ऊष्मा इंजन, कार्नो इंजन की दक्षता का सूत्र, प्रकार, चक्र, व्यंजक
ऊष्मा इंजन
यह एक ऐसी युक्ति है जो ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक कार्य में परिवर्तित करती है।
ऊष्मा इंजन के मुख्यतः तीन भाग होते हैं।
(1) स्रोत
(2) कार्यकारी पदार्थ (इंजन)
(3) सिंक
ऊष्मा इंजन कैसे काम करता है यह चित्र में दिखाया गया है। एक कार्यकारी पदार्थ (इंजन) ऊष्मा स्रोत से ऊष्मा लेता है एवं उसे ऊष्मा का कुछ भाग वह कार्य में परिवर्तित कर देता है तथा शेष भाग को वह सिंक को दे देता है। यह प्रक्रिया एक चक्र की तरह होती है इसलिए इसे चक्र भी कहते हैं।
Note –
सिंक का ताप हमेशा स्रोत के ताप से कम होता है। कहीं-कहीं आंकिक प्रश्न को हम समझ नहीं पाते हैं कि सिंक का ताप कौन सा है और स्रोत का ताप कौन सा।
तो आप याद रखें कि जो ताप कम होगा वह सिंक का ताप है।
ऊष्मा इंजन की दक्षता
ऊष्मा इंजन के एक पूर्ण चक्र में किए गए कार्य तथा स्रोत द्वारा ली गई कुल ऊष्मा के अनुपात को ऊष्मा इंजन की दक्षता कहते हैं। इसे η (ईटा) से प्रदर्शित करते हैं।
माना कार्य W तथा स्रोत का ताप Q1 हो तो उसमें इंजन की दक्षता का सूत्र निम्न होगा। अतः
η = \( \frac{W}{Q_1} \)
चूंकि कार्य W = स्रोत ऊष्मा (Q1) – सिंक ऊष्मा (Q2)
तब η = \( \frac{Q_1 – Q_2}{Q_1} \)
या \( { η = 1 – \frac{Q_2}{Q_1} } \)
ऊष्मा इंजन की दक्षता का सूत्र है इससे संबंधित numerical प्रश्न जरूर आते हैं।
कार्नो इंजन
ऊष्मा इंजन एक ऐसी युक्ति है जो उसमें ऊर्जा को यांत्रिक कार्य में परिवर्तित करती है। सन् 1824 ई० में फ्रेंच वैज्ञानिक सैडीकार्नो ने एक आदर्श ऊष्मा इंजन की परिकल्पना की। इस ऊष्मा इंजन को कार्नो ऊष्मा इंजन (Carnot’s heat engine) कहते हैं।
इस इंजन में एक चक्र पूरा करने में चार प्रक्रम होते हैं।
(1) समतापी प्रसार
(2) रुद्धोष्म प्रसार
(3) समतापी संपीडन
(4) रुद्धोष्म संपीडन
कार्नो चक्र
कार्नो ऊष्मा इंजन की क्रियाविधि जिस आदर्श चक्र पर आधारित होती है उसे कार्नो चक्र कहते हैं।
अर्थात् कार्यकारी पदार्थ द्वारा चार प्रक्रम में किए गए एक पूर्ण चक्र को कार्नो चक्र कहते हैं।
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