Solutions For All Chapters Sanskrit Class 7
Question 1: उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’, अनुपयुक्तकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-
Answer:
(क) विद्या राजसु पूज्यते। विद्या राजाओं द्वारा पूजी जाती है। | आम् |
(ख) वाग्भूषणं भूषणं न। वाक्पटुता ((भाषा की विद्या)) ही असली भूषण है | न |
(ग) विद्याधनं सर्वधनेषु प्रधानम्। विद्या का धन सभी धनों में प्रमुख है। | आम् |
(घ) विदेशगमने विद्या बन्धुजनः न भवति। विदेश यात्रा में ज्ञान आपका बन्धु (रिश्तेदार) नहीं होता | न |
(ङ) सर्वं विहाय विद्याधिकारं कुरु। सब कुछ त्यागकर विद्या का अधिकार प्राप्त करो | आम् |
Question 2: अधोलिखितानां पदानां लिङ्ग, विभक्तिं, वचनञ्च लिखत-
पदानि, लिङ्गम्, विभक्तिः, वचनम्
Answer:
पदानि लिङ्गम् विभक्ति: वचनम्
नरस्य पुँल्लिङ्गम् षष्ठी एकवचनम्
गुरूणाम् पुँल्लिङ्गम् षष्ठी बहुवचनम्
केयूरा: पुँल्लिङ्गम् प्रथमा बहुवचनम्
कीर्तिम् स्त्रीलिङ्गम् द्वितीया एकवचनम्
भूषणानि नपुंसकलिङ्गम् द्वितीया बहुवचनम्
Question 3: श्लोकांशान् योजयत-
Answer:
क | ख |
विद्या राजसु पूज्यते न हि धनम् विद्या राजाओं द्वारा पूजी जाती है, न कि धन | विद्या-विहिनः पशुः। जो व्यक्ति विद्या से रहित है, वह पशु के समान है। |
केयूराः न विभूषयन्ति पुरुषम् कंगन पुरुष की शोभा नहीं बढ़ाते | हारा न चन्द्रोज्ज्वलाः। हार चांदनी नहीं हैं | |
न चौरहार्यं न च राजहार्यम् इसे न तो चोर चुरा सकते हैं और न राजा | न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि। यह भाई द्वारा साझा की जाने वाली नहीं होती और न ही बोझ |
सत्कारायतनं कुलस्य महिमा कुल की शोभा आतिथ्य सत्कार में ही निवास करती है | रत्नैर्विना भूषणम्। रत्न रहित आभूषण |
वाण्येका समलङ्करोति पुरुषम् वाणी ही मनुष्य को सजाती है | या संस्कृता धार्यते। जो संस्कृति को धारण करती है। |
Question 4: एकपदेन प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-
(क) कः पशुः? – कौन पशु है?
उत्तर: विद्या-विहीनः । – जो विद्या से रहित है|
(ख) का भोगकरी? – कौन भोग करने योग्य है?
उत्तर: विद्या
(ग) के पुरुषं न विभूषयन्ति? – किन वस्तुओं से पुरुष को सजाया नहीं जाता?
उत्तर: केयूराः – कंगन
(घ) का एका पुरुषं समलङ्करोति? – कौन एक वस्तु पुरुष को सजाती है?
उत्तर: वाणी
(ङ) कानि क्षीयन्ते? – कौन-कौन सी वस्तुएं समाप्त होती हैं?
उत्तर: अखिल भूषणानि । – सभी आभूषण ।
Question 5: रेखाङ्कितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) विद्याविहीनः नरः पशुः अस्ति। (विद्या के बिना मनुष्य पशु के समान है।)
(ख) विद्या राजसु पूज्यते। (विद्या ही असली पूजा है।)
(ग) हाराः पुरुषं न अलङ्कुर्वन्ति। (चमकदार हार भी पुरुष को नहीं सजाते हैं।)
(घ) पिता हिते नियुङ्क्ते? (पिता किसलिए नियुक्त करता है?)
(ङ) विद्याधनं सर्वप्रधान धनमस्ति। (विद्या ही सबसे बड़ा धन है।)
(च) विद्या दिक्षु कीर्तिं तनोति। (विद्या सभी दिशाओं में कीर्ति फैलाती है।)
Answer:
(क) विद्याविहीन: क: पशु: अस्ति? (विद्या के बिना कौन पशु के समान है।)
(ख) का राजसु पूज्यते? (कौन राजाओं द्वारा पूजी जाती है)
(ग) चन्द्रोज्ज्वला: के पुरुषं न अलङ्कुर्वन्ति? (चंद्रमा के समान चमकदार वस्तुएं किस को नहीं सजातीं)
(घ) क: हिते नियुङ्क्ते? (कौन लाभ के लिए नियुक्त करता है?)
(ङ) विद्याधनं कथं धनमस्ति? (विद्या का धन किस प्रकार का धन होता है?)
(च) विद्या कुत्र कीर्तिं तनोति? (विद्या किस स्थान पर कीर्ति फैलाती है?)
Question 6: पूर्णवाक्येन प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-
(क) गुरूणां गुरुः का अस्ति? (गुरु के गुरु कौन हैं?)
(ख) कीदृशी वाणी पुरुषं समलङ्करोति? (किस प्रकार की वाणी पुरुष को सजाती है?)
(ग) व्यये कृते किं वर्धते? (खर्च करने से क्या बढ़ता है?)
(घ) भाग्यक्षये आश्रयः कः? (दुर्भाग्य में कौन सा आश्रय है?)
Answer:
(क) गुरूणां गुरुः विद्या अस्ति। (गुरु के गुरु विद्या होती है।)
(ख) संस्कृता धार्यते वाणी पुरुषं समलङ्करोति। (संस्कृत वाणी पुरुष को सजाती है।)
(ग) व्यये कृते विद्या वर्धते। (खर्च करने से विद्या बढ़ती है।)
(घ) भाग्यक्षये आश्रयः विद्या अस्ति। (भाग्य समाप्त होने पर आश्रय विद्या होती है।)
Question 7: मञ्जूषातः पुँल्लिङ्ग-स्त्रीलिङ्ग-नपुंसकलिङ्गपदानि चित्वा लिखत-
विद्या, धनम्, संस्कृता, सततम्, कुसुमम्, मूर्धजाः, पशुः, गुरुः, रतिः
Answer:
पुँल्लिङ्गम् स्त्रीलिङ्गम् नपुंसकलिङ्गम्
हाराः अलङ्कता भूषणम्
पशुः विद्या धनम्
गुरुः संस्कृता कुसुमम्
मूर्धजाः रतिः सततम्
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