई ही होती है तो
कार्य = किग्रा × मीटर/सेकंड2 × मीटर
कार्य = किग्रा × मीटर2 × सेकंड-2
अतः कार्य का विमीय सूत्र = [ML2T-2] होता है।
कार्य के प्रकार
कार्य का मान धनात्मक, ऋणात्मक तथा शून्य कुछ भी हो सकता है। इसी आधार पर कार्य तीन प्रकार के होते हैं-
(1) धनात्मक कार्य
(2) ऋणात्मक कार्य
(3) शून्य कार्य
1. धनात्मक कार्य
जब किसी वस्तु पर लगाया गया बल एवं बल की दिशा में हुए विस्थापन के बीच के कोण θ का मान न्यूनतम (अर्थात 0-90° के बीच) है। तो बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होगा। इस प्रकार के कार्य को धनात्मक कार्य (positive work) कहते हैं।
2. ऋणात्मक कार्य
जब किसी वस्तु पर लगाया गया बल F एवं बल की दिशा में हुए विस्थापन s के बीच के कोण θ का मान अधिकतम (अर्थात 90-270° के बीच) है। तो बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होगा। इस प्रकार के कार्य को ऋणात्मक कार्य (negative work) कहते हैं।
3. शून्य कार्य
जब θ का मान 90° और 270° होता है तो किया गया कार्य शून्य होता है।
चूंकि θ = 90° या 270°
पर cos90° या cos270° = 0
तो कार्य W = F•scosθ
W = F•s × 0
W = 0
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