Notes For All Chapters Hindi Aroh Class 11 CBSE
व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़ जाना-बुरा तो हैं
सहमी-सी चुप में जकड़ जाना-बुरा तो है
पर सबसे खतरनाक नहीं होता
कपट के शर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की ली में पढ़ना-बुरा तो है
मुट्टियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो हैं
सबसे खतरनाक नहीं होता
शब्दार्थ
गद्दारी-देश के शासन के विरुद्ध होकर उसे हानि पहुँचाने का भाव। लोभ-लालच। सहमी-डरी। जकड़े जाना-पकड़े जाना। कपट-छल। लौ-रोशनी। मुट्टियाँ भींचकर-गुस्से को दबाकर। वक्त-समय।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से उद्धृत है। इसके रचयिता पंजाबी कवि पाश हैं। पंजाबी भाषा से अनूदित इस कविता में, कवि ने दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विदूपताओं के साथ चित्रित किया है। इस अंश में कवि कुछ खतरनाक स्थितियों के विषय में बता रहा है।
व्याख्या-कवि यहाँ उन स्थितियों का वर्णन करता है जो मानव को दुख तो देती हैं, परंतु सबसे खतरनाक नहीं होतीं। वह बताता है कि किसी की मेहनत की कमाई को लूटने की स्थिति सबसे खतरनाक नहीं है, क्योंकि उसे फिर पाया जा सकता है। पुलिस की मार पड़ना भी इतनी खतरनाक नहीं है। किसी के साथ गद्दारी करना अथवा लोभवश रिश्वत देना भी खतरनाक है, परंतु अन्य बातों जितना नहीं। वह कहता है कि किसी दोष के बिना पुलिस द्वारा पकड़े जाने से बुरा लगता है तथा अन्याय को डरकर चुपचाप सहन करना भी बुरी बात है, परंतु यह सबसे खतरनाक स्थिति नहीं है। छल-कपट के महौल में सच्ची बातें छिप जाती हैं, कोई जुगनू की लौ में पढ़ता है अर्थात् साधनहीनता में गुजारा करता है, विवशतावश अन्याय को सहन कर समय गुजार देना आदि बुरी तो है, परंतु सबसे खतरनाक नहीं है। कई बातें ऐसी हैं जो बहुत खतरनाक हैं और उनके परिणाम दूरगामी होते हैं।
विशेष-
1. ‘सबसे खतरनाक नहीं होती’ तथा ‘बुरा तो है’ की आवृत्ति से परिस्थितियों की भयावहता का पता चलता है।
2. ‘सहमी-सी चुप’ में उपमा अलंकार है।
3. ‘बैठे-बिठाए’ में अनुप्रास अलंकार है।
4. साधनहीनता के लिए ‘जुगनू की लौ’ नया प्रयोग है।
5. ‘गद्दारी लोभ की मुट्ठी’ भी नया प्रयोग है।
6. कथन में जोश, आवेश व मौलिकता है।
7. ‘मुट्ठयाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेने’ का बिंब प्रभावशाली है।
8. सहज सरल खड़ी बोली है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. ‘सबसे खतरनाक नहीं होती’-वाक्यांश की आवृत्ति से कवि क्या कहना चाहता है?
2. कवि ने किन-किन खतरनाक स्थितियों का उल्लेख किया है?
3. ‘किसी जुगनू की लौ में पढ़ना’-आशय स्पष्ट कीजिए।
4. मुदठियाँ भींचकर वक्त निकालने को बुरा क्यों कहा गया है?
