MCQ उपभोक्तावाद की संस्कृति Chapter 3 Hindi Class 9 Kshitij हिन्दी Advertisement MCQ’s For All Chapters – Kshitij Class 9th 1. लोगों की दृष्टि में सुख क्या है?उपभोग-भोग ही सुख हैमस्त रहना ही सुख हैसंयमित जीवन में ही सुखा हैप्रभु भक्ति में ही सुख हैQuestion 1 of 192. उपभोक्ता संस्कृति के कारण हम कैसी दासता स्वीकार करते जा रहे हैं?राजनीतिक दासतासांस्कृतिक दासताबौद्धिक दासतासामंती दासताQuestion 2 of 193. हमारी नई संस्कृति कैसी है?आध्यात्मिक संस्कृतिअनुकरण की संस्कृतिपारिवारिक संस्कृतिवैचारिक संस्कृतिQuestion 3 of 194. हमारी मानसिकता को कैसे तंत्र बदल रहे हैं?विज्ञान और प्रसार के सूक्ष्म तंत्रआध्यात्मिकता के तंत्रसम्मोहन के सूक्ष्म तंत्रप्रतिष्ठित दिखाने के तंत्रQuestion 4 of 195. गाँधी जी ने किनके लिए दरवाजे खिड़कियों खुली रखने की बात कही थी।विदेशी उपनिवेश के लिएलघु उद्योगों के लिएस्वस्थ सांस्कृतिक प्रभावों के लिएइनमें से कोई नहींQuestion 5 of 196. एक दिनभर आपके शरीर को तरोताजा रखता रेखांकित पद का भेद बताइए?संज्ञासर्वनामविशेषणक्रिया विशेषणQuestion 6 of 197. उतना ही खाओ जितनी भूख है। रेखांकित किया विशेषण का भेद लिखिए।रीतिवाचक क्रिया विशेषणस्थानावाचक क्रिया विशेषणपरिमाण वाचक क्रिया विशेषणकालवाचक क्रिया विशेषणQuestion 7 of 198. गाँधी ने किस पर कायम रहकर सांस्कृतिक प्रभावों के लिए दरवाजे-खिड़की खुले रखने की बात कही थी?अपनी शर्तों परअपनी बुनियाद परअपने स्वार्थ परअपने सम्मान परQuestion 8 of 199. हम किसके उपनिवेश बन गए हैं?अमेरिका केयूरोप केपाश्चात्य संस्कृति केविज्ञापन कम्पनी केQuestion 9 of 1910. उपभोक्ता संस्कृति का हमारे सामाजिक मूल्यों पर क्या प्रभाव पड़ा?परम्पराओं का अवमूल्यन हुआ हैपरम्पराओं का निर्वाह हुआ हैपरम्पराओं का लोप हो गया हैहम उन्हीं परम्पराओं पर चल रहे हैंQuestion 10 of 1911. कौन-सी संस्कृति के तत्त्व भारत में पहले से थे?पाश्चात्यपूर्वीपौराणिकसामंतीQuestion 11 of 1912. आजकल कैसी जीवन-शैली हावी हो रही है?पुरातनपूर्वीनूतनइनमें से कोई नहींQuestion 12 of 1913. निम्नलिखित में से कौन-सी रचना श्यामाचरण दुवे की नहीं है?मानव और संस्कृतिसंस्कृति के चार अध्यायसंस्कृति तथ शिक्षासमय और संस्कृतिQuestion 13 of 1914. श्यामाचरण दुबे का जन्म कब हुआ?1922 में1925 में1992 में1995 मेंQuestion 14 of 1915. सामंती संस्कृति के तत्त्व मारत में पहले भी रहे हैं। उपभोक्तावाद इस संस्कृति से जुड़ा रहा है। आज सामंत बदल गये हैं, सामंती संस्कृति का मुहावरा बदल गया है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आन्याओं का सरण हआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नयी संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। हम आधुनिकता के शूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं। प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है, उत्ते खोकर छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों के क्षीण हो जाने के कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही अन्य निर्देशित होता जा रहा है। विज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र हमारी मानसिकता बदल रहे हैं। उनमें सम्मोहन की शक्ति है, वशीकरण की भी। सामंती संस्कृति एवं उपभोक्ताओं में क्या संबंध है?सागंती संस्कृति से ही उपभोक्ता संस्कृति उत्पन्न हुईउपभोक्तावाद ने सामंती संस्कृति को जन्म दियाउपभोक्ताबाद के बिना सामंती संस्कृति टिक नहीं पाती।सामंती संस्कृति और उपभोक्तावाद में कोई अंतर नहीं हैQuestion 15 of 1916. सामंती संस्कृति के तत्त्व मारत में पहले भी रहे हैं। उपभोक्तावाद इस संस्कृति से जुड़ा रहा है। आज सामंत बदल गये हैं, सामंती संस्कृति का मुहावरा बदल गया है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आन्याओं का सरण हआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नयी संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। हम आधुनिकता के शूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं। प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है, उत्ते खोकर छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों के क्षीण हो जाने के कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही अन्य निर्देशित होता जा रहा है। विज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र हमारी मानसिकता बदल रहे हैं। उनमें सम्मोहन की शक्ति है, वशीकरण की भी। हमने कैसी दासता स्वीकार कर ली है?