आण्विक कक्षक सिद्धांत | अणु ऑर्बिटल सिद्धांत की व्याख्या कीजिए
आण्विक कक्षक सिद्धांत
आण्विक कक्षक सिद्धांत (molecular orbital theory) सहसंयोजक आबंध का एक आधुनिक सिद्धांत है। यह सिद्धांत सन् 1932 में एफ. हुंड तथा आर. एस. मुलिकन के द्वारा प्रस्तावित किया गया। इस सिद्धांत के मुख्य लक्षण निम्न प्रकार से हैं।
1. जिस परमाणु में इलेक्ट्रॉन विभिन्न कक्षाओं में उपस्थित रहते हैं। ठीक उसी प्रकार अणु में इलेक्ट्रॉन विभिन्न आण्विक कक्षकों में उपस्थित रहते हैं।
2. आण्विक कक्षकों में इलेक्ट्रॉन ऊर्जा के बढ़ते हुए क्रम में पाउली के अपवर्जन नियम तथा हुंड के नियम के अनुसार भरे जाते हैं।
3. आण्विक कक्षक बहुकेंद्रीय होते हैं। आण्विक कक्षक में इलेक्ट्रॉन दो या दो से अधिक नाभिकों द्वारा प्रभावित होते हैं। जबकि परमाणु कक्षक एकल केंद्रीय होते हैं। परमाणु कक्षक में कोई इलेक्ट्रॉन केवल एक ही नाभिक के प्रभाव में होता है।
4. एक परमाणु कक्षक में विपरीत चक्रण के दो इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं ठीक उसी प्रकार एक आण्विक कक्षक में भी विपरीत चक्रण के दो इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं।
5. जब दो परमाणु कक्षकों का संयोजन किया जाता है तो दो आण्विक कक्षक बनते हैं। इनमें से एक को आबंधी आण्विक कक्षक तथा दूसरे कक्षक को प्रतिआबंधी आण्विक कक्षक कहते हैं। अतः इस प्रकार स्पष्ट होता है कि आण्विक कक्षकों की संख्या संयोग करने वाले परमाणु कक्षकों की संख्या के बराबर होती है।
6. आबंधी आण्विक कक्षक की ऊर्जा कम होती है तथा प्रतिआबंधी आण्विक कक्षक की ऊर्जा उच्च होती है। अतः आबंधी आण्विक कक्षक का स्थायित्व संगत प्रतिआबंधी कक्षक से अधिक होता है।
7. अणुओं में इलेक्ट्रॉन आण्विक कक्षकों में ऊर्जा के बढ़ते हुए क्रम में भरे जाते हैं।
परमाणु कक्षकों का रेखीय संयोजन
परमाणु कक्षकों का रेखीय संयोजन (linear combination of atomic orbitals) को LCAO द्वारा लिखा जाता है।
LCAO के अनुसार आण्विक कक्षक परमाणु कक्षकों के रेखीय संयोजन द्वारा बनते हैं।
ψMO = ψA ± ψB
जहां ψA तथा ψB क्रमशः परमाणुओं A व B के परमाणु कक्षक के तरंग फलन हैं। तथा ψMO आण्विक कक्षक का तरंग फलन है। यह फलन इलेक्ट्रॉन तरंग के आयाम को दर्शाता है। अतः इस प्रकार दो आण्विक कक्षक प्राप्त होते हैं। इन्हें क्रमशः σ तथा σ* द्वारा प्रदर्शित करते हैं। तो
प्रथम आण्विक कक्षक σ = ψA + ψB
द्वितीय आण्विक कक्षक σ* = ψA – ψB
आण्विक कक्षकों को σ (सिग्मा), π (पाई) और δ (डेल्टा) आदि ग्रीक अक्षरों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
परमाणु कक्षकों के योग से बनने वाले आण्विक कक्षक को आबंधी आण्विक कक्षक (bonding molecular orbital, BMO) कहते हैं। तथा परमाणु कक्षकों के अंतर से बनने वाले आण्विक कक्षक को प्रतिआबंधी आण्विक कक्षक (Antibonding molecular orbital, AMO) कहते हैं।
परमाणु कक्षकों के संयोग की शर्तें
संयोग करने वाले परमाणु कक्षकों की ऊर्जाओं में अंतर नहीं होना चाहिए, अर्थात् कक्षकों की ओर ऊर्जाएं समान होनी चाहिए।
संयोजन करने वाले परमाणु कक्षकों का अतिव्यापन अधिकतम होना चाहिए।
परमाणु कक्षकों की सममिति आण्विक अक्ष के परितः समान होनी चाहिए।
आण्विक कक्षकों की ऊर्जा स्तर
• आबंधी आण्विक कक्षक σ1s σ2s σ2pz π2px = π2py
• प्रतिआबंधी आण्विक कक्षक σ*1s σ*2s σ*2pz π*2px = π*2py
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