उत्तर –
1. इस वाक्यांश की आवृत्ति से कवि कहना चाहता है कि समाज में अनेक स्थितियाँ खतरनाक हैं, परंतु इनसे भी खतरनाक स्थिति जड़ता, प्रतिक्रियाहीनता की है।
2. कवि ने निम्नलिखित खतरनाक स्थितियों के बारे में बताया है-
मेहनत की कमाई लूटना, पुलिस की मार, शासन के प्रति गद्दारी, लोभ करना।
3. इसका अर्थ है कि साधनहीनता की स्थिति में गुजारा चलाना बहुत बुरा है किंतु खतरनाक नहीं है।
4. कवि ने अपने आक्रोश को दबाकर टालते रहने की प्रवृत्ति को बुरा बताया है इससे मनुष्य अपनी इच्छानुसार कार्य नहीं कर सकता।
2.सबसे खतरनाक होता है ।
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का सब सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे खतरनाक होता हैं
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी निगाह में रुकी होती हैं
शब्दार्थ
मुर्दा शांति-निष्क्रियता, प्रतिरोध विहीनता की स्थिति। तड़प-बेचैनी। सपनों का मरना-इच्छाओं का नष्ट होना। घड़ी-समय बताने का यंत्र, वक्त। निगाह-दृष्टि।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से उद्धृत है। इसके रचयिता पंजाबी कवि पाश हैं। पंजाबी भाषा से अनूदित इस कविता में, कवि ने दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विदूपताओं के साथ चित्रित किया है।
व्याख्या-कवि कहता है कि सबसे खतरनाक स्थिति वह है जब व्यक्ति जीवन के उल्लास व उमंग से मुँह मोड़कर निराशा व अवसाद से घिरकर सन्नाटे में जीने का अभ्यस्त हो जाता है। उसके अंदर कभी न समाप्त होने वाली शांति छा जाती है। वह मूक दर्शक बनकर सब कुछ चुपचाप सहन करता जाता है, ढरें पर आधारित जीवन जीने लगता है। वह घर से काम पर चला जाता है और काम समाप्त करके घर लौट आता है। उसके जीवन का मशीनीकरण हो जाता है। उसके सभी सपने मर जाते हैं और जीवन में कोई नयापन नहीं रह जाता है। उसकी सारी इच्छाएँ समाप्त हो जाती हैं। ये परिस्थितियाँ अत्यंत खतरनाक होती हैं। कवि कहता है कि सबसे खतरनाक दृष्टि वह है जो अपनी कलाई पर बँधी घड़ी को सामने चलता देख कर सोचे कि जीवन स्थिर है; दूसरे शब्दों में, मनुष्य नित्य हो रहे परिवर्तनों के अनुसार स्वयं को नहीं बदलता और न ही स्वयं को बदलना चाहता है।
विशेष-
1. कवि जीवन में आशा व समयानुसार परिवर्तन की माँग करता है।
2. ‘घड़ी’ में श्लेष अलंकार है।
3. ‘सपनों का मर जाना’ में लाक्षणिकता है।
4. ‘मुर्दा शांति’ से भाव स्पष्ट हो गया है।
5. भाषा व्यंजना प्रधान है।
6. खड़ी बोली है।
7. अनुप्रास अलंकार है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. कवि के अनुसार सबसे खतरनाक क्या होता है?
2. ‘मुद शांति’ से क्या अभिप्राय है?
3. सपनों के मर जाने से क्या होता है?
4. घड़ी के माध्यम से कवि क्या कहता है?
उत्तर –
1. कवि के अनुसार, सबसे खतरनाक वह स्थिति है जब मनुष्य प्रतिक्रिया नहीं जताता, वह उत्साहहीन हो जाता है।
2. ‘मुर्दा शांति’ से अभिप्राय है, मानय जीवन में जड़ता और निष्क्रियता का भाव होना अर्थात् अत्याचारों को मूक बनकर सहते जाना और कोई प्रतिक्रिया न व्यक्त करना।
3. सपनों के मरने से मनुष्य की कामनाएँ, इच्छाएँ समाप्त हो जाती हैं। वह वर्तमान से संतुष्ट रहता है। इस प्रवृति से समाज में नए विचार व आविष्कार नहीं हो पाते।
4. घड़ी समय को बताती है। वह समय की गतिशीलता दर्शाती है तथा मनुष्य को समय के अनुसार बदलने की प्रेरणा देती है। मनुष्य द्वारा स्वयं को न बदल पाने की स्थिति खतरनाक होती है।
3. सबसे खतरनाक वह आँख होती है
जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीजों से उठती अधेपन की भाप पर दुलक जाती है
जो रोजमर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है
शब्दार्थ
