अपचयोपचय अभिक्रियाएँ
प्रश्न 1: रेडॉक्स अभिक्रियाओं का महत्व और उनकी उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
उत्तर:
रेडॉक्स अभिक्रियाएं रासायनिक विज्ञान में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और ये विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग की जाती हैं। रेडॉक्स अभिक्रियाएं पदार्थों के परिवर्तन से संबंधित होती हैं, जिसमें एक प्रकार के पदार्थ को दूसरे प्रकार में परिवर्तित किया जाता है। इन अभिक्रियाओं का उपयोग औद्योगिक, जैविक, धातुकर्म, और कृषि कार्यों में व्यापक रूप से किया जाता है।
रेडॉक्स अभिक्रियाओं का महत्व इस तथ्य से स्पष्ट है कि ईंधन के दहन, विद्युत रासायनिक प्रक्रियाएं, धातुओं और अधातुओं का निष्कर्षण, रासायनिक यौगिकों का निर्माण, बैटरियों का संचालन, और धातुओं का क्षरण आदि सभी रेडॉक्स प्रक्रियाओं के अंतर्गत आते हैं।
इसके अलावा, हाल के वर्षों में हाइड्रोजन इकोनॉमी और ओजोन परत के विकास जैसे पर्यावरणीय मुद्दे भी रेडॉक्स अभिक्रियाओं के अंतर्गत आते हैं। इसलिए, रेडॉक्स अभिक्रियाएं न केवल रसायन विज्ञान में बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
प्रश्न 2: ऑक्सिडेशन और रिडक्शन के परंपरागत विचार की व्याख्या कीजिए। साथ ही, आधुनिक परिभाषा के अनुसार रेडॉक्स अभिक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
परंपरागत रूप से, ऑक्सिडेशन का अर्थ एक तत्व या यौगिक में ऑक्सीजन के जुड़ने से था। चूंकि वायुमंडल में डाइऑक्सीजन की उपस्थिति होती है (~20%), कई तत्व इसके साथ अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाते हैं।
उदाहरण के लिए: \(2 Mg (s) + O_2(g) → 2 MgO (s) S (S) + O_2(g) → SO_2(g)\)
धीरे-धीरे, ऑक्सिडेशन की परिभाषा का विस्तार करके इसमें हाइड्रोजन का हटना और अन्य इलेक्ट्रोनगेटिव तत्वों का जुड़ना भी शामिल कर लिया गया। आधुनिक परिभाषा के अनुसार, ऑक्सिडेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी पदार्थ में ऑक्सीजन या किसी इलेक्ट्रोनगेटिव तत्व का जुड़ना या हाइड्रोजन या किसी इलेक्ट्रोपॉजिटिव तत्व का हटना होता है।
इसके विपरीत, रिडक्शन की परिभाषा में ऑक्सीजन का हटना या हाइड्रोजन का जुड़ना शामिल है।
उदाहरण के लिए: \(2 HgO (s) → 2 Hg (l) + O_2(g)\) इस अभिक्रिया में पारे से ऑक्सीजन को हटाकर पारा प्राप्त किया जाता है, जो रिडक्शन प्रक्रिया का एक उदाहरण है।
आधुनिक परिभाषा के अनुसार, रेडॉक्स अभिक्रियाएं वे अभिक्रियाएं होती हैं जिनमें ऑक्सिडेशन और रिडक्शन की प्रक्रियाएं एक साथ होती हैं। इसलिए, जब कोई पदार्थ ऑक्सीडाइज़ होता है, तो कोई दूसरा पदार्थ रिड्यूस होता है।
उदाहरण के लिए: \(Zn (s) + Cu^{2+}(aq) → Zn^{2+}(aq) + Cu (s)\)
इस अभिक्रिया में जिंक ऑक्सीडाइज़ होता है और कॉपर रिड्यूस होता है।
प्रश्न 3: इलेक्ट्रॉन ट्रांसफर अभिक्रियाओं के संदर्भ में रेडॉक्स अभिक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
रेडॉक्स अभिक्रियाओं को इलेक्ट्रॉन ट्रांसफर अभिक्रियाओं के रूप में समझने के लिए, हम इस बात पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं कि एक पदार्थ से इलेक्ट्रॉन निकलते हैं (ऑक्सिडेशन) और दूसरे पदार्थ द्वारा ग्रहण किए जाते हैं (रिडक्शन)।
उदाहरण के लिए: \(2Na (s) + Cl_2(g) → 2NaCl (s)\)
