विस्पन्द, आवृत्ति का सूत्र, उपयोग
विस्पन्द
जब लगभग समान आवृत्ति की दो ध्वनि तरंगे एक साथ उत्पन्न की जाती है तथा एक साथ एक ही दिशा में गति करती है। तो इन तरंगों के अध्यारोपण से एक नयी तरंग का निर्माण होता है। इस नवीन तरंग की आवृत्ति समय के साथ परिवर्तित होती रहती है। अतः तरंग में होने वाले इस परिवर्तन को ही विस्पन्द (beats in Hindi) कहते हैं।
विस्पन्द की घटना तरंगों के अध्यारोपण के सिद्धांत पर आधारित है।
एक न्यूनतम तथा एक अधिकतम ध्वनि की तीव्रता वाली तरंगों से विस्पन्द का निर्माण होता है। विस्पन्द उत्पन्न करने वाली ध्वनि स्रोतों की आवृत्ति हमें बहुत कम अंतर होना चाहिए। अगर ध्वनि स्रोतों की आवृत्तियों में ज्यादा अंतर पाया जाता है तो वह तरंगे विस्पंद उत्पन्न नहीं करती हैं|
विस्पंद के उदाहरण
यदि हम दो समान आवृत्ति वाले स्वरित्र द्विभुज को एक साथ एक समय पर रबड़ पर मारकर बजाते हैं। तो स्वरित्रों की आवृत्ति में कोई परिवर्तन प्रतीत नहीं होगा। यदि हम एक स्वरित्र की भुजा पर कुछ पदार्थ लगाकर उसकी आवृत्ति कम कर दें। तो दोनों की आवृत्तियों में परिवर्तन प्रतीत होगा। यही परिवर्तन विस्पंद कहलाता है।
विस्पंद आवृत्ति का सूत्र
एक सेकंड में उत्पन्न होने वाले विस्पंदों की संख्या को विस्पंद आवृत्ति कहते हैं।
विस्पंद आवृत्ति = n1 – n2
जहां n1 व n2 दोनों ध्वनि तरंगों की आवृत्तियो में अंतर हैं।
अर्थात् एक सेकंड में (n1 – n2) विस्पंद सुनाई देंगे। अतः 1 सेकंड में सुनाई देने वाले विस्पंदों की संख्या को विस्पंद आवृत्ति कहते हैं।
जहां n1 व n2 दोनों ध्वनि तरंगों की आवृत्तियो में अंतर हैं।
अर्थात् एक सेकंड में (n1 – n2) विस्पंद सुनाई देंगे। अतः 1 सेकंड में सुनाई देने वाले विस्पंदों की संख्या को विस्पंद आवृत्ति कहते हैं।
विस्पंदों के व्यवहारिक उपयोग
1. विस्पंद की सहायता से वस्तुओं की आवृत्तियां ज्ञात की जा सकती हैं। जैसे किसी स्वरित्र की आवृत्ति हमें ज्ञात करनी है तथा दूसरे स्वरित्र की आवृत्ति लगभग पहले स्वरित्र के समान ही है। तो विस्पंद की सहायता से दूसरे स्वरित्र की आवृत्ति ज्ञात कर सकते हैं।
2. विस्पंद का उपयोग कोयले की खानों में विषैली गैस का पता लगाने में होता है।
इसके लिए अनेक प्रकार के प्रक्रम प्रयोग किए जाते हैं। जब खानों में विषैली गैस पाई जाती हैं तब उस प्रक्रम में वायु का घनत्व कम हो जाता है। तथा ध्वनि का वेग बढ़ जाता है वेग के बढ़ने पर ध्वनि की आवृत्ति परिवर्तित हो जाती है। अर्थात् विस्पंद सुनाई देने लगते हैं। इस प्रकार कोयले की खानों में विषैली गैस से का पता लगाया जाता है।
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