जमी बर्फ-संवेदनशून्यता। दुनिया-संसार। मुहब्बत-प्रेम। रोजमर्रा-दैनिक कार्य। उलटफेर-चक्कर। दुहराव-दोहराना।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से उद्धृत है। इसके रचयिता पंजाबी कवि पाश हैं। पंजाबी भाषा से अनूदित इस कविता में, कवि ने दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और होती जा रही स्थितियों को उसकी विदूपताओं के साथ चित्रित किया है।
व्याख्या-कवि सामाजिक विदूपताओं का विरोध न करने को खतरनाक मानता है। वह कहता है कि वह आँख बहुत खतरनाक होती है जो अपने सामने हो रहे अन्याय को संवेदनशून्य होकर वैसे देखती रहती है जैसे वह जमी बर्फ हो। जिसकी नजर इस संसार को प्यार से चूमना भूल जाती है अर्थात् जिस नजर से प्रेम व सौंदर्य की भावना समाप्त हो जाती है और हर वस्तु को घृणा से देखती है, वह नजर खतरनाक हो जाती है। ऐसी नजर वस्तु के स्वार्थ के लोभ में अंधी हो जाती है तथा उसे पाने के लिए लालयित हो उठती है, वह खतरनाक होती है। वह जिंदगी जो दैनिक क्रियाकलापों में संवेदनहीनता के साथ भटकती रहती है। जिसका कोई लक्ष्य नहीं है, जो लक्ष्यहीन होकर अपनी दिनचर्या को पूरा करती है, खतरनाक होती है।
विशेष-
1. कवि संवेदनशून्यता पर गहरा व्यंग्य करता है।
2. ‘जमी बर्फ’, ‘मुहब्बत से चूमना’, ‘अंधेपन की भाप’, ‘रोजमर्रा के क्रम को पीती’ आदि नए भाषिक प्रयोग हैं।
3. ‘जमी बर्फ’ संवेदनशून्यता का परिचायक है।
4. भाषा व्यंजना प्रधान है।
5. ‘अंधेपन की भाप’ में रूपक अलंकार है।
6. खड़ी बोली है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. कवि कैसी आँख को खतरनाक मानता है?
2. दुनिया को मुहब्बत की नजर से न चूमने वाली आँख को कवि खतरनाक क्यों मानता है?
3. ‘जो रोजमर्रा के क्रम को पीती हुड़ी पंक्ति का आशय बताइए।
4. आँख का अंधेपन की भाप पर दुलकना क्या कटाक्ष करता है?
उत्तर –
1. कवि उस आँख को खतरनाक मानता है जो अन्याय को देखकर भी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करती। इस तरह से कवि मनुष्य की संवेदनशून्यता पर चोट कर रहा है।
2. दुनिया को मुहब्बत की नजर से न चूमने वाली आँख को कवि इसलिए खतरनाक मानता है; क्योंकि ऐसी नजर से प्रेम एवं सौंदर्य की भावना समाप्त हो जाती है। ऐसी आँख हर वस्तु को घृणा की दृष्टि से देखती है।
3. इसका अर्थ है-वह जिदगी जो दैनिक क्रियाकलापों में संवेदनहीनता के साथ भटकती रहती है।
4. इसमें कवि कहता है कि मनुष्य वस्तुओं की चाह में गलत-सही कार्य करता है। वह उनकी पूर्ति की चाह में हर मूल्य को दाँव पर लगा देता है।
4. सबसे खतरनाक वह चाँद होता है
जो हर हत्याकांड के बाद
वीरान हुए आँगनों में चढ़ता है
पर आपकी आँखों की मिचों की तरह नहीं गड़ता है।
शब्दार्थ
हत्याकांड-हत्या की घटना। वीरान-सुनसान। गड़ता-चुभना।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से उद्धृत है। इसके रचयिता पंजाबी कवि पाश हैं। पंजाबी भाषा से अनूदित इस कविता में, कवि ने दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विदूपताओं के साथ चित्रित किया है।
व्याख्या-कवि अपराधीकरण के बारे में बताता है कि वह चाँद सबसे खतरनाक है जो हत्याकांड के बाद उन आँगनों में चढ़ता है जो वीरान हो गए हैं। चाँद सौंदर्य और शांति का परिचायक है, परंतु हत्याकांडों का चश्मदीद गवाह भी है। ऐसे चाँद की चाँदनी लोगों की आँखों में मिर्च की तरह नहीं गड़ती। इसके विपरीत लोग शांति महसूस करते हैं।
विशेष–
1. ‘चाँद’ आस्था व शांति का प्रतीक है।
2. ‘मिर्च की तरह गड़ना’ सशक्त प्रयोग है।
3. अनुप्रास अलंकार है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. ‘चाँद’ किसका प्रतीक है? कवि उसे खतरनाक क्यों मानता है?
2. घर-आँगन के वीरान होने का क्या कारण है?