यहां पर, सोडियम अपने इलेक्ट्रॉनों को क्लोरीन को देकर \(Na^+\) में परिवर्तित होता है, और क्लोरीन को ये इलेक्ट्रॉन प्राप्त होते हैं जिससे यह \(Cl^-\) में परिवर्तित होता है। इस प्रकार, Na का ऑक्सिडेशन होता है और Cl का रिडक्शन होता है।
इलेक्ट्रॉन ट्रांसफर अभिक्रियाएं दो भागों में विभाजित की जा सकती हैं:
ऑक्सिडेशन (इलेक्ट्रॉन खोना):\(2Na → 2Na^+ + 2e^-\)
रिडक्शन (इलेक्ट्रॉन प्राप्त करना): \(Cl_2 + 2e^- → 2Cl^-\)
रेडॉक्स अभिक्रियाओं को इस प्रकार समझा जा सकता है कि किसी पदार्थ का ऑक्सिडेशन दूसरे पदार्थ के रिडक्शन के साथ होता है। ऑक्सिडाइज़िंग एजेंट वह पदार्थ होता है जो इलेक्ट्रॉनों को स्वीकारता है और रिड्यूसिंग एजेंट वह पदार्थ होता है जो इलेक्ट्रॉनों को देता है।
प्रश्न 4: इलेक्ट्रोड प्रक्रियाओं में रेडॉक्स अभिक्रियाओं की भूमिका समझाइए।
उत्तर:
इलेक्ट्रोड प्रक्रियाएं रेडॉक्स अभिक्रियाओं पर आधारित होती हैं। जब किसी धातु की छड़ को किसी धातु लवण के विलयन में डाला जाता है, तो रेडॉक्स अभिक्रिया होती है जिसमें धातु आयनित होकर घोल में प्रवेश करता है और विलयन में उपस्थित धातु आयन धातु के रूप में जमता है। इस प्रक्रिया को एक उदाहरण से समझा जा सकता है जैसे डैनियल सेल का प्रयोग।
डैनियल सेल में जिंक की छड़ को जिंक सल्फेट के घोल में और कॉपर की छड़ को कॉपर सल्फेट के घोल में डाला जाता है। दोनों घोलों को एक साल्ट ब्रिज के माध्यम से जोड़ा जाता है, जिससे आयनों का प्रवाह संभव होता है लेकिन घोल आपस में नहीं मिलते। जब बाहरी सर्किट को जोड़ते हैं, तो इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह जिंक से कॉपर की ओर होता है, जिससे जिंक ऑक्सीडाइज़ होकर \(Zn^{2+}\) आयन में बदल जाता है और कॉपर आयन (\(Cu^{2+}\)) रिड्यूस होकर धात्विक कॉपर में परिवर्तित हो जाता है।
प्रश्न 5: ऑक्सीडेशन संख्या (Oxidation Number) की परिभाषा दीजिए और इसे निर्धारित करने के नियमों को समझाइए।
उत्तर:
ऑक्सीडेशन संख्या किसी यौगिक में उपस्थित तत्व की ऑक्सीकरण अवस्था को दर्शाती है। यह संख्या किसी परमाणु के चार्ज को दर्शाती है, जैसा कि माना जाता है कि यौगिक में बंधन के दौरान सभी इलेक्ट्रॉनों का पूरा हस्तांतरण हो गया है। ऑक्सीडेशन संख्या के नियम निम्नलिखित हैं:
मुक्त अवस्था में तत्व: किसी भी मुक्त अवस्था में (जैसे \(H_2, O_2, N_2\))प्रत्येक परमाणु की ऑक्सीडेशन संख्या शून्य होती है।
आयनों में: एकल आयन में, ऑक्सीडेशन संख्या आयन के चार्ज के बराबर होती है। जैसे,\(Na^+\) की ऑक्सीडेशन संख्या +1 है, जबकि \(Cl^-\) की -1 है।
ऑक्सीजन: अधिकांश यौगिकों में ऑक्सीजन की ऑक्सीडेशन संख्या -2 होती है, सिवाय परॉक्साइड्स (\(H_2O_2\)) में जहां यह -1 होती है।
हाइड्रोजन: धातु हाइड्राइड्स को छोड़कर (जैसे NaH), हाइड्रोजन की ऑक्सीडेशन संख्या +1 होती है। धातु हाइड्राइड्स में हाइड्रोजन की ऑक्सीडेशन संख्या -1 होती है।
हैलोजन: हैलोजन (जैसे क्लोरीन, ब्रोमिन) की ऑक्सीडेशन संख्या -1 होती है, सिवाय उन यौगिकों के जहां वे ऑक्सीजन या अन्य हैलोजन से जुड़े होते हैं।
यौगिकों में ऑक्सीडेशन संख्या का योग: किसी यौगिक में सभी परमाणुओं की ऑक्सीडेशन संख्याओं का योग शून्य होता है, जबकि बहुपरमाणु आयनों में यह उनके चार्ज के बराबर होता है।
उदाहरण: \(Na_2CO_3\) में, Na की ऑक्सीडेशन संख्या +1, C की +4 और O की -2 होती है। इसका योग: 2(+1) + (+4) + 3(−2) = 0
