अणुगति सिद्धांत नोट्स
गैस का अणुगति सिद्धांत
गैसों के गुणों की व्याख्या अणुगति सिद्धांत के अनुसार की जा सकती है और सिद्धांत के अनुसार, प्रत्येक गैस विभिन्न छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनी होती है इन कणों को अणु कहते हैं। अगर एक आदर्श गैस की बात करें तो उसके सभी अणु एक दूसरे के समान अर्थात सभी अणु एक जैसे होते हैं। एवं यह अणु एक दूसरे से बहुत दूर-दूर होते हैं। अर्थात गैस में अधिकांश रिक्त स्थान ही होता है। गैस के सभी अणु निरंतर सरल रेखीय गति करते रहते हैं अतः गति करते हुए यह अणु पात्र की दीवार से टकराते रहते हैं। जिस कारण अणुओं की चाल वह गति दोनों बदल जाती है।
गैसों के अणुगति सिद्धांत की परिकल्पनाएं
1. प्रत्येक गैस अनेक छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनी होती है जिसे अणु कहते हैं।
2. गैस के अणु निरंतर नियत चाल से सरल रेखा में गति करती रहती हैं।
3. गैसों के अणुओं के बीच टक्कर पूर्ण रूप से प्रत्यास्थ होती है। अर्थात इन टक्करों से गैस के अणुओं की गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है।
4. अणु पात्र की दीवारों से टकराते रहते हैं लेकिन टक्करों से गैस के आयतन में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
5. अणुओं की गति पर गुरुत्वाकर्षण बल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि अणुओं का द्रव्यमान बहुत कम एवं वेग अत्यधिक होता है।
अणुगति सिद्धांत संबंधित सूत्र
गैस का वर्ग माध्य मूल चाल
\( { v_{rms} ∝ \sqrt { T} } \)अतः किसी गैस के अणुओं की वर्ग माध्य मूल चाल उस गैस के परमताप के अनुक्रमानुपाती होती है।
इससे स्पष्ट होता है कि गैस के अणुओं की गति जितनी अधिक होगी गैस का ताप उतना ही अधिक होगा।
वर्ग माध्य मूल चाल तथा अणुभार
\( { \frac{v_{1rms}}{v_{2rms}} ∝ \sqrt { \frac{M_2}{M_1} } } \)जहां M1 व M2 दो विभिन्न गैसों के अणुभार हैं तथा उनकी वर्ग माध्य मूल चाल
v1rms व v2rms हैं।
अणु की गतिज ऊर्जा = \( \frac{3}{2} k_BT \)
जहां kB बोल्ट्समान नियतांक तथा T परमताप है।
अणुगति सिद्धांत अध्याय के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु और भी हैं। जो इस अध्याय के अंतर्गत शामिल नहीं किये गए हैं। उनको लेकर एक अलग-अलग बनाया गया है। जिनका लिंक नीचे दिया गया है। पढ़ें…
Leave a Reply