3. अंतिम पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
1. ‘चाँद’ आस्था व शांति का प्रतीक है। कवि उसे खतरनाक मानता है, क्योंकि वह लोगों में प्रतिकार की भावना को दबा देता है।
2. इस आँगन के वीरान होने के कारण हत्याकांड हैं जो आतंक के कारण हो रहे हैं।
3. इस पंक्ति का अर्थ है कि लोग हत्याकांड पर भी शांत रहते हैं तथा अपनी खुशियों में मग्न रहते हैं, जबकि उन्हें ऐसे हमलों का प्रतिकार करना चाहिए।
5. सबसे खतरनाक वह गीत होता है
आपके कानों तक पहुँचने के लिए
जो मरसिए पढ़ता है
जो जिंदा रूह के आसमानों पर ढलती हैं
जिसमें सिर्फ़ उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ करते गीदड़
आतांकित लोगों के दरवाज़ों पर
जो गुंडे की तरह अकड़ता है
सबसे खतरनाक वह रात होती है
हमेशा के औधरे बद दरवाज-चौगाठों पर चिपक जाते हैं
शब्दार्थ
मरसिए-मृत्यु पर गाए जाने वाले करुण गीत। आतंकित-डरे हुए। जिंदा रूह-जीवित आत्मा। चौगाठों-चौखटें।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से उद्धृत है। इसके रचयिता पंजाबी कवि पाश हैं। पंजाबी भाषा से अनूदित इस कविता में, कवि ने दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विदूपताओं के साथ चित्रित किया है।
व्याख्या-कवि कहता है कि वे गीत सबसे खतरनाक हैं जो मनुष्य के हृदय में शोक की लहर दौड़ाते हैं। वस्तुत: ये गीत मृत्यु पर गाए जाते हैं तथा भयभीत लोगों को और डराते हैं, उन्हें गुंडों की तरह धमकाते हैं तथा अकड़ते हैं। कवि ऐसे गीतों को निरर्थक मानता है, क्योंकि ये प्रतिरोध के भाव को नहीं जगाते। वह कहता है कि जब किसी जीवित आत्मा के आसमान पर निराशा रूपी रात्रि का घना औधेरा छा जाता है और उसमें कोई उत्साह नहीं रह जाता, ऐसी रात बहुत खतरनाक होती है। उसके हर कोने-चौखट पर उल्लू व गीदड़ों की तरह शोक व भय चिपक जाते हैं जो कभी निराशा से उबरने नहीं देते।
विशेष-
1. कवि ने संवेदनहीनता व निराशा को खतरनाक बताया है।
2. प्रतीकात्मकता है।
3. ‘गुंडे की तरह अकड़ता है’, उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ’ बिंब सार्थक व सजीव है।
4. गीत का मानवीकरण किया गया है।
5. ‘मिचों की तरह’, ‘गुंडों की तरह’ में उपमा अलंकार है।
6. खड़ी बोली है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. कवि कैसे गीत को खतरनाक मानता है तथा क्यों?
2. कवि लोगों की किस आदत को खतरनाक मानता है?
3. कवि ने किस रात को खतरनाक माना है?
4. ‘जिदा रूह के आसमानों’ द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर –
1. कवि उन गीतों को खतरनाक मानता है जो शोक गीत गाकर लोगों के मन में प्रतिकार के भाव को समाप्त करके उन्हें और अधिक डराता है।
2. कवि लोगों का आतंक सहने तथा उसका विरोध न करने की आदत को खतरनाक मानता है।
3. कवि उस रात को खतरनाक मानता है जो जीवित लोगों की आत्मा रूपी आसमान पर अंधकार के समान छा जाती है
4. इसका अर्थ है-सजग लोग। वह कहना चाहता है कि सजग लोगों को अंधविश्वासों व रूढ़ियों से बचना चाहिए।
6. सबसे खतरनाक वह दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुद धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती।
शब्दार्थ
मुर्दा-मृत। जिस्म-शरीर। पूरब-पूर्व दिशा।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित कविता ‘सबसे खतरनाक’ से उद्धृत है। इसके रचयिता पंजाबी कवि पाश हैं। पंजाबी भाषा से अनूदित इस कविता में, कवि ने दिनोंदिन अधिकाधिक नृशंस और क्रूर होती जा रही स्थितियों को उसकी विदूपताओं के साथ चित्रित किया है।
व्याख्या-कवि कहता है कि सबसे खतरनाक दिशा वह है जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपने अंदर की आवाज को नहीं सुनता। उसकी मुर्दा जैसी स्थिति हमें कहीं कोई प्रभाव छोड़ जाए तो यह स्थिति भी खतरनाक होती है। ऐसे लोगों में धूप की किरणों से आशा उत्पन्न भी हो तो मृतप्राय ही होती है। जो अपने ही शरीर रूपी पूर्व दिशा में चुभकर उसे लहूलुहान करती है। कवि कहना चाहता है कि अन्याय को सहना ही लोगों ने अपनी नियति मान लिया है।
कवि कहता है कि किसी की मेहनत की कमाई लुट जाए तो वह खतरनाक नहीं होती। पुलिस की मार या गद्दारी आदि भी इतने खतरनाक नहीं होते। खतरनाक स्थिति वह है जब व्यक्ति में संघर्ष करने की क्षमता ही खत्म हो जाए।
विशेष-
1. कवि व्यक्ति की संवेदनहीनता को खतरनाक स्थिति बताता है।
2. ‘आत्मा का सूरज’ और ‘जिस्म के पूरब’ में रूपक अलंकार है।
3. खड़ी बोली है।
4. सांकेतिक भाषा है।
5. काव्य रचना मुक्त छंद है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. कवि ने आत्मा को क्या माना है?
