तरंगे नोट्स
तरंग गति
तरंग किसी माध्यम में उत्पन्न वह विक्षोभ है जिसमें माध्यम के कर अपने स्थान पर बने रहते हैं परंतु ऊर्जा एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित हो जाती है।
उदाहरण
जब हम किसी तालाब में पत्थर फेंकते हैं तो पत्थर के फेंकने पर तालाब के जल में कंपन उत्पन्न हो जाते हैं। और तालाब का जल ऊपर-नीचे होने लगता है यह कंपन बाहर की ओर बढ़ने लगते हैं। और तालाब के किनारे तक पहुंच जाते हैं। यह कंपन तालाब के केवल ऊपरी सतह पर ही होती हैं।
अन्य उदाहरण – रेडियो तरंगे, ध्वनि तरंगे आदि हैं।
तरंगे नोट्स
तरंग संबंधी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
• आवर्तकाल के व्युत्क्रम को आवृत्ति कहते हैं।
• अनुदैर्ध्य तरंग की चाल ठोसों में सबसे अधिक, द्रवों में ठोसों से कम तथा गैसों में सबसे कम होती है।
• नियत ताप पर ध्वनि की चाल पर दाब परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
• तरंगों में व्यतिकरण तथा विवर्तन की घटनाएं होती है एवं अनुप्रस्थ तरंगों में ध्रुवण होता है।
विस्पंद की घटना ध्वनि के व्यतिकरण का एक विशेष उदाहरण है।
• प्रकाश की वायु में चाल 3 × 108 मीटर/सेकंड तथा ध्वनि की वायु में चाल 330 मीटर/सेकंड होती है।
• प्रगामी तरंग द्वारा माध्यम में ऊर्जा का संचरण होता है।
ध्वनि स्रोत के मूल भाग
1. स्वरक
जब किसी ध्वनि स्रोत से उत्पन्न ध्वनि में कई प्रकार की आवृत्तियों की ध्वनि शामिल होती है तो इस प्रकार की ध्वनि को स्वर कहते हैं। यदि किसी ध्वनि स्रोत से उत्पन्न ध्वनि में केवल एक आवृत्ति की ध्वनि उत्पन्न होती है। तो इसे स्वरक कहते हैं।
2. अधिस्वरक
जिस स्वर की आवृत्ति, मूल आवृत्ति से अधिक होती है उसे अधिस्वरक कहते हैं।
3. संनादी
जिस स्वर की आवृत्ति, मूल आवृत्ति की पूर्ण गुणज होती है उसे संनादी कहते हैं।
Leave a Reply