प्रश्न 6: विद्युत रासायनिक श्रृंखला (Electrochemical Series) क्या है? इसका महत्व समझाइए।
उत्तर:
विद्युत रासायनिक श्रृंखला एक सूची है जिसमें विभिन्न धातुओं और उनके आयनों को उनकी इलेक्ट्रॉन खोने की प्रवृत्ति के आधार पर क्रमबद्ध किया गया है। इस सूची में ऊपर की ओर स्थित धातुएं इलेक्ट्रॉन खोने की उच्च प्रवृत्ति रखती हैं और नीचे की ओर स्थित धातुएं कम प्रवृत्ति रखती हैं।
इसका महत्व निम्नलिखित है:
धातुओं की तुलना: विद्युत रासायनिक श्रृंखला के माध्यम से विभिन्न धातुओं की रिड्यूसिंग और ऑक्सीडाइजिंग क्षमताओं की तुलना की जा सकती है।
अभिक्रियाओं की भविष्यवाणी: श्रृंखला का उपयोग करके यह भविष्यवाणी की जा सकती है कि कौन सी धातु दूसरी धातु के आयन को विस्थापित करेगी।
विद्युत कोश: श्रृंखला का उपयोग विद्युत कोश की वोल्टता की गणना और कोश के डिजाइन में किया जाता है।
उदाहरण के लिए, जिंक (Zn) और तांबा (Cu) के बीच, जिंक अधिक क्रियाशील होता है, इसलिए जब जिंक और कॉपर सल्फेट को एक साथ रखा जाता है, तो जिंक कॉपर को विस्थापित कर देता है:
प्रश्न 7: संयोजन (Combination), अपघटन (Decomposition), और विस्थापन (Displacement) प्रतिक्रियाओं में रेडॉक्स अभिक्रियाओं की भूमिका समझाइए।
उत्तर:
रेडॉक्स अभिक्रियाएं संयोजन, अपघटन, और विस्थापन प्रतिक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं:
संयोजन अभिक्रिया: संयोजन अभिक्रिया वह अभिक्रिया है जिसमें दो या अधिक पदार्थ मिलकर एक नया यौगिक बनाते हैं। यदि इनमें से कोई एक पदार्थ ऑक्सीकरण और दूसरा अपचयन के अधीन होता है, तो यह रेडॉक्स अभिक्रिया कहलाती है।
\(C(s) + O_2 (g) → CO_2 (g)\)अपघटन अभिक्रिया: अपघटन अभिक्रिया वह है जिसमें एक यौगिक टूटकर दो या अधिक पदार्थों में बदल जाता है, जिसमें कम से कम एक तत्व तत्वीय अवस्था में होता है। यदि यह प्रक्रिया ऑक्सीकरण और अपचयन के साथ होती है, तो यह रेडॉक्स अभिक्रिया कहलाती है।
\(2H_2 O (l) → 2H_2 (g) + O_2(g)\)विस्थापन अभिक्रिया: विस्थापन अभिक्रिया में एक तत्व किसी यौगिक में दूसरे तत्व को विस्थापित करता है। यदि इसमें इलेक्ट्रॉनों का आदान-प्रदान होता है, तो इसे रेडॉक्स अभिक्रिया कहा जाता है।
\(Zn (s) + CuSO_4 (aq) → ZnSO_4 (aq) + Cu (s)\)प्रश्न 8: असममित ऑक्सीकरण संख्या (Fractional Oxidation Number) क्या होती है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
असममित ऑक्सीकरण संख्या वह स्थिति है जब किसी यौगिक में किसी तत्व की ऑक्सीकरण संख्या का मान पूर्णांक नहीं होता, बल्कि भिन्न के रूप में होता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसी यौगिक में उस तत्व के विभिन्न परमाणु विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाओं में होते हैं, और उनकी औसत ऑक्सीकरण संख्या भिन्न के रूप में व्यक्त की जाती है।
उदाहरण के लिए:
\(C_3O_2\) (कार्बन सबऑक्साइड) में कार्बन की ऑक्सीकरण संख्या + 4/3 होती है। वास्तव में, दो कार्बन परमाणु + 2 और एक 0 ऑक्सीकरण संख्या में होते हैं।
\(Br_3O_8\) (ट्रिब्रोम ऑक्साइड) में ब्रोमिन की ऑक्सीकरण संख्या + 16/3 होती है। वास्तव में, दो ब्रोमिन परमाणु + 6 और एक + 4 ऑक्सीकरण संख्या में होते हैं।
प्रश्न 9: रेडॉक्स अभिक्रियाओं के लिए समीकरण संतुलन की विधियों को समझाइए।
उत्तर:
रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित करने के लिए दो प्रमुख विधियाँ हैं:
ऑक्सीडेशन संख्या विधि: इस विधि में अभिक्रिया में शामिल तत्वों की ऑक्सीडेशन संख्या निर्धारित की जाती है। फिर ऑक्सीडेशन और रिडक्शन में बदलाव के आधार पर अणुओं को गुणा करके समीकरण को संतुलित किया जाता है। इसके बाद आयनिक चार्ज और हाइड्रोजन व ऑक्सीजन को संतुलित किया जाता है।
आधा अभिक्रिया विधि: इस विधि में ऑक्सीडेशन और रिडक्शन की आधी अभिक्रियाओं को अलग-अलग संतुलित किया जाता है। फिर इन आधी अभिक्रियाओं को जोड़कर पूरा समीकरण संतुलित किया जाता है।
प्रश्न 10: ऑक्सीडेशन संख्या विधि द्वारा रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित करने की प्रक्रिया को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
ऑक्सीडेशन संख्या विधि एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित किया जाता है। इसमें निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
चरण 1: अभिक्रिया में शामिल सभी तत्वों की ऑक्सीडेशन संख्याओं को निर्धारित कीजिए।
चरण 2: ऑक्सीडेशन संख्या में होने वाले परिवर्तन की गणना कीजिए। यदि कोई तत्व ऑक्सीडाइज हो रहा है, तो उसकी ऑक्सीडेशन संख्या बढ़ेगी और यदि वह रिड्यूस हो रहा है, तो उसकी ऑक्सीडेशन संख्या घटेगी।
चरण 3: ऑक्सीडेशन संख्या के परिवर्तन के आधार पर उस तत्व के अणुओं की संख्या को गुणा कीजिए ताकि ऑक्सीडेशन और रिडक्शन के बीच का इलेक्ट्रॉन संतुलन हो सके।
चरण 4: अब समीकरण के दोनों ओर के सभी तत्वों की संख्या को संतुलित कीजिए। यदि समीकरण आयनिक है, तो इसमें चार्ज को भी संतुलित कीजिए।
उदाहरण:
\(MnO^-_4 + Fe^{2+} → Mn^{2+} + Fe^{3+}\)
इस अभिक्रिया में:
Mn की ऑक्सीडेशन संख्या + 7 से + 2 हो जाती है (घटती है), और Fe की ऑक्सीडेशन संख्या +2 से +3 हो जाती है (बढ़ती है)।
Mn के लिए ऑक्सीडेशन संख्या में 5 की कमी होती है, जबकि Fe के लिए 1 की वृद्धि होती है। इसलिए, Fe के गुणांक को 5 से गुणा करना होगा।
संतुलित समीकरण होगा:
\(MnO^-_4 + 5Fe^{2+} + 8H^+ → Mn^{2+} + 5Fe^{3+} + 4H_2O\)
प्रश्न 11: आधा अभिक्रिया विधि का उपयोग करके रेडॉक्स अभिक्रिया को संतुलित करने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
आधा अभिक्रिया विधि में रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित करने के लिए ऑक्सीडेशन और रिडक्शन की आधी अभिक्रियाओं को अलग-अलग संतुलित किया जाता है। इसकी प्रक्रिया निम्नलिखित है:
चरण 1: अभिक्रिया के लिए अपरिष्कृत (unbalanced) आयनिक समीकरण लिखिए।
चरण 2: अभिक्रिया को दो भागों में विभाजित कीजिए: ऑक्सीडेशन आधा अभिक्रिया और रिडक्शन आधा अभिक्रिया।
चरण 3: प्रत्येक आधा अभिक्रिया में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को संतुलित कीजिए। ऑक्सीजन को संतुलित करने के लिए \(H_2O\) जोड़ें और हाइड्रोजन को संतुलित करने के लिए
\(H^+\) जोड़ें (यदि अभिक्रिया अम्लीय माध्यम में हो)।
चरण 4: आधा अभिक्रियाओं में इलेक्ट्रॉनों को जोड़कर चार्ज को संतुलित कीजिए।
चरण 5: आवश्यकतानुसार आधा अभिक्रियाओं को गुणा कीजिए ताकि इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान हो जाए।
चरण 6: दोनों आधा अभिक्रियाओं को जोड़कर पूर्ण संतुलित अभिक्रिया प्राप्त कीजिए और अनावश्यक पदार्थों को हटाएं।
उदाहरण:
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