2. कवि किस दिशा को खतरनाक मानता है?
3. ‘आत्मा का सूरज डूबने जाए’ का अर्थ बताइए।
4. मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा का व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
1. कवि ने आत्मा को मृत के समान तटस्थ माना है।
2. कवि उस दिशा को खतरनाक मानता है जिस पर चलकर मनुष्य अपनी आत्मा की बात अनसुनी कर देता है।
3. इसका अर्थ है-अंतरात्मा की आवाज का क्षीण पड़ना।
4. कवि कहना चाहता है कि आदर्शपरक अच्छी बातें ; जैसे-त्याग, अहिंसा, बलिदान आदि मनुष्य को प्रतिक्रियाहीन व जड़ बना देती हैं।
काव्य-सौंदर्य संबंधी प्रश्न
1. कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो हैं
किसी जुगनू की लों में पढ़ना-बुरा तो हैं
मुट्टियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता
प्रश्न
1. भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
2. शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर –
1. इस काव्यांश में कवि ने कुछ स्थितियों का वर्णन किया है जो बुरी तो हैं, परंतु सबसे खतरनाक नहीं हैं। सही बातों का कपट के कारण दब जाना, अभाव में रहना, क्रोध को व्यक्त करना आदि बुरी स्थितियाँ तो हैं; परंतु सबसे खतरनाक नहीं हैं।
2. ‘बुरा तो है’ पद की आवृत्ति प्रभावी है।
‘जुगनू की लौ’ से साधनहीनता प्रकट होती है।
‘कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना’, ‘जुगनू की लौ में पढ़ना’, ‘मुट्ठयाँ भींचकर वक्त निकाल लेना’ आदि नए भाषिक प्रयोग हैं।
व्यंजना शब्द शक्ति है।
खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।
मुक्त छंद है।
सरल शब्दावली है।
2. सबसे खतरनाक वह आँख होती है
जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीजों से उठती अधेपन की भाप पर दुलक जाती है
जो रोजमर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है
प्रश्न
1. भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
2. शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर –
1. इस काव्यांश में दृष्टि के अनेक रूपों का उल्लेख किया गया है। कवि संवेदनशील व परिवर्तनकारी जीवन शैली का समर्थन है। ‘सबसे खतरनाक’ कहकर कवि उन वस्तुओं या भावों को समाज के लिए हानिकारक व अनुपयोगी मानता है।
2. जमी बर्फ’, संवेदना शून्य ठडे जीवन का
‘जमी बर्फ होती’, ‘मुहब्बत से चूमना’, ‘अंधेपन की प्रतीक है। भाप’ आदि नए भाषिक प्रयोग हैं।
‘अंधेपन की भाप’ में रूपक अलंकार है।
भाषा में व्यंजना शक्ति है।
खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।
उर्दू शब्दों का सहज प्रयोग है।
प्रतीकों व बिंबों का सशक्त प्रयोग है।
3. सबसे खतरनाक वह दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुद धूप का कोई टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए
प्रश्न
1. भाव-सौदर्य बताइए।
2. शिल्प–सौंदर्य बताइए।
उत्तर –
1. इस अंश में, कवि आत्मा की आवाज को अनसुना करने वाली चिंतन-शैली को धिक्कारता है। वह कट्टर विचारधारा का विरोधी है।
2. ‘आत्मा का सूरज’ में रूपक अलंकार है।
‘जिस्म के पूरब’ में रूपक अलंकार है।
सांकेतिक भाषा का प्रयोग है।
खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।
मुक्त छंद है।
उर्दू शब्दावली का प्रयोग है।
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