MCQ दो बैलों की कथा Chapter 1 Hindi Class 9 Kshitij हिन्दी Advertisement MCQ’s For All Chapters – Kshitij Class 9th 1. ‘दो बैलों की कथा’ नामक पाठ से हमें क्या प्ररेणा मिलती है?हमें मेहनत करनी चाहिएमालिक की सेवा करनी चाहिएस्वतंत्रता के लिए संघर्ष आवश्यक हैशत्रु को शत्रु ही समझना चाहिएQuestion 1 of 202. गधे के कौन-से गुण उसे ऋषियों मुनियों की श्रेणी में खड़ा कर देते हैं?परिश्रमअध्ययनसहनशक्तित्यागQuestion 2 of 203. पशुओं में कौन-सा गुण मनुष्य के गुणों से ज्यादा विकसित है?मन के भावों को समझनापरिश्रम करनाअच्छे बुरे में भेद करनादूसरों से काम लेनाQuestion 3 of 204. “लेकिन औरत पर सींग चलाना मना है”- यह कथन किसका है?मोती का हीरा काझूरी कागया काQuestion 4 of 205. ‘बैल का जन्म लिया है तो मरने से कहाँ तक बचेंगे’ यह कथन किसका है?कांजी होस के चौकीदार का झूरी कागया कामोती काQuestion 5 of 206. गिरे हुए वैरी पर सींग नहीं चलाना चाहिए यह कथन किसका है?मोती का हीरा कागया काशूरी काQuestion 6 of 207. 'बछिया का ताऊ' मुहावरे का अर्थ हैबैल का भाईसांडमूर्ख व्यक्तिकोल्हू का बैलQuestion 7 of 208. ‘दो बैलों की कथा” किस लड़ाई की ओर संकेत करतीपानीपत की लड़ाई की ओरप्रथम विश्व युद्ध की ओरभारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ओरभारत चीन के युद्ध की ओरQuestion 8 of 209. गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने को दिया क्योंकिगया पराए बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता थागरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके वश की बात नहीं थी।वह हीरा-मोती के व्यवहार से दुःखी थाउसे खली आदि सामग्री की जानकारी नहीं थीQuestion 9 of 2010. पहली बार गया के घर से भागकर दोनों बैल कहाँ।झूरी के घरकांजी हौस मेंमटर के खेत मेंनहर के किनारेQuestion 10 of 2011. झूरी के साले का क्या नाम था?गयाबजरंगसुखियाधनियाQuestion 11 of 2012. झूरी के बैलों का क्या क्या नाम था?हरिया और धोनीचंदा और ताराशिवा और जयहीरा और मोतीQuestion 12 of 2013. प्रेमचंद का निधन कब हुआ?1926 में1936 में1946 में1935 मेंQuestion 13 of 2014. निम्नलिखित में से कौन-सी रचना प्रेमचंद की नहीं है?दोड़ा कोशरंगभूमिगोदानकर्मभूमिQuestion 14 of 2015. प्रेमचंद का जन्म कहाँ हुआ?इलाहाबाद मेंलखनऊ मेंवाराणसी के पास लमही गांव मेंआगरा के पास फतेहपुर मेंQuestion 15 of 2016. गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुंच गए हैं। पर आदमी उसे बेबकूफ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा. गधा कैसा प्राणी है।हिंसकसहनशीलउदंडकोधी स्वभाव काQuestion 16 of 2017. गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुंच गए हैं। पर आदमी उसे बेबकूफ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा. गधे के चेहरे पर कैसा भाव छाया रहता है?क्रोध का भावईष्या का भावस्थायी विषादअसंतोष का भावQuestion 17 of 2018. गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुंच गए हैं। पर आदमी उसे बेबकूफ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा. गधे में ऋषि-मुनियों का कौन-सा गुण पाया जाता है?योग साधना कापरोपकार काविद्वत्ता कासुख-दुःख में समान भाव से रहने काQuestion 18 of 2019. गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुंच गए हैं। पर आदमी उसे बेबकूफ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा. गधे को आदमी क्या समझता है?बेवकूफसंतलाचारहिंसक प्राणीQuestion 19 of 2020. गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुंच गए हैं। पर आदमी उसे बेबकूफ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा. ‘सद्गुण’ शब्द में उपसर्ग होगासद्सतसच्सत्यQuestion 20 of 20 Loading...
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Yes
Milan dutta
Hii itz little bit tough I think so, apko videos ko shorts mein chota karke bhi dalna chahiye
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