आर्थिक दासतासांस्कृतिक दासताबौद्धिक दासतावैचारिक दासताQuestion 16 of 1917. सामंती संस्कृति के तत्त्व मारत में पहले भी रहे हैं। उपभोक्तावाद इस संस्कृति से जुड़ा रहा है। आज सामंत बदल गये हैं, सामंती संस्कृति का मुहावरा बदल गया है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आन्याओं का सरण हआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नयी संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। हम आधुनिकता के शूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं। प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है, उत्ते खोकर छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों के क्षीण हो जाने के कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही अन्य निर्देशित होता जा रहा है। विज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र हमारी मानसिकता बदल रहे हैं। उनमें सम्मोहन की शक्ति है, वशीकरण की भी। हम किस संस्कृति का अनुकरण कर रहे हैं?पूर्वी संस्कृतिअविकसित संस्कृतिभारतीय संस्कृतिपाश्चात्य संस्कृतिQuestion 17 of 1918. सामंती संस्कृति के तत्त्व मारत में पहले भी रहे हैं। उपभोक्तावाद इस संस्कृति से जुड़ा रहा है। आज सामंत बदल गये हैं, सामंती संस्कृति का मुहावरा बदल गया है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आन्याओं का सरण हआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नयी संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। हम आधुनिकता के शूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं। प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है, उत्ते खोकर छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों के क्षीण हो जाने के कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही अन्य निर्देशित होता जा रहा है। विज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र हमारी मानसिकता बदल रहे हैं। उनमें सम्मोहन की शक्ति है, वशीकरण की भी। हमारी मानसिकता का कौन-सा तंत्र बदल रहा है?प्रजातंत्रराजतंत्रविज्ञापन तंत्रआधुनिक तंत्रQuestion 18 of 1919. सामंती संस्कृति के तत्त्व मारत में पहले भी रहे हैं। उपभोक्तावाद इस संस्कृति से जुड़ा रहा है। आज सामंत बदल गये हैं, सामंती संस्कृति का मुहावरा बदल गया है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आन्याओं का सरण हआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नयी संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। हम आधुनिकता के शूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं। प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है, उत्ते खोकर छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों के क्षीण हो जाने के कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही अन्य निर्देशित होता जा रहा है। विज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र हमारी मानसिकता बदल रहे हैं। उनमें सम्मोहन की शक्ति है, वशीकरण की भी। सांस्कृतिक के संस्कृति में इक प्रत्यय जुड़ा है। निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द इक प्रत्यय युक्त नहीं है।दैनिकभौतिकपाठकमानसिकQuestion 19 of 19 Loading...
I score 12 but really very good question this improve my knowledge
Good
Very nice question
0 out of 19
All right 👍
6 out of 19
I got 15 out of 19 because i don’t read this chapter
It was a nice quiz.