Notes For All Chapters Hindi Kshitij Class 9
पाठ का सार
इस कविता में कवियत्री ने गाँव में छायी हरियाली का दिल छू लेने वाला वर्णन किया है। यहाँ जाड़े के मौसम का अंत तथा वसंत ऋतू का आगमन का दृश्य प्रस्तुत किया गया है। खेतों में फैली दूर दूर तक फसलें और उनके ऊपर जब सूरज की किरणें पड़ती हैं तो कवियत्री को ऐसा प्रतीत होता है मनो किसी ने चांदी का जाल बिछा दिया हो। गेहूं और अरहर की सुनहरी बाली तथा पिली सरसों द्वारा फैला तैलीय सुगंध उन्हें बहुत मोहित करता है। खेतों में मटर के पौधे अपने बीजों को छिपाकर हंस रही हैं और रंग बिरंगी तितलियाँ फूलों के ऊपर मंडरा रही हैं जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी ने रंगों की छठा बिखेरी दी हो। फलों के पकने का मौसम होने के कारण वृक्ष आम, अमरुद, जामुन तथा कटहल, आड़ू आदि से झुका पड़ा है। पालक, धनिया के पत्ते लहलहा रहे हैं, टमाटर मखमल की तरह लाल हो गए हैं तथा मिर्च हर-भरी थैली की तरह लग रही है। गंगा के तट पर पड़े बालू के टीले ऐसे लगते हैं मानो लम्बे-लम्बे सांप पड़े हों तथा तरबूजे की खेती भी मन को भा रही है। पास में बगुला अपनी अँगुलियों से अपने कलगी में कंघी कर रहा है तथा मगरमच्छ पानी में अलसाया सोया पड़ा है। कुल मिलाकर कवि ने पुरे वातावरण का सजीव चित्रण किया है जो की बहुत ही मनोहारी है।
कवि परिचय
सुमित्रानंदन पंत
इनका जन्म उत्तरांचल के अल्मोड़ा जिले के कौसानी गाँव में सन 1900 में हुआ। आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के आह्वान पर उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया। पंत के कविता में प्रकृति और मनुष्य के अंतरंग संबंधों की पहचान है। सन 1977 में उनका देहांत हो गया।
प्रमुख कार्य
काव्य कृतियाँ – वीणा, ग्रंथि,गुंजन, ग्राम्या, पल्लव, युगांत, स्वर्ण किरण, स्वर्णधूलि, कला और बुढा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा।
पुरस्कार – साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार।
कठिन शब्दों के अर्थ
• सुनई – एक पौधा जिसकी छाल से रस्सी बनाई जाती है।
• किंकिणी – करधनी
• वृन्त – डंठल
• मुकुलित – अधखिला
• अँवली – छोटा आंवला
• सरपत – तिनके
• सुरखाब – चक्रवाक पक्षी
• हिम-आतप – सर्दी की धूप
• मरकत – पन्ना नामक रत्न
• हरना – आकर्षित करना
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