अभिकेंद्र बल क्या है, मात्रक, विमा
अभिकेंद्र बल
अभिकेंद्र त्वरण क्या है यह अध्याय हम पढ़ चुके हैं। इस अध्याय के अंतर्गत हमने पढ़ा था कि जब कोई पिंड एकसमान चाल से r त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर गति करता है तो उसकी गति में अभिकेंद्र त्वरण होता है जिसका वेग लगातार बदलता रहता है। एवं इसका मान नियत रहता है इसकी दिशा सदैव वृत्त के केंद्र की ओर रहती है।
चूंकि हम जानते हैं कि न्यूटन के नियम के अनुसार, त्वरण किसी बल से ही उत्पन्न होता है। एवं इसकी दिशा भी वही होती है जो त्वरण की दिशा होती है।
अतः स्पष्ट होता है कि वृत्तीय गति करते हुए पिंड पर एक बल आरोपित होता है जिसकी दिशा वृत्त के केंद्र की ओर होती है इस बल को ही अभिकेंद्र बल (centripetal force in Hindi) कहते हैं।
अभिकेंद्र बल का सूत्र
अभिकेंद्र बल वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है।
माना m द्रव्यमान का कोई पिंड r त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर v वेग से गति करता है। तो उस पर लगने वाला अभिकेंद्र बल निम्न होगा।
अभिकेंद्र बल = द्रव्यमान × अभिकेंद्र त्वरण
अतः किसी वस्तु के द्रव्यमान एवं उसके अभिकेंद्र त्वरण के गुणनफल के उस वस्तु का अभिकेंद्र बल कहते हैं।
F = m × v2/r
F = \( \frac{mv^2}{r} \)
या अभिकेंद्र त्वरण को कोणीय वेग के पदों में प्रयुक्त करने पर { F = mrω^2 }
अभिकेंद्र बल के उदाहरण
हम अपने दैनिक जीवन में अभिकेंद्र बल के अनेकों उदाहरण देखते हैं। जो निम्न प्रकार से हैं-
1. जब हम किसी रास्सी से कोई पत्थर बांधकर रस्सी के एक सिरे को पकड़कर उसे वृत्तीय गति में घूम आते हैं। तो रस्सी में तनाव के कारण हमारा हाथ अभिकेंद्र बल लगाता है। जबकि रस्सी से बंधा पत्थर पर प्रतिक्रिया बल लगता है।
2. मोड़ पर मुड़ने के लिए किसी कार या मोटरसाइकिल के पहियों और सड़क के बीच घर्षण बल लगता है जो कि कार को मुड़ने के लिए आवश्यक अभिकेंद्र बल प्रदान करता है।
3. इलेक्ट्रॉन का नाभिक के चारों ओर घूमना भी अभिकेंद्र बल का उदाहरण है।
4. गोल घूमते हुए झूले पर बैठे व्यक्तियों का बाहर गिर जाना, अभिकेंद्र बल के कारण ही होता है।
Leave a Reply